क्यों भारत आकर स्टार्टअप शुरू कर रहे हैं विदेशी युवा, उठा रहे हैं मौकों का फायदा
भारत आकार कई विदेशी युवा अपना व्यापार शुरू कर रहे हैं। चुनौतियों का सामने करते हुए ये सभी उद्यमी भारत में मौजूद अनुकूल संसाधनों का लाभ लेकर आगे बढ़ रहे हैं।
आज भारत में स्टार्टअप कल्चर बड़ी तेज़ी से उभरता हुआ नज़र आ रहा है। देश के युवाओं के बीच भी स्टार्टअप को लेकर दिलचस्पी बढ़ रही है। इसी के साथ विदेश से आए कुछ युवा भी देश में आगे बढ़ते स्टार्टअप के माहौल में अपना भविष्य देख रहे हैं और अपना देश छोड़कर भारत में व्यापार कर रहे हैं।
दक्षिण कोरिया से भारत आए नक्कयून चोंग गिफ़्टीकोन नाम का स्टार्टअप चला रहे हैं, जो गिफ्ट वाउचर्स के लिए एक मार्केटप्लेस है। चोंग ने एक मिलियन डॉलर का फंड इकट्ठा किया है। ब्रिटिश उद्यमी लिज्जी चैपमैन भी बेंगलुरु में जेस्टमनी नाम की एक फिनटेक कंपनी चला रहे हैं।
मुंबई आधारित एक चार्टेड अकाउंटेंट पारस सावला के अनुसार बीते 2 सालों में बड़ी संख्या में विदेशी युवाओं ने भारत में व्यापार शुरू करने के संदर्भ में इंक्वारी की है। इस अंकड़ बीते सालों की तुलना में 60 प्रतिशत तक बढ़ा है।
नक्कयून चोंग इसके पहले भारत में एक बार व्यापार शुरू करने की कोशिश कर चुके हैं, लेकिन तब कई कारणों से उन्हे सफलता हासिल नहीं हो सकी थी। अपनी शुरुआत के बारे में चोंग ने इकनॉमिक टाइम्स से बात करते हुए बताया है कि,
“मैं एक प्लेटफॉर्म बिजनेस सेटअप करना चाहता था। मैं निवेशकों पर आधारित होकर काम नहीं करना चाहता था।”
विदेशी उद्यमियों को भारत में काम करने के लिए अनुकूल माहौल नज़र आ रहा है। वर्तमान में देश में कंज़्यूमर मार्केट का दायरा बढ़ने के साथ ही टेक टैलेंट और सस्ते लेबर ने इं उद्यमियों के सपनों को पर लगा दिये हैं।
ऐसा नहीं है कि इन विदेशी उद्यमियों के लिए सब कुछ बेहतर है, वरिष्ठ पदों पर लोगों के चयन और निवेशकों का ध्यान आकर्षित करने में उन्हे भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
इन उद्यमियों के साथ निवेशकों का सवाल उनकी काम करने की अवधि को लेकर होता है। भाषा भी कई बार इन उद्यमियों के लिए परेशानी का सबब बनकर सामने आती है, लेकिन स्वीडेन से भारत आकर चेन्नई में गीसलेन सॉफ्टवेयर की शुरुआत करने वाले माइकल गीसलेन कहते हैं,
“अब मुझे मेरे साथ काम कर रहे कई उत्तर भारतियों से बेहतर तमिल समझ आती है।”