सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद महागर में एसिड बिक्री का है ऐसा हाल
एसिड बिक्री को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने भले ही निर्देश जारी दिये हैं, लेकिन जमीनी हकीकत फिर भी एकदम इतर है। आज बैंगलोर जैसे महानगर में भी एसिड आम हार्डवेयर की दुकान में आसानी से उपलब्ध है।
एसिड बिक्री के संबंध में सुप्रीम कोर्ट का आदेश आए हुए सात साल हो चुके हैं, लेकिन एसिड बिक्री को लेकर अभी भी कोई नियमों का पालन करना हुआ नज़र नहीं आ रहा है। बेंगलुरु जैसे महानगर में भी एसिड खरीददारी के लिए दुकानों में आसानी से उपलब्ध है।
हालातों को देखते हुए पुलिस भी यह मानती है कि एसिड हमलों के लिए इसकी आसानी से उपलब्धता भी बड़ी जिम्मेदार है। डेक्कन हेराल्ड कि एक रिपोर्ट के अनुसार बेंगलुरु में आम हार्डवेयर की दुकानों में एसिड महज 45 रुपये की कीमत पर आसानी से मौजूद है।
लोग बड़ी तादाद में एसिड का उपयोग घरों में टॉयलेट व टाइल्स की सफाई के लिए किया जाता है, ऐसे में एसिड की बिक्री आम होने चलते दुकानदार भी खरीददार से पहचान पत्र आदि नहीं मांगते हैं।
चिकित्सकों का भी मानना है कि एसिड की आसान उपलब्ध्ता इन हमलों की मुख्य कारक है, हालांकि पिछले कुछ सालों में एसिड हमलों में ख़ासी कमी आई है, लेकिन फिर भी अभी यह संख्या ज़ीरो नहीं हो पाई है।
डेक्कन हेराल्ड से बात करते हुए विक्टोरिया अस्पताल में प्लास्टिक सर्जरी डिपार्टमेन्ट के हेड रमेश केटी ने कहा,
“हमारे पास साल में दो से तीन पीड़ित आते हैं, जिनके चेहरे और हाथों पर एसिड फेंका गया होता है। ऐसे केसों में पीड़ित बुरी तरह झुलसा हुआ होता है, कई बार पीड़ित अपने आँखों की रोशनी भी खो देता है।”
एसिड अटैक हमले में 30 प्रतिशत पीड़ित को भी 45 से 50 दिनों तक अस्पताल में रहना पड़ता है, जबकि इसके इलाज के दौरान पीड़ित को 3 से 5 लाख रुपये का खर्च आता है।
एसिड अटैक के दोषी को सेक्शन 326ए के तहत कम से कम 10 साल की सजा और जुर्माने का प्रावधान है। गंभीर हमले में दोषी को अजीवन कारावास या फांसी भी हो सकती है।