एक्सक्लूसिव: सचिन बंसल और भाविश अग्रवाल ने ओला में सबसे बड़े डोमेस्टिक इन्वेस्टमेंट के बारे में की बात
हम सभी ने भारतीय स्टार्टअप के सबसे बड़े नामों में से एक और फ्लिपकार्ट के को-फाउंडर सचिन बंसल के भाविश अग्रवाल की कंपनी ओला कैब्स में इन्वेस्टमेंट के बारे में खबरें सुनी हैं। सचिन ने ओला में 92 मिलियन डॉलर यानी 650 करोड़ रुपये इन्वेस्ट किये हैं। यह रकम सचिन को फ्लिपकार्ट से मिली कुल राशि का दस फीसदी है। ओला की स्थापना भाविश ने की थी जो कि वैश्विक कंपनी उबर को घरेलू और विदेशी मार्केट में भी टक्कर दे रही है।
कल दो उद्यमियों के मिलने के बाद मुझे एहसास हुआ कि भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम कितना आगे आ गया है। 2009 की शुरुआत से अब 2019 तक, ये फाउंडर्स अनुभवी उद्यमियों में बदल गए हैं। यह जोड़ी एक समय में "स्टार्टअप बॉय" होने के कारण वैश्विक स्टार्टअप इकोसिस्टम में बड़े नाम के साथ आगे बढ़ी है। साथ ही, इन्होंने अपना प्रभाव क्षेत्र बनाया है। भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम वैश्विक स्तर पर समस्याओं का समाधान करने वाले व्यवसायों का निर्माण कर रहा है।
सचिन का ओला में इन्वेस्ट करना एक बड़ा दांव है और अब तक किसी भी व्यक्ति द्वारा किसी कंपनी में किया गया यह सबसे बड़ा घरेलू निवेश है। यह ओला जैसे घरेलू स्टार्टअप में दुनिया के लिए भरोसा पैदा करने वाला संकेत भी है। यह भारतीय स्टार्टअप इकोसिस्टम को परिभाषित करने वाले निवेशों की अगली लहर के शुरुआती संकेतों को भी प्रदर्शित करता है जहां अनुभवी भारतीय उद्यमी प्रभाव पैदा करने वाले छोटे नामों पर बड़ा दांव खेलते हैं।
इस ऐतिहासिक सौदे के बारे में बात करते हुए, भाविश अग्रवाल ने YourStory को बताया,
'भारतीय स्टार्टअप इंडस्ट्री में अभी तक ऐसा इन्वेस्टमेंट नहीं किया गया है। इसलिए ओला में हर किसी के लिए ये प्रोत्साहित होने वाली बात है कि सचिन हमारे सफर में भरोसा रख रहे हैं और विश्वास भी दिखा रहे हैं। हम भी उत्साहित हैं कि सचिन के अनुभव से हम क्या सीख सकते हैं।'
ओला ने अब तक 3.5 बिलियन डॉलर जुटाए हैं जिसके निवेशकों में में टेमासेक और सॉफ्टबैंक जैसे नाम शामिल हैं। ओला में सचिन का निवेश एक श्रृंखलाबद्ध जे फंडिंग राउंड का हिस्सा है जिससे कंपनी की वैल्यू 6 बिलियन डॉलर हो सकती है। सचिन और भविश दोनों शर्मीले स्वभाव के हैं। उन्होंने एक वीडियो इंटरव्यू में बताया कि यह सौदा उनके लिए क्या मायने रखता है और अब ओला में आगे क्या होगा।
दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ निवेश करना
ओला में एक निवेशक के रूप में, सचिन कहते हैं कि वह लंबे समय से इस बारे में सोच रहे हैं। वे कहते हैं, 'मैं ओला में एक दीर्घकालिक दृष्टिकोण के साथ निवेश कर रहा हूं। किसी ने सही कहा है कि अगर आप दो साल से कम सोचते हैं, तो यह सब अटकलें हैं; यह वास्तव में निवेश नहीं है। निवेश का मतलब है, आपको वहाँ रहना होगा।'
अभी तक भारतीय स्टार्टअप्स ने बड़े पैमाने पर निवेश के लिए विदेशी धन पर ही भरोसा किया है। इससे यह साबित हुआ कि विदेशी कंपनियों का मुकाबला करने के लिए घरेलू स्तर पर धन की कमी है। इसलिए सचिन बंसल का लंबी प्रतिबद्धता के साथ ओला में निवेश करना एक स्वागत योग्य कदम है।
सचिन ने कहा, 'मैं इस बात में बड़ा यकीन रखता हूं कि इस स्पेस में काफी वैल्यू क्रिएशन होगा। यह बहुत संतोषजनक होने वाला है क्योंकि किसी भारतीय कंपनी ने वैश्विक स्तर और वैश्विक दृष्टि बनाए रखते हुए काफी अच्छा काम किया है।' इस निवेश के पीछे अगर हम देखें तो भाविश और सचिन के व्यक्तिगत संबंधों का प्रभाव दिखता है। उनके बीच उद्यमशीलता के लिए पारस्परिक सम्मान और प्यार भी है।
सचिन कहते हैं, 'हम काफी लंबे समय से दोस्त हैं शायद 2012 या 2013 से। तब से हम अक्सर मिलते रहते हैं। बीते साल फ्लिपकार्ट वाले मामले के बाद मेरे पास कुछ पैसे आ गए थे तो यह स्वाभाविक था कि मैं भाविश से पूछूं कि क्या उन्हें इस तरह के इन्वेस्टमेंट में कोई दिलचस्पी है।' सचिन का ओला में निवेश करना यह भी दिखाता है कि किसी स्टार्टअप से निकलने के बाद नए उपक्रमों को बढ़ावा देना महत्वपूर्ण हो जाता है।
सचिन ने फ्लिपकार्ट में अपनी हिस्सेदारी बेचकर लगभग 1 बिलियन डॉलर की कमाई की। उन्होंने अपनी ऑनलाइन ईकॉमर्स कंपनी को बिन्नी बंसल के साथ मिलकर पिछले साल वॉलमार्ट को बेच दिया था। उन्होंने पहले से ही कई भारतीय स्टार्टअप्स में निवेश किया है, जिसमें हेल्थटेक स्टार्टअप सिगटपल और एडटेक स्टार्टअप अनएकेडमी शामिल हैं, जो वैश्विक समाधान बनाने वाले व्यवसायों पर ध्यान केंद्रित हैं और अच्छा काम भी कर रहे हैं। सचिन कहते हैं कि इसके बाद ओला में निवेश करना एक स्वाभाविक फैसला था।
वे आगे कहते हैं, 'मैंने शुरू से ही भाविश का सफर देखा है कि कैसे वे एक उद्यमी के रूप में खुद को ढाल पाए हैं। मैंने ओला का भी सफर देखा है कि कैसे यह कंपनी उतार चढ़ाव और कई चुनौतियों से गुजरी है। ओला ने चुनौतियों का सामना करते हुए मुश्किलों का हल भी निकाला है। इसलिए मेरे लिए ओला में निवेश करना स्वाभाविक था और मुझे इसके लिए खुशी भी है।'
सचिन को "आदर्श और एक प्रेरणा" मानते हुए, भाविश कहते हैं कि सचिन जैसे उद्यमियों से प्रेरणा लेकर उनकी उद्यमशीलता की यात्रा शुरू हुई थी। भाविश आगे बताते हैं,
'मुझे याद है जब मैं अपने माता-पिता से खुद का स्टार्टअप शुरू करने के बारे में कहता था तो वे काफी संशय में थे। लेकिन फिर मैंने उन्हें सचिन का उदाहरण दिया। उन्हें जानने के बाद मैंने सचिन की बड़ी महत्वकाक्षांएं और उनके लिए काम करते हुए देखा। वे मेरे लिए हमेशा से प्रेरणास्रोत रहे हैं। मुझे भरोसा है कि यह साझेदारी काफी बड़े मुकाम हासिल करेगी।'
सचिन, जो पहले से ही भारतीय स्टार्टअप में लगभग 12 निवेश कर चुके हैं, ने दिसंबर में अपनी होल्डिंग कंपनी बीएसी एक्विजिशन को पंजीकृत किया। कॉरपोरेट मामलों के मंत्रालय के साथ फाइलिंग के अनुसार, सचिन की होल्डिंग कंपनी में 99.01 प्रतिशत हिस्सेदारी है, जिसका उपयोग शुरुआती-टू-मिड-स्टेज स्टार्टअप में निवेश करने की संभावना है।
एक निवेशक बनाम उद्यमी के रूप में अपनी भूमिका के बारे में बोलते हुए, सचिन कहते हैं कि उन्हें फिर से शुरू होने की 83 प्रतिशत संभावना है, लेकिन अपने निवेश के बारे में अधिक संजीदा होने की बात कहते हैं।
सचिन कहते हैं, 'मैं लंबे समय से निवेश कर रहा हूं। आगे चलकर मैं उन कंपनियों में निवेश करूंगा जो दिलचस्प समस्याओं का समाधान करने की दिशा में काम कर रहे हैं। हालांकि मैं फुलटाइम इन्वेस्टर नहीं बनने वाला हूं लेकिन मैंने कई सारे इन्वेस्टमेंट कर दिए हैं। मेरा भरोसा मजबूत है और ओला में निवेश करना इसका बेहतर उदाहरण भी है।'
ओला की संभावनाएं और प्रभाव
आठ साल पहले ओला की शुरुआत करने वाले भाविश कहते हैं कि उनके लिए और उद्यमियों के लिए सबसे बड़ी प्रेरणा यह है कि बड़े पैमाने पर प्रभाव पैदा किया जाए। वे कहते हैं, 'हमारे लिए प्रेरक शक्ति यही रही है कि लोगों का जीवन बदला जाए और सुधार भी जाए। गतिशीलता और परिवहन की अच्छी सुविधा हर किसी की जरूरत है और यही वो क्षेत्र है जहां लोगों का सबसे ज्यादा पैसा जाता है हमारा सबसे ज्यादा ध्यान इस बात पर रहता है कि हम आधुनिक तकनीकों को अपनाकर परिवहन के भविष्य को कैसे बेहतर कर सकते हैं ताकि इसमें शामिल हर व्यक्ति को अच्छा अनुभव मिल सके।'
ओला का दावा है कि भारत में ओला के 12 करोड़ से भी ज्यादा उपभोक्ता हैं और दस लाख से अधिक ड्राइवर और पार्टनर्स हैं। ओला के मुताबिक कंपनी हर साल अपने प्लेटफॉर्म के माध्यम से एक अरब यात्राएं करवाती है। सचिन का यकीन है कि ओला ने बीते साल अंतरराष्ट्रीय बाजार में पदार्पण किया था और इसलिए यह कंपनी एक बड़ी कंपनी के रूप में उभर कर सामने आई है। उनका कहना है कि परिवहन क्षेत्र में इससे काफी तरक्की होने की संभावना है।
वे कहते हैं, “अगर हम थोड़ा पीछे देखें जब फ्लिपकार्ट की शुरुआत हुई थी तब भारत जीडीपी 1 ट्रिलियन डॉलर थी; आज, यह 3 ट्रिलियन डॉलर है। इसलिए हमने एक लंबा सफर तय किया है। भारतीय टेक कंपनियों को अर्थव्यवस्था के इस विकास से बेहद लाभ होगा। परिवहन क्षेत्र बड़े पैमाने पर होने जा रहा है और ओला बहुत अच्छी स्थिति में है।”
ओला ने ऑस्ट्रेलिया, न्यूज़ीलैंड औऱ यूके में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और भारत के 110 शहरों में अपना विस्तार किया है। ओला की प्रतिद्विंदी कंपनी उबर काफी टक्कर दे रही है। 2020 तक भारतीय लॉजिस्टिक इंडस्ट्री 215 बिलियन डॉलर तक हो जाएगी। भाविश कहते हैं, 'हम अभी जहां पर हैं यह स्थिति काफी अलग है। हमें अब लंबे समय के लिए सोचना होगा। भारत में बिजनेस करना काफी स्थिर और सतत होता है। इससे वैश्विक स्तर पर अवसरों को परिभाषित करने में मदद मिलती है।'
वे आगे कहते हैं, 'हर देश का मार्केट अलग है इसलिए वैश्विक कंपनियों के पास भी अपनी चुनौतियां होती हैं। तो इस तरह से देखें तो हर कदम पर चुनौतियां हैं लेकिन अवसर भी हैं।' लेकिन चुनौतियों के बावजूद लंबे समय के लिए परिवर्तन करने और प्रभाव बनाने के लिए टेक्नॉलजी का लाभ जिस तरह से ओला ने उठाया है उसमें कंपनी को गर्व है। भाविश कहते हैं, 'हम हमेशा बड़े लक्ष्य रखते हैं और लंबे समय के लिए सोचते हैं। इस तरह से हम टेक्नॉलजी का लाभ उठा पाते हैं। भारत वास्तव में नए युग की प्रौद्योगिकियों और व्यापार मॉडल में दुनिया को पीछे छोड़ सकता है। हमने हमेशा से भविष्य को सोचकर काम किए हैं लेकिन कुछ खामियां भी होंगी। ओला का मकसद हमेशा से दीर्घकालिक मूल्यों का निर्माण रहा है।'
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