डीजल इंजन को इलेक्ट्रिक में बदल भारतीय रेलवे ने रचा इतिहास
इस बदलाव का मकसद डीजल की खपत को कम करना और पर्यावरण में धुएं से फैलने वाले प्रदूषण को खत्म करना है। यह कारनामा डीजल लोकोमोटिव वर्क्स वाराणसी में किया गया। बताया जा रहा है कि पूरी दुनिया में पहली बार ऐसा किया गया है।
अगर लागत की बात करें तो डीजल इंजन को बनाने में 5 से 6 करोड़ रुपयों की लागत आती हैं और उसकी आयु 18 साल होती है।। वहीं डीजल इंजन को इलेक्ट्रिक इंजन में बदलने में सिर्फ 2.5 करोड़ रुपये का खर्च आता है।
भारत में चलने वाली ट्रेनों को 100 प्रतिशत विद्युतीकरण करने की योजना अब नए चरण में पहुंच गई है। दरअसल भारतीय रेलवे ने सिर्फ 69 दिनों में डीजल लोकोमोटिव इंजन को इलेक्ट्रिक इंजन में बदलकर इतिहास रच दिया है। इस बदलाव का मकसद डीजल की खपत को कम करना और पर्यावरण में धुएं से फैलने वाले प्रदूषण को खत्म करना है। यह कारनामा डीजल लोकोमोटिव वर्क्स वाराणसी में किया गया। बताया जा रहा है कि पूरी दुनिया में पहली बार ऐसा किया गया है।
इलेक्ट्रिक कनवर्जन के बाद WDG3-class 2,600 HP डीजल इंजन 5,000 हॉर्स पावर डिलिवर करेगा जो कि पुराने डीजल इंजन की क्षमता से 92 प्रतिशत अधिक है। इस इंजन का ट्रायल भी पूरा कर लिया गया है। वाराणसी से 5,200 टन माल लादकर यह इंजन लुधियाना तक ले गया। इस रिपोर्ट्स के मुताबिक 75 किलोमीटर प्रति घंटे थी।
इसके साथ ही रेलवे अब दो यूनिट लोकोमोटिव लगा सकता है जिससे न केवल वजन क्षमता में वृद्धि होगी बल्कि गति भी तेज हो जाएगी। रेल मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, 'भारतीय रेल ने पहली बार ऐसा कारनामा कर के पूरी दुनिया में इतिहास रच दिया है। इससे न केवल मेक इन इंडिया को बढ़ावा मिलेगा बल्कि स्वदेशी तकनीक का भी विकास होगा।'
अगर लागत की बात करें तो डीजल इंजन को बनाने में 5 से 6 करोड़ रुपयों की लागत आती हैं और उसकी आयु 18 साल होती है।। वहीं डीजल इंजन को इलेक्ट्रिक इंजन में बदलने में सिर्फ 2.5 करोड़ रुपये का खर्च आता है। इस पहल की शुरुआत पिछले साल 22 दिसंबर, 2017 में हुई थी। बाद में रीफर्बिश्ड लोकोमोटिव को इस साल फरवरी में से किया गया।
भारतीय रेल नेटवर्क ट्रेनों और मुख्य लाइनों को इलेक्ट्रिक में परिवर्तित करने के लगातार प्रयास कर रहा है। इससे संचालन क्षमता बढ़ेगी, लाईन क्षमता में वृद्धि होगी और रेलगाड़ियों की औसत गति में सुधार होगा। साथ ही आयातित जीवाश्म ईंधनों के उपयोग में कमी आएगी, जिससे देश की ऊर्जा सुरक्षा में सुधार होगा। नियोजित विद्युतीकरण के बाद प्रति वर्ष 2.83 बिलियन लीटर हाई स्पीड डीजल की खपत में कमी आएगी और जीएचजी उत्सर्जन कम होगा। इससे रेलवे के पर्यावरण प्रभाव में भी कमी आएगी।
अभी भारतीय रेल के लगभग दो तिहाई माल ढुलाई तथा यात्री परिवहन के आधे से अधिक का संचालन बिजली कर्षण से हो रहा है। लेकिन बिजली कर्षण का भारतीय रेल के कुल ऊर्जा व्यय में केवल 37 प्रतिशत का योगदान है। इस लाभ के कारण विद्युतीकरण के बाद भारतीय रेल अपने ईंधन बिल में प्रति वर्ष 13,510 करोड़ रुपये की बचत करेगा और इससे वित्तीय स्थिति में सुधार होगा।
यह भी पढ़ें: गांव की लड़कियों को सैनिटरी पैड बांटकर जागरूक कर रही 8वीं की छात्रा