कूड़े से खाना बीनकर खाते हुए बच्चों को देखकर उठाया कदम, आज 5 सौ लोगों को रोजाना उपलब्ध करा रहे हैं भोजन
पंकज ने इस पहल की शुरुआत के साथ ही जहां एक दिन में 100 लोगों को भोजन उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा था, वहीं आज वो हर दिन 500 से अधिक लोगों को भोजन उपलब्ध करा रहे हैं।
कूड़े से खाना बीनकर खाते हुए बच्चों को देखकर पंकज का मन व्यथित हो उठा और अगले ही दिन उन्होने इस स्थिति को बदलने के लिए देवदूत फूड बैंक की स्थापना कर डाली।
सभी जानते हैं कि देश अभी कुपोषण से पूरी तरह मुक्त नहीं हो सका है और आज भी देश के तमाम हिस्सो में बच्चे व वयस्क दिन में दो पहर के भोजन को लेकर संघर्षरत हैं। इस बीच देश में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो ऐसे लोगों के लिए मुफ्त या सस्ते और पौष्टिक भोजन की उपलबधिता को सुलभ बना रहे हैं।
13 अप्रैल 2018 को जब पंकज गुप्ता अपनी दुकान के लिए घर से निकले तब रास्ते में कचरे के ढेर से खाना चुनकर खाते हुए बच्चों को देखकर उनका भी मन व्यथित हो उठा। बच्चों की स्थिति को देखते हुए पंकज ने खुद ही कुछ अलग और प्रभावी कार्य करने की ठानी और उन्होने अगले ही दिन यानी 14 अप्रैल 2018 में गुरुग्राम में देवदूत फूड बैंक संस्था की शुरुआत कर डाली।
शुरुआत के दिनों में पंकज की इस पहल को लोगों ने गंभीरता से नहीं लिया और उनके इस काम का मज़ाक भी बनाया गया। शुरुआती दिनों में खाना कैटरिंग के जरिये तैयार करवाया जाता था। इसकी शुरुआत करने के साथ ही यह तय किया गया था कि बच्चों के लिए खाने को मुफ्त रखा जाएगा, जबकि वयस्कों से खाने के लिए कुछ पैसे लिए जाएंगे, ताकि सभी को इस सुविधा का लाभ सुनिश्चित हो सके।
पंकज कहते हैं,
“शुरुआत में लोग फंड को लेकर सवाल पूछते थे कि इसकी व्यवस्था कहाँ से होगी, लेकिन मैंने इस काम को करने का संकल्प ले रखा था।”
संस्था लोगों को महज 5 रुपये में भोजन उपलब्ध कराती है। महंगाई के दौर में भी सस्ता भोजन वितरित करने को लेकर पंकज कहते हैं कि उनका मकसद इसके जरिये पैसा कमाना नहीं है बल्कि वह चाहते हैं कि क्षेत्र में जो लोग आर्थिक रूप से सक्षम नहीं हैं उन्हे भी भोजन उपलब्ध हो सके। पंकज ने इस पहल की शुरुआत के साथ ही जहां एक दिन में 100 लोगों को भोजन उपलब्ध कराने का लक्ष्य रखा था, वहीं आज वो हर दिन 500 से अधिक लोगों को भोजन उपलब्ध करा रहे हैं।
एक साक्षात्कार में पंकज ने कहा,
“मेरा मानना है कि जिसके पास धन की कमी है उसे भी पौष्टिक खाना खाने का अधिकार है। हमने एक प्लेट खाने का मूल्य पाँच रुपये इसीलिए रखा है ताकि लोग स्वाभिमान के साथ खाना खा सकें।”
इस काम को लगातार जारी रखने के लिए संस्था को जरूरी धन समाजसेवा में जुटे लोगों से चंदे के रूप में मिलता है। पंकज कहते हैं कि आज उनके साथ बड़ी तादाद में लोग जुड़कर मदद की पेशकश कर रहे हैं। नए लोग संस्था के फेसबुक पेज पर जाकर उससे सीधे जुड़ सकते हैं। संस्था निकट भविष्य में गुड़गांव के अन्य हिस्सों में भी खाना वितरण करने के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रही है।
कोरोना वायरस महामारी के चलते लागू हुए देशव्यापी लॉकडाउन के बाद मिली ढील के साथ ही संस्था ने अपनी सेवाओं को निर्बाध जारी रखने का काम किया है। संस्था ने इस दौरान लोगों को कई तरह के स्वादिष्ट और पौष्टिक व्यंजन परोसे हैं।
कोरोना संक्रमण को देखते हुए संस्था ने खाना बनाने और वितरण साफ-सफाई और हाइजीन का पूरा ध्यान रखा है। पंकज का दावा है कि संस्था के किचन में सरकार द्वारा तय किए गए सफाई के सारे मानकों का अक्षरशः पालन किया जा रहा है। संस्था यह सुनिश्चित करती है कि खाने की बर्बादी शून्य रहे।