‘LocaLegs’ लॉजिस्टिक और डिलीवरी कैरियर का नया सरताज
अप्रैल, 2015 में शुरू हुई ‘LocaLegs’चेन्नई में काम कर रहा है ‘LocaLegs’‘LocaLegs’ के पास 35 डिलीवरी बॉय
इंटरनेट के संसार में ई-कामर्स कंपनियों ने लोगों के बीच अपनी पैठ तो बनाई ही है, साथ ही साथ इसने एक नया बाजार भी तैयार किया है और वो है लॉजिस्टिक और डिलवरी कैरियर का। इस बाजार में यूं तो कई कंपनियां है लेकिन चेन्नई की ‘LocaLegs’ ने हाल ही में इस क्षेत्र में कदम रखा है। अप्रैल, 2015 में शुरू हुई इस कंपनी का लक्ष्य बी2बी मॉडल के तहत होम डिलीवरी के क्षेत्र में अपना अलग मुकाम बनाने का है। इनकी योजना नियमित तौर पर चल रहे स्टोर नहीं हैं बल्कि ये फ्लिपकार्ट और स्नेपडील जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों के लिए अपनी सेवाएं देने को तैयार हैं।
इस उद्यम की शरूआत की आईआईटी के पूर्व छात्र प्रतीक अग्रवाल और विवेक पोद्दार ने। प्रतीक छत्तीसगढ़ के बिलासपुर के रहने वाले हैं। जहां पर उनकी किसी भी सामान को लाने ले जाने की एजेंसी है और वो ये काम विभिन्न सीमेंट कंपनियों के लिए करते हैं। यही पर उन्होने लॉजिस्टिक के बारे में जानकारी ली और फैसला लिया कि वो चेन्नई जाएंगे जहां पर वो लॉजिस्टिक से जुड़ी कंपनी बनाएंगे। जल्द ही उनको विवेक का साथ भी मिल गया जो हाल ही में कनाडा से मास्टर्स कर लौटे थे और वो पार्ट टाइम नौकरी के तौर पर शहर के विभिन्न हिस्सों में खाना पहुंचाने का काम करते थे। इस दौरान उन्होने पाया कि भारत में वितरण प्रणाली कनाडा के मुकाबले काफी पीछे है और उन्होने स्थानीय तौर पर वितरण के क्षेत्र में कुछ अलग करने का फैसला लिया।
‘LocaLegs’ के सह-संस्थापक विवेक के मुताबिक बी2सी मॉडल के तहत हाइपरलोकल का बाजार काफी बिखरा हुआ है और इस क्षेत्र में 7 उद्यम पहले से काम कर रहे हैं। इतना ही नहीं ये लोग चाहते थे कि प्रौद्योगिकी का और अधिक इस्तेमाल और वितरण सेवाओं के क्षेत्र में ज्यादा कुछ किया जा सकता है। क्योंकि 90 प्रतिशत से ज्यादा हाइपरलोकल कंपनियों को प्रौद्योगिकी के साथ जोड़ने की जरूरत है। फिलहाल सात सदस्यों के इस उद्यम में नेटवर्क चलाने के लिए चेन्नई में 35 डिलीवरी बॉय की नियुक्ति की गई है। अब इन लोगों की योजना अपना कारोबार साल के अंत तक मुंबई में भी शुरू करने की है। जिसके बाद इनकी नजर अहमदाबाद, जयपुर जैसे टीयर 1 और 2 शहरों पर लगी है। कंपनी ने अपनी कारोबारी रणनीति के तहत मार्केटिंग में कुछ बदलाव किये हैं। इनका मुख्य ध्यान फॉर्मा, किराना और ई-कॉमर्स पर है।
कंपनी के सह-संस्थापकों का मानना है कि पहले से तय खर्चों के बावजूद उनका उद्यम फिलहाल घाटे में हो सकता है क्योंकि उन्होने वेबसाइट और ऐप में निवेश कर अपनी रणनीति में कुछ बदलाव किये हैं। फिर भी इन लोगों को आशा है कि इनके बढ़िया बिजनेस प्लान से ये इस मुश्किल से बाहर आ जाएंगे। इन लोगों की योजना तकनीक के क्षेत्र में कुछ बदलाव लाने की है ताकि डिलवरी बॉय की लोकेशन का कभी भी पता लगाया जा सके। विवेक के मुताबिक अगर डिलवरी बॉय किसी जगह पर लंबे वक्त तक रहता है या फिर वो सही जगह नहीं पहुंच पाता है तो सिस्टम उसे अलर्ट मैसेज भेजेगा। इसके अलावा ये डिलवरी बॉय को जानकारी देगा कि उसका फोन जल्द ही डिस्चार्ज होने वाला है। ‘LocaLegs’ तकनीक के जरिये विश्लेषणात्मक जानकारी का इस्तेमाल अपने संसाधनों के बेहतर इस्तेमाल करने पर खास जोर दे रहा है। अपने काम को और गति देने के लिए इन लोगों को तलाश है निवेशक की। जिसके लिए ये लोग कुछ निवेशकों के साथ सम्पर्क में हैं।
‘LocaLegs’ के सह-संस्थापकों का कहना है कि ये लोग दिन भर करीब 200 डिलवरी करते हैं और हर पैकेट का दाम औसतन 500 रुपये होता है। इस तरह ये लोग हर दिन 1 लाख रुपये की आय प्राप्त कर रहे हैं। इन लोगों का दावा है कि उनका उद्यम हर हफ्ते 76 प्रतिशत की रफ्तार से बढ़ रहा है। साल के अंत तक इन लोगों का लक्ष्य हर रोज करीब 10 हजार डिलवरी करने का है। ताकि आय में इजाफा हो सके। इन लोगों को सबसे ज्यादा समस्या डिलवरी स्टॉफ के साथ आती है जो एक दिन आते हैं और अगले दिन नहीं आते। यही वजह है कि ये लोग अब तक 150 डिलवरी स्टॉफ का इंटरव्यू कर चुके हैं लेकिन उनमें से सिर्फ 40 लोगों ने इनकी नौकरी को पसंद किया। खास बात ये है कि ये अपने यहां किसी को भी नौकरी पर रखने से पहले उसकी पृष्ठभूमि देखते हैं और उसको जरूरी ट्रेनिंग देते हैं। वहीं दूसरी ओर इस क्षेत्र के दूसरे खिलाड़ी डिलवरी स्टॉफ की सैलरी बढ़ाते रहते हैं जो इनके लिए परेशानी का सबब बनती है। LocaLegs अपने डिलवरी स्टॉफ की कमी को दूर करने के लिए विभिन्न एनजीओ से बातचीत कर रहा है ताकि वो उनकी मदद करने के साथ साथ नौकरी के बेहतर मौके दे सके।