“सौर ऊर्जा” के इस्तेमाल में कंजूसी क्यों? जानकारी चाहिए तो 'ऐओन सोलरीस' से पूछिए
दो दोस्तों का नया बिजनेस मॉडलसाल भर में 400 किलोवॉट बिजली उत्पादन का लक्ष्यविदेश में भी कारोबार फैलाने की तैयारी
जिस देश में सूरज दस महीने अपना विकराल रुप दिखाता है वहां बिजली के लिए सोलर ऊर्जा का इस्तेमाल न किया जाए ये बात थोड़ी अटपटी लगती है। उर्जा की इसी कमी को ध्यान में रखकर साल 2010 में सरकार ने नेशनल सोलर मिशन की शुरूआत की। बावजूद इसके ये योजना परवान नहीं चढ़ सकी, क्योंकि शुरूआत में इसको लगाने में काफी पैसा खर्च करना पड़ता था, लेकिन भारत में सोलर उर्जा की जरूरत को समझते हुए शुभम संदीप और निमेष गुप्ता ने Aeon Solaris की स्थापना की।
दरअसल इन लोगों को Aeon Solaris का विचार तब आया जब इनको लगा कि 21वीं सदी में बिजली की काफी जरूरत है। ये दोनों लोग जब दिल्ली आईआईटी से पढ़ाई कर रहे थे तब इनको देश में उर्जा की हालत के बारे में पता चला और उर्जा क्षेत्र की दिक्कतों के बारे में जानकारी हुई। अपनी पढ़ाई के दौरान छात्र के तौर पर इन्होने अमेरिका और जर्मनी में बिजली वितरण, उत्पादन के बारे में जानकारी ली और उसे भारत के संदर्भ में इस्तेमाल करने के बारे में सोचा। उनके इस विश्लेषण से उनमें एक तरह का विश्वास जागा। दिल्ली आईआईटी से पढ़ाई पूरी करने के बाद दोनों दोस्तों ने बड़ी कॉरपोरेट कंपनियों में नौकरी की। लेकिन दोनों का मन नौकरी में नहीं लगा और बिजली के क्षेत्र में अपना हाथ अजमाने की कोशिश की। Aeon Solaris की शुरूआत दो दोस्तों ने एक टीम के तौर पर की थी अब ये टीम बढ़कर 7 सदस्यों की हो गई है। इऩ लोगों को पहले प्रोजेक्ट के तौर पर एक सोलर प्लांट को खरीदकर उसे लगाना था। 40 किलोवॉट के इस सोलर प्लांट को हैदराबाद के एक कारपोरेट टॉवर पर लगाना था। इसके बाद चीजें बदलती गई और टीम के सदस्यों की संख्या भी। आज इन लोगों के पास एक प्रोजेक्ट मैनेजर भी है जो अलग अलग जगहों पर चल रहे प्रोजेक्ट पर निगरानी रखता है और वहां की जरूरतों को पूरा करता है। अब ये लोग एक मजबूत टीम प्रबंधन तैयार कर रहे हैं।
आज के दौर में सौर उर्जा सबसे अच्छा विकल्प है। क्योंकि आए दिन ईधन के दामों में उतार चढ़ाव का इस पर कोई असर नहीं पड़ता इसके अलावा साल भर बिना बाधा के बिजली मिलती रहती है। इतना ही नहीं इसकी स्थापना में खर्च भी कम हो रहा है और ये रखरखाव में भी काफी आसान होता है। भारत जैसे देश के लिए ये जरूरी है कि वो अमेरिका और जर्मनी जैसे देशों से इस मामले में सीख ले और उर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बने। देश में वाणिज्यिक और औद्योगिक परियोजनाओं के बढ़ने से बिजली की मांग काफी बढ़ रही है ऐसे में सौर ऊर्जा आर्थिक रूप से एक बेहतर विकल्प है। अस्पताल, होटल, शिक्षण संस्थान, उद्योग और कारखाने, मॉल, गोदाम और कोल्ड स्टोरेज सौर उर्जा का बेहतर तरीके से इस्तेमाल कर सकते हैं क्योंकि इनको ज्यादा बिजली की जरूरत तो होती ही है साथ ही सोलर पॉवर प्लांट लगाने के लिए इनकी छतों का बेहतर इस्तेमाल किया जा सकता है। इससे ना सिर्फ कार्बन फुटप्रिंट कम होगा बल्कि पर्यावरण और बेहतर हो सकेगा।
Aeon Solaris का बिजनेस मॉडल भी कुछ खास है जो सभी पक्षों के लिए एक जीत की स्थिति पैदा करने की कोशिश करता है फिर चाहे वो ग्राहक हो, निवेशक हो या फिर Aeon Solaris। इनके बनाए मॉडल में निवेशक को अच्छा लाभ मिलता है तो ग्राहक अपने बिजली के बिलों में अच्छी खासी बचत कर लेता है। साथ कार्बन फुटप्रिंट में भी कमी आती है। वहीं Aeon Solaris कम बिक्री लागत रखते हुए अपनी आय को बढ़ा सकता है। बिल्ड - ऑपरेट – ट्रांसफर मॉडल के तहत Aeon Solaris अपने ग्राहक की छत पर लगने वाले सोलर प्लांट पर ना सिर्फ निवेश करते हैं बल्कि उसको लगाने का खर्च भी खुद उठाते हैं। बदले में ग्राहक को इनके साथ लंबे वक्त के लिए लीज साइन करनी होती है। जिसमें तय होता है कि ग्राहक बिजली इस्तेमाल के बदले क्या दाम Aeon Solaris को चुकाएगा। लीज खत्म होने के बाद सोलर प्लांट ग्राहक का हो जाता है। कंपनी की योजना सौर उर्जा से उत्पादित बिजली बेचने की भी है जिसे देश में कोई कंपनी इस वक्त नहीं कर रही है। इसी बात का फायदा उठा कर Aeon Solaris जल्द से जल्द इस क्षेत्र में भी उतरना चाहती है।
सौर ऊर्जा के क्षेत्र में ज्यादातर कंपनियां इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण के रूप में काम कर रही हैं लेकिन ग्राहक की तकनीकी चिंताओं और सौर उर्जां में पूंजी निवेश को लेकर अनिच्छुक रहती हैं। इसी बात को ध्यान में रखते हुए Aeon Solaris निजी सौर बिजली खरीद समझौता (पीपीपी) और नये वित्तीय मॉडल लाकर ग्राहकों की चिंता दूर करने की कोशिश कर रहा है।
सौर उर्जा के प्रति लोगों के रूझान को बढ़ाना इतना आसान भी नहीं है जितना ये दिखता है। तभी तो पिछले 3 सालों के दौरान सौर प्लांट से जुड़ी चीजों में 50 प्रतिशत तक की कमी आई है बावजूद लोग अब भी इस ओर कम आकर्षित हुए हैं। यही वजह है कि सौर उर्जा के क्षेत्र में जमी जमाई कंपनियों को भी बड़े सौदे करने में काफी दिक्कतें पेश आती हैं। तो दूसरी ओर Aeon Solaris ने देश के शैक्षिक संस्थानों, कॉर्पोरेट इमारतों और कारखानों के अलावा अपने ग्राहकों का एक शानदार पोर्टफोलियो तैयार किया है और ये संभव हुआ है मजबूत और विविधता से भरी टीम की वजह से। मांग और आपूर्ति के बीच बड़े फासले के कारण सोलर इंडस्ट्री ना केवल बेहुनर है बल्कि काफी महंगी भी है। इंफ्रास्ट्रक्चर के क्षेत्र में आमतौर पर बड़े स्थापित कंपनियों का बोलबाला है जो नहीं चाहती हैं कि हालात में बदलाव हो। इसलिए यहां पर उभरते विचारों को दबाने की कोशिश की जाती है।
पिछले कुछ दिनों से दिल्ली और उसके आसपास घंटों बिजली गुल रही। तब कंपनी ने यहां पर भी संभावनाएं तलाशी तो पता चला कि आने वाले वक्त का ये एक बड़ा बाजार है। एनसीआर इलाके में बिकने वाली बिजली के दाम काफी ज्यादा हैं। ऐसे में यहां पर सौर उर्जा काफी अच्छा विकल्प साबित हो सकती है। दिल्ली और उसके आसपास काफी कॉरपोरेट ऑफिस भी हैं जिसके देखते हुए Aeon Solaris ने दिल्ली के बाहर अपने पांव पसारने शुरू कर दिये हैं। खास बात ये है कि शुभम और निमेष भी दिल्ली के ही रहने वाले हैं और दिल्ली से उत्तर भारत के ज्यादातर राज्यों में आसानी से आवाजाही हो सकती है। जिससे ना सिर्फ पैसे की बचत होगी बल्कि थोड़ी यात्रा में ही बड़े इलाके में मजबूत पकड़ बनाई जा सकेगी। Aeon Solaris ने इंजीनियरिंग, खरीद और निर्माण में भी ध्यान देना शुरू किया है। इस क्षेत्र में कंपनी का फोकस कॉरपोरेट और इंडस्ट्री पर खास है। Aeon Solaris की कोशिश है कि साल भर के अंदर वो छतों पर पैदा होने वाली बिजली से 5लाख डॉलर की आय हासिल कर सकें। इसके लिए 400 किलोवॉट बिजली उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। तो दूसरी ओर Aeon Solaris अपनी टीम का विस्तार कर रही है और उसका ध्यान महाराष्ट्र, तमिलनाडु और कर्नाटक जैसे राज्यों पर हैं। इसके अलावा कंपनी की नजर जापान, अफ्रीका और मध्य-पूर्व के देशों में भी अपना कारोबार फैलाने की है।