तसवीरें बेचता है महिमा पुरी का स्टार्टटप ‘फोटोमूला’
फोटोमूला एक ऐसा प्लेटफार्म है, जो फोटोग्राफरों की अच्छी तस्वीरों के लिए एक बड़े बाज़ार का दरवाज़ा खोलता है। वहीं अपने एडवर्टाइज़िंग कैंपेन के लिए अच्छी तस्वीरों की तलाश करने वालों के लिए भी यह एक ऐसी जगह है, जहाँ उन्हें मनपसंद तस्वीरें मिल जाती हैं।
महिमा पुरी के लिए देश छोड़कर जाना काफी मुश्किल था, लेकिन इस फैसले ने उनकी ज़िंदगी बदल दी। महिमा जहाँ पहले आराम की जिंदगी जी रही थी, वहीं जब वो देश से बाहर गई तो उनमें इस बात का विश्वास पैदा हुआ कि वो अपना खुद का कारोबार शुरू कर सकती हैं।फोटोमूला एक ऐसा बाजार, एक ऐसा प्लेटफॉर्म है, जो फोटो खींचने वालों को फोटो के खरीददारों से मिलाता है। यहाँ पर मिलने वाली हर तस्वीर, जिसका व्यवसायिक इस्तेमाल होता है, उसके लिए भुगतान किया जाता है। बदले में फोटोमूला को कमीशन मिलता है। इस वक्त फोटोमूला कई बड़ी एफएमसीजी कंपनियों और कई बड़ी एडवरटाइजिंग एजेंसियों के लिए काम कर रहा है।
महिमा का कहना है, “दिल्ली मेरा घर है, मेरा जन्म और लालन पालन एक मध्यम वर्गीय परिवार में हुआ। मैं हमेशा स्कूल में तेज़ छात्रा रही हूँ। खासतौर से मुझे क्रिएटिव आर्ट्स और डिबेट में ज्यादा मज़ा आता था।”ग्राफिक डिज़ाइन का कोर्स उनकी स्वाभाविक पसंद था। दिल्ली की एक एडरवरटाइजिंग एजेंसी में कुछ समय काम करने के बाद उनका चयन मैनचेस्टर के हाइपर आइलेंड में अध्ययन के लिए हो गया। ये वो वक्त था जब महिमा की ज़िंदगी और उनके करियर में अहम मोड़ आया। हाइपर आइलेंड ने उनके करियर को आकार देने में एक अहम रोल अदा किया। इस कारण उनको डिजिटल मार्केटिंग उद्योग से जुड़े बड़े लोगों के साथ काम करने का मौका मिला। महिमा जब एडवरटाइजिंग एजेंसि टीबीडब्लूए के लिए काम कर रही थी तो उनको अपना प्रोजेक्ट पूरा करने के लिए सिंगापुर जाना पड़ा। महिमा बताती हैं, “उसके बाद जो हुआ, वो बिल्कुल उम्मीद से परे था। वहाँ पर मुझे स्टार्टअप के कीड़े ने काट लिया था। करीब तीन साल वहांँ बिताने के दौरान हर वक्त मेरे ज़हन में ये ख्याल आता था।” महिमा अपने परिवार और दोस्तों को इस बात के लिए धन्यवाद देती हैं, जिन्होने ना सिर्फ उनके विचारों का सम्मान किया बल्कि ज़रूरत पड़ने पर उन्होंने मदद भी की। महिमा का कहना है,
“भारत लौटने के बाद हर लड़की की तरह मेरे लिए भी अपने सपनों को पूरा करना आसान नहीं था, लेकिन मैंने महसूस किया कि मुझे बदलाव लाने के लिए कुछ करना चाहिए। इस दौरान मैंने देखा कि कई महिलाएँ सफलतापूर्वक अपना कारोबार चला रही थी।”
फोटोमूला की शुरूआत तब हुई जब 29 साल की महिमा को अपने एडवरटाइजिंग कैम्पेन के लिए ऐसी फोटो की तलाश थी जो एशियाई हो, लेकिन उनको कहीं भी ऐसी फोटो नहीं मिली। कैम्पेन के लिए उनको इंडोनेशिया की यात्रा करनी पड़ी जहाँ पर उन्होने हजारों फोटो कैद की। तब उनको महसूस हुआ कि किसी भी एडवरटाइजिंग कैम्पेन के लिए असल फोटो की तलाश कितना मुश्किल काम है और ये एक वैश्विक समस्या है। इसके बाद वो एक ऐसे प्लेटफॉर्म के बारे में सोचने लगी, जहाँ पर फोटो के ख़रीददारों को आसानी से मनचाही फोटो मिल जाये। इस तरह ना सिर्फ अच्छी फोटो की तलाश करने वालों की परेशानी खत्म हो सकती थी, वहीं दूसरी ओर अच्छी फोटो को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर अलग पहचान मिलत सकती थी। इस तरह साल 2014 में फोटोमूला की स्थापना हुई। महिमा का कहना है, “इस कंपनी का संचालन सिंगापुर के बाहर भी हैं। हम वैश्विक समुदाय के लिए क्रिएटिव काम करके देते हैं।”
फोटोमूला एक बढ़ती हुई कंपनी है, जिसके साथ एशिया और यूरोप के करीब एक हजार फोटोग्राफर जुड़े हैं। इनके साथ जुड़े फोटग्राफर अलग अलग शैलियों की फोटो खींचते हैं और जिस भी ग्राहक को इनकी खींची फोटो पसंद आ जाती है वो उसको खरीद लेता है। काम में गुणवत्ता लाने के साथ-साथ फोटग्राफरों को प्रेरित करने के लिए फोटमूला उन फोटो पर सकारात्मक प्रतिक्रिया भी देता है, जिनका चुनाव नहीं होता। विभिन्न एफएमसीजी और विज्ञापन एजेंसियों के लिए काम करने वाली फोटमूला पहले ही दिन से लाभ की स्थिति में है।
फोटोमूला ने अपने काम की शुरूआत सिर्फ फोटो से की थी, लेकिन अब ये दूसरे विजुअल मीडियम पर भी काम कर रहे हैं। महिमा बताती हैं, “डिजिटल क्षेत्र तेजी से बदल रहा है। इसलिये ये ज़रूरी है कि इसके बदलाव के साथ साथ खुद को भी बदला जाये। पिछले साल हमने केवल स्थिर फोटग्राफी पर ही काम किया था, लेकिन इस साल हम लोग मूविंग इमेज पर भी काम कर रहे हैं, जैसे जीआईएफ, सिनेमा ग्राफिक्स और सबसे महत्वपूर्ण वीडियो कंटेंट।” इसका मतलब है कि इनको एशिया में ऐसे लोगों की तलाश है, जो फिल्म मेकिंग से जुड़े हैं और इस प्लेफॉर्म के सहभागी बन सकते हैं।
महिमा के पास कई बाजारों के लिए काफी रोमांचक परियोजनाएं हैं। अब उनको ऐसे पार्टनर की तलाश है, जो उनके साथ मिलकर इस क्षेत्र में काम कर सके। महिमा बताती हैं,
“हमारा ध्यान दुनिया में इसका स्तर बढ़ाने और क्रिएटिव काम को मौका देना है, ताकि ऐसे लोगों को उनके काम का उचित मूल्य मिल सके।”
महिमा सदैव करो या मरो के फलसफे पर विश्वास रखती हैं। उनकी नज़र में कोशिश का कोई मतलब नहीं होता। यही वजह है कि फोटोमूला पर उनका ध्यान केंद्रित रहता है। महिमा के सामने सबसे बड़ी चुनौती ये है कि इस उद्यम को उन्होंने काफी कम पैसों से खड़ा किया है। उनका कहना है,
“मेरा दृढ़ता से सभी उद्यमियों को सलाह देती हूँ कि वो खुद को पहले ही दिन से अच्छी तनख्वाह दें। इस तरह वो अपने उत्पाद के प्रति जुनून और प्रेरणा को कायम रख पाएंगे।”
महिला उद्यमी होने के नाते वो बताती हैं, “निवेशक कई बार मेरी शादी के बारे में पूछ चुके हैं, लेकिन मेरा मानना है कि ये किसी का भी व्यक्तिगत मामला है। ये कोई निर्धारित नहीं कर सकता कि मैं किस तरह अपने कारोबार से जुड़ी हूं।”
इसके अलावा वो कहती हैं कि महिला उद्यमियों को अपनी शादी के बारे में नहीं सोचना चाहिए उनको अपने करियर और कारोबार में पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए।
मूल- स्मृति मोदी
अनुवाद-गीता बिष्ट