Daughter's Day 2022: बेटियों के भविष्य को वित्तीय रूप से बनाएं सुरक्षित, ये विकल्प आएंगे काम
बेटियों के भविष्य को आर्थिक रूप से संवारने के लिए देश में कई विकल्प मौजूद हैं.
आज के दौर में बच्चियों का वित्तीय रूप से सशक्त होना बेहद जरूरी है. वित्तीय मजबूती किसी को भी अपने करियर और भविष्य यानी जिंदगी की बेहतरी के लिए फैसले लेने में मदद करती है. साथ ही किसी इमरजेन्सी सिचुएशन के लिए भी तैयार रखती है. बेटियों के भविष्य को ध्यान में रखकर मां-बाप को उनके जन्म के साथ ही निवेश/सेविंग्स शुरू कर देनी चाहिए. बेटियों के भविष्य को आर्थिक रूप से संवारने के लिए देश में कई विकल्प मौजूद हैं. आज इंटरनेशनल डॉटर्स डे (International Daughter's Day) के मौके पर जानते हैं बेटियों के लिए कुछ सिक्योर व सबसे ज्यादा पॉपुलर सेविंग्स/निवेश ऑप्शंस के बारे में....
सुकन्या समृद्धि स्कीम (SSY)
इस योजना के तहत 10 साल से कम उम्र की बच्ची का खाता खुलवाया जा सकता है, जो कि पोस्ट ऑफिस या किसी भी बैंक में आसानी से खुल जाता है. सुकन्या समृद्धि खाते को मिनिमम 250 रुपये में खुलवाया जा सकता है और एक वित्त वर्ष में मिनिमम जमा 250 रुपये और मैक्सिमम 1.5 लाख रुपये तय की गई है. वैसे तो स्कीम के अंतर्गत अधिकतम दो बच्चियों का ही खाता खुल सकता है, लेकिन अगर किसी की जुड़वां बच्चियां हैं तो खाता तीन बच्चियों तक के लिए खुल सकता है. बच्ची की ओर से उसके मूल या कानूनी अभिभावक सुकन्या समृद्धि खाता खोल सकते हैं.
सुकन्या समृद्धि खाते में खाता खुलवाने की तारीख से लेकर अधिकतम 14 वर्ष तक या बच्ची के 21 वर्ष के हो जाने तक पैसा जमा कर सकते हैं. बच्ची के 21 वर्ष पूरे होने पर या फिर बच्ची की शादी होने पर स्कीम परिपक्व (Mature) हो जाती है. 14 वर्ष वाली अवधि पहले ही पूरी हो जाने पर परिपक्वता तक उस समय की तय ब्याज दर के हिसाब से खाते में पैसा जुड़ता रहता है. इस वक्त पोस्ट ऑफिस में सुकन्या समृद्धि योजना अकाउंट पर सालाना 7.6% का ब्याज मिल रहा है.
पब्लिक प्रोविडेंट फंड (PPF)
PPF को कोई भी भारतीय खुलवा सकता है. PPF में निवेश किया जाने वाला पैसा, उस पर मिलने वाला ब्याज और मैच्योरिटी पीरियड पूरा होने पर मिलने वाली धनराशि, तीनों पर टैक्स से छूट है. इसे नाबालिग के नाम पर भी खुलवाया जा सकता है. PPF पर ब्याज दर हर तिमाही पर बदलती है. मौजूदा ब्याज दर 7.1% सालाना है. PPF में एक वित्त वर्ष में मिनिमम 500 रुपये और मैक्सिमम 1.5 लाख रुपये जमा किए जा सकते हैं. PPF का मैच्योरिटी पीरियड 15 साल है. लेकिन कुछ खास परिस्थितियों में PPF को मैच्योरिटी से पहले क्लोज किया जा सकता है. इतना ही नहीं, एक निश्चित वक्त के बाद इसमें से पैसे विदड्रॉ भी किए जा सकते हैं. 15 साल का मैच्योरिटी पीरियड पूरा होने के बाद चाहें तो अकाउंट को 5-5 साल के ब्लॉक में एक्सटेंड कर सकते हैं. PPF अकाउंट डाकघर और बैंकों में खोला जा सकता है.
FD या RD
भारत में फिक्स्ड डिपॉजिट (FD), बचत के लिए एक सुरक्षित, आसान व पॉपुलर विकल्प माना जाता है. आप अपनी बच्ची के लिए FD शुरू कर सकते हैं. इस पर सेविंग्स अकांउट से अधिक ब्याज रहता है. अगर किसी कारणवश किसी स्कीम में एकमुश्त रकम जमा कर बचत नहीं कर सकते हैं तो रिकरिंग डिपॉजिट (RD) करा सकते हैं. RD की खास बात यह है कि इसमें आप हर माह अमाउंट डाल सकते हैं. आप अलग-अलग बैंकों के FD और RD रेट्स की तुलना कर अपनी सहूलियत के मुताबिक बैंक और अकाउंट चुन सकते हैं.
SIP की मदद से म्युचुअल फंड
अपनी बच्ची के लिए फंड इकट्ठा करने के लिए म्युचुअल फंड के विकल्प पर भी गौर कर सकते हैं. लेकिन ध्यान रहे कि म्युचुअल फंड में निवेश से पहले इसके बारे में पूरी तरह जान लें. जरूरत हो तो किसी फाइनेंशियल एडवायजर की सलाह ले लें. इसमें निवेश के लिए सिस्टेमेटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) मोड चुन सकते हैं. SIP की मदद से म्युचुअल फंड में हर माह एक फिक्स्ड अमाउंट डाल सकते हैं और बेटी के लिए चाहे जितने साल म्युचुअल फंड में निवेश कर सकते हैं. SIP के जरिए अपनी सहूलियत और जोखिम उठाने की क्षमता के आधार पर इक्विटी या डेट म्युचुअल फंड का चुनाव कर सकते हैं.
नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (NSC)
नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट (National Savings Certificate) एक फिक्स्ड इनकम इन्वेस्टमेंट स्कीम है. मिनिमम 1000 रुपये से निवेश शुरू किया जा सकता है. निवेश की कोई अधिकतम सीमा नहीं है. कोई भी भारतीय नागरिक किसी भी डाकघर (Post Office) से नेशनल सेविंग्स सर्टिफिकेट ले सकता है. NSC को सिंगल या ज्वॉइंट में, 10 साल से अधिक उम्र के नाबालिग द्वारा, नाबालिग के नाम पर वयस्क द्वारा, दिमागी रूप से कमजोर व्यक्ति के नाम पर उसके अभिभावक द्वारा खरीदा जा सकता है. NSC का मौजूदा इश्यू, VIII इश्यू है. स्कीम के तहत कितने ही अकाउंट खोले जा सकते हैं.
डाकघर NSC का मैच्योरिटी पीरियड 5 साल और मौजूदा ब्याज दर 6.8% सालाना है. NSC पर ब्याज की कंपाउंडिंग सालाना आधार पर होती है लेकिन ब्याज का पैसा मैच्योरिटी पर ही मिलता है. निवेश किए गए पैसे पर आयकर कानून के सेक्शन 80C के तहत डिडक्शन क्लेम किया जा सकता है.