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चिकित्सा सेवा को घर-घर पहुंचाता 'HelpMeDoc'

हेल्थ केयर के लिए दर-दर न भटकना पड़े

चिकित्सा सेवा को घर-घर पहुंचाता 'HelpMeDoc'

Thursday July 09, 2015 , 5 min Read

अपने स्टार्टअप के बाजार के आकार के बारे में जानकारी देते हुए सुव्रो घोष बताते हैं, “मौजूद रिपोर्ट्स के मुताबिक, 2013-2014 में चिकित्सा सेवा बाजार का आकार करीब 80 बिलियन डॉलर का था। 2017 तक इसके 170 बिलियन डॉलर तक पहुंचने की उम्मीद है। इसमें से करीब 25% ई-हेल्थकेयर सेगमेंट में होगा। इस संख्या में भी इजाफे की उम्मीद है, क्योंकि अब अधिक से अधिक चिकित्सा सेवाएं इंटरनेट के जरिए मुहैया कराई जा रही हैं।”

हेल्पमीडॉक डॉक्टर्स, मरीजों और लैब्स का एक प्लेटफॉर्म है। यह एक-दूसरे को संपर्क में लाने में मदद करती है। प्लेटफॉर्म के साथ पंजीकृत डॉक्टर्स और लैब्स बैकएंड के जरिए अपनी जानकारी इसमें शामिल कराते हैं। ये जानकारियां मरीजों द्वारा पोर्टल पर देखी जाती हैं। मरीज अपनी जरुरत के मुताबिक डॉक्टर या लैब की तलाश कर सकते हैं, ऑनलाइन बुक कर सकते हैं और एसएमएस व ईमेल के जरिए उसकी पुष्टि पा सकते हैं। वेबसाइट पर सभी सेवाओं के लिए ऑनलाइन भुगतान का विकल्प भी मौजूद है और यूजर्स चाहें तो डॉक्टर्स या लैब्स में नकद भुगतान भी कर सकते हैं। फिलहाल पोर्टल की सेवाएं दिल्ली, हरियाणा और उत्तर प्रदेश में उपलब्ध हैं।

एक योजना को अंजाम तक पहुंचाना

इस स्टार्टअप की स्थापना सुव्रो और मनीषा सक्सेना ने मिलकर 2009 में किया था। दोनों ने 2013 में इसका पायलट रन शुरू किया। सुव्रो पश्चिम बंगाल के एक मध्यवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखते हैं और उन्होंने 18 साल की उम्र में अपने गृहनगर हावड़ा में अपने वेंचर एसएसआई मैन्युफैक्चरिंग यूनिट की शुरुआत की थी। दिल्ली स्थानांतरित होने के बाद सुव्रो को डॉक्टर और लैब में अपॉइंटमेंट लेने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा था। अपॉइंटमेंट बुक कराने के लिए इधर-उधर भागने से वो परेशान हो गए थे। अपने पूर्व के कार्यकाल में सुव्रो की एक एजेंसी में सेल्स और मार्केटिंग की नौकरी के दौरान मुलाकात वीआईपी क्लाइंट से होती थी और उन्होंने एक पेट्रोकेमिक कंपनी के लिए एचआर और एडमिनिस्ट्रेशन की देखरेख भी की। उन्होंने एक जुआ खेला, चिकित्सा सेवा क्षेत्र में कोई अनुभव नहीं होने के बावजूद उन्होंने हेल्पमीडॉक शुरू करने का फैसला किया।

सुव्रो और मनीषा पिछले 10 साल से साथ-साथ काम कर रहे हैं। इसलिए दोनों ने चिकित्सा सेवा क्षेत्र में साथ-साथ आने का फैसला किया। वो कहते हैं कि उनकी मजबूती तकनीकी क्षेत्र में है। वह एक आर्किटेक्ट हैं और वह B2B व B2C जैसी जटिल वेबसाइट की मालिकन हैं। इसलिए जहां मैं अपनी क्षमता का इस्तेमाल कारोबार की योजना और उसे लागू करने में इस्तेमाल करता हूं, वो सोच की प्रक्रिया में जिंदगी डाल कर उसे अंजाम तक पहुंचाती हैं। डॉक्टर्स, लैब्स और वीसी के साथ-साथ यूजर्स हमें प्रोत्साहित कर रहे हैं कि हम उन्हें इस तरह की चिकित्सा सेवाएं एक छत के नीचे मुहैया कराएं।

सुव्रो घोष

सुव्रो घोष


शुरुआती दिनों में इन्हें कई तरह की चुनौतियों का सामना करना पड़ा, इनमें से सबसे बड़ी चुनौती थी लोगों को ये समझाना कि डॉक्टर्स, लैब्स और मरीजों को एक छत के नीचे लाया जा सकता है। सुव्रो ने आगे बताया, “तब हम लोग कई बार गिरे, जान-पहचान वालों और दोस्तों ने भी हमें हताश किया, लेकिन मैंने कभी भी हार मानने की नहीं सोची। हमारे शुरुआती दिन और भी परेशानी भरे रहे हैं। अब तक, हेल्पमीडॉक हमारी जड़ से जुड़ा है, लेकिन ये तो सच है कि हर एक दिन नई चुनौतियां लेकर आता है।”

हाल के दिनों में चिकित्सा सेवा क्षेत्र में काफी कुछ गतिविधियां हुईं हैं। पिछले दिनों ही अहमदाबाद स्थित ला रेनॉन हेल्थकेयर ने सेक्योया कैपिटल, प्रैक्टो से 100 करोड़ की फंडिंग हासिल की थी। सेक्योया कैपिटल और मैट्रिक्स पार्टनर्स द्वारा समर्थित प्रैक्टो 2015 में 1000 कर्मचारियों को नियुक्त करने की योजना बना रही है। मीणा गणेश और कृष्णन गणेस की होम हेल्थकेयर कंपनी पॉर्टिया मेडिकल पिछले साल क्वालकॉम से फंडिंग पाने में कामयाब रही है। इनके अलावा कुछ और नई कंपनियां भी इस सेगमेंट में आई हैं, जैसे प्लेक्ससएमडी, डॉक्टरों के लिए नौकरी.कॉम और हर तरह की चिकित्सा सेवा मुहैया कराने वाली वेबसाइट Zywie है।

कारोबारी मॉडल

मरीजों के लिए हेल्पमीडॉक की सेवाएं मुफ्त हैं। डॉक्टरों के लिए भी कुछ सेवाएं मुफ्त हैं, लेकिन ‘डॉकप्रैक्टिस’ जैसी कुछ प्रीमियम सेवाएं – प्रैक्टिस मैनेजमेंट सॉफ्टवेयर (पीएमएस) डॉक्टरों को सालाना शुल्क के तहत मुहैया कराई जाती हैं। इस सेवा के तहत डॉक्टर अपनी रसीद, बिल्स और अपॉइंटमेंट इत्यादि की जानकारी डिजिटल फॉर्मेट में कहीं भी और कभी भी प्राप्त कर सकते हैं।

हेल्पमीडॉक के माध्यम से होने वाले प्रत्येक लेन-देन पर लैब और इमेजिंग सेंटर्स को एडमिन फी चुकाना पड़ता है। अलग-अलग जरुरतों और आयु वर्ग के लोगों को ध्यान में रखते हुए फिलहाल ये लोग चार तरह के हेल्थ कार्ड मुहैया करा रहे हैं। ज्यादा से ज्यादा संख्या में लोगों तक पहुंचने के लिए इन्होंने मुख्य रूप से डिजिटल मार्केटिंग का इस्तेमाल किया है और इसके साथ ही माउथ पब्लिसिटी के अलावा निजी तौर पर डॉक्टरों और लैब में जाकर भी अपना प्रचार किया। ये अपनी वेबसाइट से बुक किए जाने पर कई परीक्षणों पर 25 फीसदी तक की छूट भी देते हैं।

भविष्य की योजनाएं

पिछले चार महीनों में हेल्पमीडॉक ने 6500 से ज्यादा डॉक्टरों को पंजीकृत किया है, इनमें वो सदस्य भी शामिल हैं, जिन्होंने इनकी प्रीमियम सेवाओं के लिए भी पंजीकृत किया है। इन पंजीकरण में 35 से ज्यादा लैब भी शामिल हैं। पिछले चार महीनों में 250,000 लोगों ने इनके पोर्टल के पेज को देखा है और हर महीने इनके यूजर्स की संख्या में 50 फीसदी का इजाफा हो रहा है। ये लोग अब पूरे देश में अपना नेटवर्क फैलाने के लिए निवेशकों के पास पहुंच रहे हैं, इसके साथ ही वे अपनी वेबसाइट पर नई-नई चीजें भी शामिल कर रहे हैं।

इनका मकसद अपने नेटवर्क का विकास कर प्रत्येक व्यक्ति तक चिकित्सा सेवा को पहुंचाना है। अभी से पांच साल बाद ये चाहते हैं कि उनका हेल्पमीडॉक भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में घर-घर में जाना जाने वाला पोर्टल बन जाए। फिलहाल इनकी सेवाएं सिर्फ वेब के जरिए उपलब्ध हैं और वे भविष्य में मोबाइल ऐप लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं।