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कैसे तिहाड़ जेल में कैदी बन गए आभूषणों के कारीगर

ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वैलरी डोमेस्टिक काउंसिल ने तिहाड़ जेल के कैदियों को सशक्त बनाने के लिए शुरू की एक बड़ी पहल...

कैसे तिहाड़ जेल में कैदी बन गए आभूषणों के कारीगर

Friday July 20, 2018 , 3 min Read

ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वैलरी डोमेस्टिक काउंसिल का इरादा कैदियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण के साथ सशक्त बनाने का भी है। ताकि जब वे कैदी जेल से बाहर निकलें तो उनके लिए जीवन यापन करना आसान हो सके।

तिहाड़ जेल के कैदी प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद

तिहाड़ जेल के कैदी प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद


 यह पहल तिहाड़ सेंट्रल जेल नंबर 5 के कैदियों के लिए थी। इस अवसर पर 18 से 21 वर्ष के आयु वर्ग में 35 कैदियों के एक बैच को एक महीने का प्रशिक्षण प्रमाणपत्र भी दिया गया।

ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वैलरी डोमेस्टिक काउंसिल (जीजेसी) ने तिहाड़ जेल के कैदियों को सशक्त बनाने के लिए एक बड़ी पहल शुरू की। इसके तहत उन्होंने तिहाड़ जेल के कैदियों को ज्वैलरी कारीगर बनाने के लिए जीजेएससीआई के साथ मिलकर काम किया। ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वैलरी डोमेस्टिक काउंसिल का इरादा कैदियों को व्यावसायिक प्रशिक्षण के साथ सशक्त बनाने का भी है। ताकि जब वे कैदी जेल से बाहर निकलें तो उनके लिए जीवन यापन करना आसान हो सके। यह पहल तिहाड़ सेंट्रल जेल नंबर 5 के कैदियों के लिए थी। इस अवसर पर 18 से 21 वर्ष के आयु वर्ग में 35 कैदियों के एक बैच को एक महीने का प्रशिक्षण प्रमाणपत्र भी दिया गया।

जेल में सर्टिफिकेट डिस्ट्रीब्यूशन इवेंट में बोलते हुए, जीजेसी अध्यक्ष नितिन खंडेलवाल ने कहा, "तिहाड़ में कोई कैदी बेरोजगार नहीं रहेगा। इस कार्यक्रम ने कैदियों को तनाव से छुटकारा पाने में काफी मदद की है। जब ये कैदी छूटेंगे तो वे दोबारा अपराध के रास्ते पर लौटने के बजाय अच्छी जिंदगी बसर करेंगे। उनके पास अब स्वयं का समर्थन करने के लिए कौशल होगा।"

कैदियों को संबोधित करते पदाधिकारी

कैदियों को संबोधित करते पदाधिकारी


सर्टिफिकेट डिस्ट्रीब्यूशन इवेंट के दौरान अजय कश्यप (डीजी जेल ), अंजू मगला (जेल अधीक्षक), प्रेम कोठारी (अध्यक्ष - जीजेएससीआई), विजय खन्ना (नोथ जोन अध्यक्ष- जीजेसी), सुमेश वाधरा (मुख्य संपादक आर्ट ऑफ ज्वेलरी), श्री डीडी करेल (निदेशक जीजेएससीआई), श्री राजीव गर्ग (ईडी जीजेसीआई), श्री अविनाश गुप्ता (निदेशक जीजेसी), श्री अजय वर्मा (निदेशक - आईबीजे इंडिया) भी मौजूद रहे।

आपको बता दें कि इससे पहले फैशनेबल कपड़ों की डिजाइनिंग में हाथ आजमाने के बाद तिहाड़ की महिला कैदियों को भी आभूषण डिजाइन करने का प्रशिक्षण दिया जा चुका है। यह प्रशिक्षण जेम्स एंड ज्वैलरी स्किल काउंसिल आफ इंडिया की ओर से दिल्ली जेल के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करने के बाद दिया गया था। इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में जीजेसी भी स्टाकहोल्डर था। प्रशिक्षण के बाद महिला कैदियों को काउंसिल की ओर से प्रमाणपत्र भी दिए गए। दैनिक जागरण की खबर के मुताबिक शुरुआती बैच के लिए 30 कैदियों का चयन किया गया था। इनमें विचाराधीन व सजायाफ्ता दोनों महिला कैदी शामिल रहीं। यह कोर्स 150 घंटे के मॉड्यूल में डिजाइन किया गया था। जिसमें कैदियों को पहले कागजों पर ज्वैलरी डिजाइन का प्रशिक्षण दिया गया।

गौरतलब है कि ऑल इंडिया जेम्स एंड ज्वैलरी डोमेस्टिक काउंसिल 10 साल पुरानी एक नोडल एजेंसी है जो सरकार और व्यापार के बीच में ब्रिज का काम करती है। जीजेसी देश के विभिन्न हिस्सों से डोमेस्टिक जेम्स और ज्वैलरी उद्योग के निर्माताओं, थोक विक्रेताओं, खुदरा विक्रेताओं, वितरकों, प्रयोगशालाओं, रत्नविदों (जेमोलोजिस्ट), डिजाइनरों और सहयोगी सेवाओं सहित 4,80,000 प्लेयर्स के हितों का प्रतिनिधित्व करता है। 

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