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इस तरीके से किसानों की साल भर होगी कमाई, सरकार भी कर रही है मदद

आज इंटीग्रेटेड फ़ार्मिंग को अपनाकर किसान अपने मुनाफे को कई गुना तक ऊपर लेकर जा सकते हैं।

इस तरीके से किसानों की साल भर होगी कमाई, सरकार भी कर रही है मदद

Thursday September 24, 2020 , 3 min Read

एक ओर देश को जहां कृषि सम्पन्न कहा जाता है, वहीं दूसरी ओर खेती-किसानी आज किसानों के लिए घाटे या फिर बेहद कम मुनाफे का सौदा बनी हुई है। किसान जहां पूरे साल जी-जान लगाकर फसल उगाते हैं, लेकिन उन्हे उसके एवज में पर्याप्त मूल्य नहीं मिल पता है, जिसके चलते उनका मुनाफा भी घट जाता है या अक्सर उन्हे नुकसान भी होता है। पश्चिमी देशों में कृषि के आधुनिकीकरण के चलते वहाँ के किसान अधिक कमाई जरूर कर लेते हैं, लेकिन भारत में अभी आधुनिक कृषि को उतने बड़े स्तर पर अपनाया नहीं जा सका है।


बावजूद इसके देश के कई किसान ऐसे भी हैं जो कुछ खास तकनीक का इस्तेमाल करते हुए अपने मुनाफे को आम किसानों की तुलना में कई गुना तक अधिक कर पा रहे हैं। इन तकनीक के इस्तेमाल के चलते इन किसानों का मुनाफा एक साल में ही लाखों रुपये का है। ऐसा ही एक तरीका है इंटीग्रेटेड फ़ार्मिंग का।

सांकेतिक चित्र

सांकेतिक चित्र


क्या है इंटीग्रेटेड फार्मिंग?

इंटीग्रेटेड फार्मिंग के तहत किसान खेती के साथ ही कृषि के अन्य तरीकों को साथ में लेकर चलता है। मुख्यता इस तरह की फ़ार्मिंग में किसान पूरे साल कमाई कर सकता है, जबकि सामान्य तौर पर किसान की कमाई सीजन पर निर्भर होती है। इंटीग्रेटेड फार्मिंग के तहत किसान को अपने संसाधनों का भरपूर इस्तेमाल करने का मौका मिल जाता है।



उदाहरण के तौर पर, यदि एक किसान खेती के साथ पशुपालन भी कर रहा है, ऐसे में फसल से निकलने वाले अपशिष्ट को अपने दुधारू जानवरों को चारे के तौर पर दे सकता है। यदि किसान इसके साथ ही मुर्गी पालन कर रहा है तो वह इसे चारे के तौर पर मुर्गियों को भी दे सकता है और मुर्गियों से निकलने वाले अपशिष्ट को वो मछलियों को भोजन के तौर पर दे सकता है। इस तरह से इस तकनीक के तहत वेस्टेज लगभग ना के बराबर रहता है। इतना ही नहीं इससे जैव ईंधन बना कर भी उसे काम में लाया जा सकता है।

पूरे साल होगी कमाई

कृषि विशेषज्ञ भी इंटीग्रेटेड फ़ार्मिंग का समर्थन करते हैं। इस तकनीक में सभी घटक एक दूसरे के पूरक की तरह काम करते हैं। इस दशा में किसान को अगर किसी एक घटक से नुकसान होता भी है तो उसके पास अन्य घटक फिर भी मौजूद रहते हैं, ऐसे में अंत में किसान आमतौर पर फायदे में ही रहता है। एक एकड़ जमीन पर शुरुआत करने पर एक किसान को पहले ढाई से तीन लाख रुपये का निवेश करना पड़ सकता है, लेकिन इस तरीके से किसान पहले साल से ही कमाई करना शुरू कर देता है, ऐसे में किसान को लागत निकालने में अधिक समय नहीं लगता है।


आज बड़ी तादाद में युवा कृषि के इस तरीके को अपना रहे हैं। इन युवा किसानों के अनुसार सरकार आज इस तरह की किसानी के लिए काफी मदद मुहैया करा रही है, ऐसे में इच्छुक किसान सरकार से आर्थिक मदद के साथ ही विशेषज्ञों की राय भी आसानी से पा सकते हैं, जिससे शुरुआती सालों में उन्हे आगे बढ़ने में काफी सहायता मिलेगी। युवा किसान नेशनल डेयरी रिसर्च इंस्टीट्यूट जैसे संस्थानों में जाकर दुग्ध व्यवसाय के सभी पहलुओं का प्रशिक्षण पा सकते हैं।