आप बताएं तो, क्या परेशानी है? "QYK" पर प्लंबर से लेकर फोटोग्राफर तक, सब मिलेगा...
किसी भी प्रकार के सेवा संबंधित कार्य के पेशेवर को तलाशने के लिये आसान मोबाइल एप्लीकेशन है क्विकअपने शादी के लिये फोटोग्राफर की तलाश करते करते दीपक सिंघल के मन में आया इस एप्लीकेशन को शुरू करने का विचारदीपक के अलावा उनके मित्रों शोभित, संघर्ष और अनुभव की मेहनत और दिमाग का नतीजा है क्विकफिलहाल प्रतिदिन करीब 100 आवेदनों को आने वाले दिनों में 5 हजार तक पहुंचाना है लक्ष्य
आज की दुनिया मोबाइल एप्लीकेशंस की दुनिया है और आप नकदी के हस्तांतरण और बिलों के भुगतान करने से लेकर डाॅक्टरों को खोजने तक का काम आपकी उंगलियों के एक क्लिक के द्वारा कहीं भी बैठकर संपन्न कर सकते हैं। Qyk (क्विक) ऐसी ही एक मोबाइल एप्लीकेशन है जो आपको अपने विभिन्न कामों को करने में मदद करने के लिये सत्यापित और प्रासंगिक सेवा पेशेवरों को उपलब्ध करवाने का दावा करता है।
इनका दावा है कि इनके पास फोटोग्राफरों, ईवेंट आयोजकों, इंटीरियर डिजाइनरों से लेकर निजी योग प्रशिक्षकों सहित 100 से भी अधिक श्रेणियों के पेशेवर मौजूद हैं। क्विक के सहसंस्थापक और सीईओ दीपक सिंघल का कहना है कि उनके उपभोक्ता कुछ क्षणों के प्रयास करने के साथ ही अपनी पसंद के बेहतरीन पेशेवरों के साथ खुद को जोड़ने में सफल हो पाते हैं।
कई अन्य स्टार्टअप्स की तर्ज पर क्विक भी एक व्यक्तिगत खोज और अनुभव के नतीजे के रूप में सामने आया। अपनी शादी की तैयारियों के दौरान दीपक एक अच्छे वैडिंग फोटोग्राफर की तलाश में थे। हालंाकि उन्हें एक अच्छे फोटोग्राफर को तलाशने में एड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा और उन्होंने अपने कई मित्रों की भी सहायता ली लेकिन फिर भी वे असफल ही रहे।
दीपक कहते हैं, ‘‘मैंने फोटोग्राफरों को आॅनलाइन भी तलाशने का प्रयास किया लेकिन जल्द ही मैं इस नतीजे पर पहुंचा कि वहां पर भी उनके बारे में पर्याप्त जानकारी उपलब्ध नहीं है कि मैं किसी एक को चुनने का निर्णय ले सकूं। आखिरकार तीन सप्ताह की खोज और मेहनत के बाद मैं एक अच्छा फोटोग्राफर तलाशने में सफल रहा।’’ और यहीं से क्विक की अवधारणा की नींव पड़ी जो लोगों की आवश्यकता की हर सेवा के लिये एकल विपणन केंद्र बनकर उभरा है।
टीम के निर्माण की कहानी
दीपक और उनके मित्र शोभित अर्बन टच नामक संस्थान में एक साथ कम रहे थे। उसी दौरान दोनों अपना खुद का एक उद्यम शुरू करने के अवसरों को भी तलाश रहे थे। दीपक और शोभित दोनों के मित्र संघर्ष और अनुभव भी अक्सर उनकी इस सोच में उनके सहभागी होते थे। कई दौर के मंथन और संघर्ष के बाद आखिरकार वर्ष 2014 में क्विक की नींव पड़ी।
क्विक के काम करने का तरीका
उपभोक्ता को इनके पोर्टल या एप्लेकेशन पर जाने के बाद अपनी जरूरत की सेवा के साथ-साथ अपने इलाके का पिनकोड भी उपलब्ध करवाना होता है। इसके बाद कुछ प्रासंगिक प्रश्नों के उत्तर देने के बाद उनके अनुरोध की प्रक्रिया को आगे बढ़ाया जाता है। इसके बदले में उनकी टीम उपभोक्ता की आवश्यकता के अनुसार प्रासंगिक पेशेवरों के साथ संपर्क साधते हुए कोटेशन इकट्ठी करती है। इसके बाद उपभोक्ता को तीन सर्वश्रेष्ठ कोटेशन का विकल्प दिया जाता है जिनमें से वह किसी एक को चुन सकता है।
दीपक कहते हैं, ‘‘तीन महीनों के छोटे से समय में शून्य से प्रतिदिन के 100 अनुरोधों तक पहुंचने में सफल रहे हैं। इस टीम का लक्ष्य आने वाले 12 महीनों में देश के पांच शहरों में प्रतिदिन के 5 हजार से अधिक अनुरोधों की संख्या को पार करने का है। वर्तमान में इनका राजस्व का माॅडल कमीशन पर आधारित है।
दीपक के अपुसार क्विक की सफलता का राज इसकी तकनीक में छिपा है। उनका कहना है कि उन्होंने सेवा प्रदाताओं को उपभोक्ताओं तक पहुंचाने और सबका समय और प्रयास की बचत करने के लिये अत्याधिक दक्ष एल्गोरिद्म का निर्माण किया है। दीपक कहते हैं, ‘‘हम इसे तकनीक के नेतृत्व वाले एक समाधान के रूप में देखते हैं। और इसे संभव करने के लिये हमारे पास एक सटीक टीम और उपयुक्त कौशल है।’’
उभरता हुआ बाजार
वर्तमान में क्विक मुख्यतः मेट्रो शहरों में रहने वालों पर आधारित है। दीपक के अनुसार उनका लक्ष्य व्यस्त युवा पेशेवर हैं। दीपक कहते हैं, ‘‘इन लोगों को अपने मोबाइल पर कुछ क्लिक करने के साथ ही अपने कामों को करवाने की आदम है और यही हमारी कंपनी की खासियत है जिससे हम समय और प्रयास के बचत के अपने वादे पर खरा उतरते हैं। इसके अलावा आने वाले दिनों में हमारा इरादा मझोले शहरों में भी विस्तार करने का है।’’
चुनौतियों के बारे में बात करते हुए दीपक बताते हैं कि पेशेवरों का सत्यापन करना एक बड़ा चुनौतीपूर्ण ओर मुश्किल काम है। हम अपने साथ जुड़े पेशेवरों की पात्रता जांचने के लिये समय-समय पर इन-हाउस गुणवत्ता जांच प्रक्रियाओं का आयोजन करते रहते हैं। इसके बाद अपने साथ जुड़े उपभोक्ताओं को बेहतरीन सुविधाएं उपलब्ध करवाना सुनिश्चित करने के लिये क्विक इन पेशेवरों को प्रशिक्षण उपलब्ध करवाने का काम भी करती है।
उद्योग का परिदृश्य
मरम्मत, पलंबर का काम, मेड सर्विस ओर बिजली के बिगड़े हुए उपकरणों से संबंधित सेवाओं के लिये अभी भी हमारे देश के लोग पारंपरिक रूप में गली-मोहल्लों में स्थित दुकानों पर निर्भर रहते हैं। तेजी से व्यवस्त होते कार्यक्रमों के बीच ऐसे छोटे-मोटे कामों के लिये समय निकालना एक बेहद मुश्किल काम होता जा रहा है।
वैश्विक परिदृश्य पर नजर डालें तो दुनिभर में येल्प, फाइंड होम सर्विसेज, होम इंप्रूवमेंड एंड रिमाॅडलिंग के अलावा कई अन्य खिलाड़ी मैदान में हैं। भारत में भी धीरे-धीरे अर्बनक्लैप, नैनोजाॅब्स, हेयानाओ और अर्बनप्रो जैसे कई नए एप्लीकेशन और मंच अपनी जगह बनाने में कामयाब हो रहे हैं।
सेवा आधारित संगठन जल्द ही इस बिखरे हुए बाजार में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने के प्रयासों में लगे हुए हैं। 100 बिलियन अमरीकी डाॅलर से भी अधिक के अनुमानित इस बाजार में अब कई निवेशकों ने भी ध्यान देना प्रारंभ कर दिया है। इसी वर्ष अप्रैल के महीने में एक्सेल पार्टनर्स और सैफ पार्टनर्स ने अर्बनक्लैप में 1.6 मिलियन अमरीकी डाॅलर का निवेश किया है। इसके अलावा टास्कजाॅब ने भी मेफील्ड और ओरियाॅस वेंचर पार्टनर के द्वारा करीब 8 करोड़ रुपयों का निवेश पाने में सफलता हासिल की है।