उदय प्रकाश की पांच कविताएं
उदय प्रकाश देश के चर्चित कवि, कथाकार, पत्रकार और फिल्मकार हैं।
साहित्य प्रेमियों के लिए उदय प्रकाश का नाम नया नहीं है। हिन्दी साहित्य में उदय प्रकाश ने बहुत बड़ी भूमिका निभाई है या फिर ये कहें, कि हिन्दी साहित्य की चर्चा उनके नाम के बगैर अधूरी है। उदय प्रकाश देश के चर्चित कवि, कथाकार, पत्रकार और फिल्मकार हैं। उनकी कई कृतियां को अंग्रेज़ी, जर्मन, जापानी एवं अन्य अंतर्राष्ट्रीय भाषाओं में अनुवाद भी उपलब्ध हैं और समस्त भारतीय भाषाओं में रचनाएं अनूदित हैं। उदय प्रकाश कई टीवी धारावाहिकों के निर्देशक व पटकथाकार भी रह चुके हैं। मंच पर उनकी कहानियों के नाट्यरुपांतर देखते हुए दर्शक भावविभोर हो जाते हैं। यहां पढ़ें उनकी पांच सुंदर कविताएं...
पिंजड़ा
चिड़िया
पिंजड़े में नहीं है।
पिंजड़ा गुस्से में है
आकाश ख़ुश।
आकाश की ख़ुशी में
नन्हीं-सी चिड़िया
उड़ना
सीखती है।
डाकिया
डाकिया
हांफता है
धूल झाड़ता है
चाय के लिए मना करता है
डाकिया
अपनी चप्पल
फिर अंगूठे में संभालकर
फँसाता है
और, मनीआर्डर के रुपये
गिनता है।
वसंत
रेल गाड़ी आती है
और बिना रुके
चली जाती है ।
जंगल में
पलाश का एक गार्ड
लाल झंडियाँ
दिखाता रह जाता है।
शरारत
छत पर बच्चा
अपनी माँ के साथ आता है।
पहाड़ों की ओर वह
अपनी नन्हीं उंगली दिखाता है।
पहाड़ आँख बचा कर
हल्के-से पीछे हट जाते हैं
माँ देख नहीं पाती।
बच्चा
देख लेता है।
वह ताली पीटकर उछलता है
--देखा माँ, देखा
उधर अभी
सुबह हो जाएगी...
तिब्बत
तिब्बत से आये हुए
लामा घूमते रहते हैं
आजकल मंत्र बुदबुदाते
उनके खच्चरों के झुंड
बगीचों में उतरते हैं
गेंदे के पौधों को नहीं चरते
गेंदे के एक फूल में
कितने फूल होते हैं
पापा?
तिब्बत में बरसात
जब होती है
तब हम किस मौसम में
होते हैं?
तिब्बत में जब
तीन बजते हैं
तब हम किस समय में
होते हैं?
तिब्बत में
गेंदे के फूल होते हैं
क्या पापा?
लामा शंख बजाते है पापा?
पापा लामाओं को
कंबल ओढ़ कर
अंधेरे में
तेज़-तेज़ चलते हुए देखा है
कभी?
जब लोग मर जाते हैं
तब उनकी कब्रों के चारों ओर
सिर झुका कर
खड़े हो जाते हैं लामा
वे मंत्र नहीं पढ़ते।
वे फुसफुसाते हैं ….तिब्बत
..तिब्बत …
तिब्बत - तिब्बत
….तिब्बत - तिब्बत - तिब्बत
तिब्बत-तिब्बत ..
..तिब्बत …..
….. तिब्बत -तिब्बत
तिब्बत …….
और रोते रहते हैं
रात-रात भर।
क्या लामा
हमारी तरह ही
रोते हैं
पापा?