नीति आयोग ने जीएसटी का समर्थन किया
जीएसटी के अगले साल एक अप्रैल से लागू होने की संभावना है।
नीति आयोग के उपाध्यक्ष अरविंद पनगढ़िया ने वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) की प्रस्तावित चार दरों का आज समर्थन किया और इस संबंध में की जा रही आलोचनाओं को खारिज कर दिया। उन्होंने कहा कि इससे मुद्रास्फीति में संभावित वृद्धि या राजस्व नुकसान से निपटने में मदद मिलेगी।
पनगढ़िया ने उपकर को जारी रखने का भी समर्थन किया और इस आलोचना को खारिज किया कि इससे एकल एकीकृत दर का मूल विचार पीछे छूट जाएगा।
जीएसटी के तहत प्रस्तावित चार दरों के पीछे तर्क के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा, ‘जीएसटी से बड़ा लाभ इसलिए होगा क्योंकि भौगौलिक रूप से किसी भी उत्पाद पर दर एक होगी।’
जीएसटी परिषद वस्तु एवं सेवा कर के लिये कर ढांचे का चार स्लैब के प्रस्ताव पर विचार कर रही है। ये स्लैब 6, 12, 18 और 26 प्रतिशत हैं। इसके अलावा विलासिता और अहितकर वस्तुओं पर अतिरिक्त शुल्क लगाया जाएगा।
इस बात को लेकर बहस चल रही है कि जीएसटी में एकल दर होना चाहिए या इसमें कई दरें होनी चाहिए। जीएसटी के अगले साल एक अप्रैल से लागू होने की संभावना है।
इससे पहले, दिन में पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने कहा कि प्रस्तावित वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) व्यवस्था के तहत कर की कई दरें रखना घातक होगा और यह यह पुराने वैट को नए आकार में पेश करने के अलावा और कुछ नहीं होगा।
चिदंबरम ने भारतीय प्रबंधन संस्थान-कलकत्ता के विद्यार्थियों के साथ आर्थिक सुधारों पर परिचर्चा में कहा, ‘हम ईमानदारी से उम्मीद करते हैं कि मानक के डिजाइन की गलत व्याख्या नहीं हो, जीएसटी की मानक घटा और जमा दर हो। हमारे पास 20 दरें हो सकतीं हैं। यह घातक होगा और यह जीएसटी नहीं हो सकता। यह देश को मूर्ख बनाना है।’