महिलाएँ क्यों छोड़ देती हैं इंजीनियरिंग पेशा..
इंजीनियर बनने के सपने के साथ कॉलेजों में दाखिला लेने वाली महिलाएंँ पुरूषों की तुलना में कम ही इस पेशे में बनी रह पाती हैं, क्योंकि खासकर इंटर्नशिप या टीम आधारित शैक्षिक गतिविधियों के दौरान वह खुद को पृथक महसूस करने लगती हैं।
अनुसंधानकर्ताओं ने कहा है कि ऐसी स्थितियों में लिंग के आधार पर देखें तो पता चलता है कि सबसे चुनौतीपूर्ण कामों में पुरूषों को लगाया जाता है, जबकि महिलाओं को सामान्य कार्य और साधारण प्रबंधकीय जिम्मेदारियां सौंपी जाती हैं।
लोगों ने बताया कि टीम आधारित कार्य परियोजनाओं के दौरान भी ऐसा होता है और इस कारण ये पेशा उन्हें बहुत अधिक प्रभावित नहीं करता।अमेरिका के मैसाचुसेट्स इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एमआईटी)की सुसान सिल्बे ने बताया, ‘‘इसमें निकलकर सामने आया है कि लिंग से बहुत अधिक अंतर पैदा हो जाता है। यह एक सांस्कृतिक घटना है।’’ परिणामस्वरूप बहुत अधिक महत्वाकांक्षा के साथ पेशे में आयी महिलाओं का इन अनुभवों के कारण पेशे से मोहभंग हो जाता है।
अनुसंधानकर्ताओं ने बताया कि इंजीनियर स्नातक की कुल 20 प्रतिशत डिग्री महिलाओं को मिलती है लेकिन केवल 13 प्रतिशत महिलाएं ही इस पेशे में बनी रह पाती हैं। इस अध्ययन का प्रकाशन वर्क एंड ऑक्यूपेशन्स जर्नल में हुआ है। (पीटीआई )