Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

दिवाली सिरीज: इस बार रोशनी के उल्लास पर भारी पटाखा कारोबार की मनहूस उदासी

दिवाली पर मंद-मंद मुस्काती मंदी: एक

दिवाली सिरीज: इस बार रोशनी के उल्लास पर भारी पटाखा कारोबार की मनहूस उदासी

Thursday October 03, 2019 , 4 min Read

"करोड़ों भारतीय दिलों में रोशनी का उल्लास जगाती हुई दिवाली आ रही है और त्रिजटा की तरह मंदी... मंद-मंद मुस्का रही है। हीरा कारोबारी सावजी ढोलकिया पर इस बार बोनस तो दूर, अपने कर्मचारियों को सैलरी देना भी भारी पड़ रहा है। बाजार का चेहरा उतरा हुआ है, पटाखा मार्केट उदास है। फिलहाल, कुबेर सपने बुने जा रहे हैं।"

k

सांकेतिक फोटो (pixabay)

भारत का आम आदमी इस समय, इस माह 27 अक्तूबर को आ रही दिवाली के अपने मंगल-अमंगल पर और बाजार दोनों हाथ से कमाई पर माथापच्ची कर रहा है। दिवाली तेल और सोने का भी त्योहार है। फिलहाल, इस छोटी सी खबर को बड़े फलक पर रखकर जरा सोचिए कि ऐसा क्या हो गया है, जो हर साल दिवाली पर अपने कर्मचारियों को महंगी-महंगी गाड़ियां और फ्लैट गिफ्ट करने वाले सूरत के हीरा कारोबारी सावजी ढोलकिया पर इस बार बोनस तो दूर, अपने कर्मचारियों को सैलरी देना भी भारी पड़ रहा है।


वह कह रहे हैं,

'इस वक्त हीरा उद्योग में जिस तरह की मंदी है, उतनी तो 2008 में भी नहीं थी। बड़े-बड़े बोनस-गिफ्ट नहीं, उन्हें चिंता है कि वह फिलहाल, अपने कर्मचारियों को सैलरी कैसे दें।'

उल्लू, अपशकुन का प्रतीक और लक्ष्मी का वाहन है। शिकारियों और तांत्रिकों ने उनका भी जीना मुहाल कर रखा है। धन-कुबेर घरानों में उदासी पसरी हुई है।


भारत सरकार इस चिंता में है कि तेल की मांग 3.21 फीसदी बढ़कर 48.8 लाख बैरल प्रतिदिन होने की ओर है। कार कंपनियों का बेड़ा गर्क हो रहा है। जलवायु आपदा के बीच दिवाली का धुंआ घना होने वाला है। सुप्रीम कोर्ट की लगाम से बारूद (आतिशबाजी) कारोबारी माथा पकड़े बैठे हैं। आखिर बात क्या है कि इस समय कच्चा तेल तो मजबूती से कारोबार कर रहा है लेकिन दिवाली सिर पर होने के बावजूद अंतर्राष्ट्रीय बाजार में सोना 0.41 फीसदी और चांदी 0.80 फीसदी की गिरावट पर है।


"डालर के मुकाबले रुपए के कमजोर पड़ने और कच्चा तेल मजबूत होने का भी स्थानीय बाजार में कीमती धातुओं पर असर देखा जा रहा है। नॉयमेक्स क्रूड 0.38 फीसदी की तेजी के साथ 56.00 डॉलर के आसपास है तो ब्रेंड क्रूड 0.05 फीसद कमजोरी के साथ 62 डॉलर के आसपास कारोबार कर रहा है।"




खैर, दिवाली आ रही है तो आतिशबाजी की बात सबसे पहले। तोक्यो की एक स्टार्टअप कंपनी ने अगले साल की शुरुआत में हिरोशिमा के आसमान में आकाशीय उल्का पिंड की कृत्रिम आतिशबाजी दिखाने के लिए एक सूक्ष्म उपग्रह तैयार किया है। इसके प्रारंभिक प्रयोग को ‘शूटिंग स्टार्स ऑन डिमांड’ नाम दिया गया है। यह उपग्रह ऐसे छोटे-छोटे गेंद के आकार वाले पदार्थ को अंतरिक्ष में छोड़ेगा, जो धरती की परिधि में प्रवेश करने पर ठीक उसी तरह जल उठेंगे जैसे प्राकृतिक उल्का पिंड।


फिलहाल, दिवाली के मद्देनजर बात भारत में हर साल हो रहे 65 हजार करोड़ के पटाखा कारोबार की, जिसका करीब 1000 करोड़ रुपए का 90 फीसदी बिजनेस इसी त्योहार पर होता है। इसमें बीस फीसद हिस्सेदारी तो अकेले दिल्ली की रहती है। पटाखा रीटेलर को चीन के पटाखों पर 35-50 फीसदी तक का मार्जिन मिलता है, जो लगभग डेढ़ हजार करोड़ का पटाखा कारोबारी है और हर वक्त अपना भारत में घुसाने पर आमादा रहता है। इस बार मंदी और सुप्रीम कोर्ट के पुराने फरमान ने पटाखा कारोबार को औंधेमुंह कर रखा है। 


"इस ताज़ा त्योहारी पर्यावरण में मंदी मंद-मंद मुस्का रही है। बाजारों की सांस तर-ऊपर चल रही है लेकिन बाजार के चिंतक थपकियां दिए जा रहे हैं कि घबराइए नहीं, सोना सब कुछ ठीक कर देगा। इस वक़्त भले शेयर बाजार टूट रहे हों, प्रॉपर्टी बाजार ठंडा पड़ा हो लेकिन इस पीली धातु की चमक अभी कुछ और समय तक बनी रहेगी। दिवाली तक इसकी कीमत नया रिकॉर्ड बना सकती है।"


इस बीच अटकलें तो ऐसे भी इशारे कर रही हैं कि कीमतों में उछाल का नकारात्मक असर बिक्री पर पड़ सकता है, जिससे सारी परिस्थितियां पलट सकती हैं। फिलहाल, इतना मानकर चलिए कि यदि डॉलर के मुकाबले रुपया 72 रुपये प्रति डॉलर के स्तर पर रहता है तो सोना अंतरराष्ट्रीय बाजार में 1,580 डॉलर प्रति औंस तक जा सकता है। हालांकि, इसके बाद इसमें नरमी आ सकती है।


-इस दिवाली बाज़ार से जुड़े रहने के लिए पढ़ते रहें योरस्टोरी की खास सीरीज़ "दिवाली पर मंद-मंद मुस्काती मंदी")


(क्रमशः)