[फंडिंग अलर्ट] ग्रामीण क्षेत्र के ई-कॉमर्स स्टार्टअप विलकार्ट ने वर्तमान और नए निवेशकों से जुटाया निवेश

[फंडिंग अलर्ट] ग्रामीण क्षेत्र के ई-कॉमर्स स्टार्टअप विलकार्ट ने वर्तमान और नए निवेशकों से जुटाया निवेश

Tuesday August 04, 2020,

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जुटाई गई धनराशि का उपयोग टेक्नालजी को अपग्रेड करने, नई प्रतिभाओं को साथ जोड़ने और विस्तार के लिए किया जाएगा।

विलकार्ट के संस्थापक

विलकार्ट के संस्थापक



उपभोक्ता वस्तुओं को डिजिटल रूप से ऑर्डर करने के लिए गांवों और छोटे शहरों में खुदरा विक्रेताओं को सक्षम बनाने वाले तकनीकी स्टार्टअप विलकार्ट ने फंडिंग का नया राउंड उठाया है।


इसका नेतृत्व माइंडट्री के सह-संस्थापक और पूर्व-सीओओ एन एस पार्थसारथी ने किया था। इस राउंड में टेक्नोलॉजी सेंटर, डॉयचे बैंक के प्रबंध निदेशक और ग्लोबल हेड दिलीप कुमार खंडेलवाल, गरुड़ पॉलीफ़्लेक्स के बोर्ड सदस्य आनंद निकहानी और रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड पूर्व वीपी अनथ रवि समेत अन्य निवेशकों की भागीदारी भी देखी गई है।


विलकार्ट मुख्य रूप से कर्नाटक में संचालित है और वर्तमान में 10 जिलों में चल रहा है। यह आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में परिचालन स्थापित करने की प्रक्रिया में है।शुरू होगी।


विलकार्ट के संस्थापक प्रसन्न कुमार ने कहा,

"हम छोटे ब्रांडों को तकनीक के साथ व्यापक रूप से पहुंच बनाने में मदद कर रहे हैं। उनमें से कुछ ग्रामीण ब्रांड हैं जो अब तीन राज्यों में कई शहरों तक पहुंच सकते हैं। कोविड-19 संकट के दौरान, हमने आवश्यक आपूर्ति में गांवों की मदद की है।”



जुटाई गई धनराशि का उपयोग टेक्नालजी को अपग्रेड करने, नई प्रतिभाओं को नियुक्त करने और विस्तार के लिए किया जाएगा।


कंपनी ‘फार्मर टू फार्मर’ व्यवसाय भी शुरू करना चाहती है और एक क्षेत्र में किसानों से सामान खरीदना चाहती है और इसे दूसरे क्षेत्र में बेचना चाहती है।


प्रसन्ना कुमार, महेश भट, राजशेखर और अमिथ एस माली ने 2018 में विलकार्ट की शुरुआत की थी। यह बी2बी ईकॉमर्स कंपनी है, जिसका उद्देश्य प्रौद्योगिकी, आपूर्ति श्रृंखला और रसद सुविधाओं के माध्यम से ग्रामीण भारत में खुदरा उद्योग में क्रांति लाना है।


स्टार्टअप ने एक जिले से कारोबार शुरू किया और अब यह तेजी से कर्नाटक में 10 जिलों तक फैल गया है, जिसमें मांड्या, कोलार और बेंगलुरु ग्रामीण शामिल हैं। वर्तमान में स्टार्टअप 1,000+ गांवों में 5,000 से अधिक किराने की दुकानों की जरूरतों को पूरा कर रहा है। इससे पहले इसने बीज पूंजी के रूप में 2 करोड़ रुपये जुटाए थे।


प्रसन्ना कहते हैं, “हम जिस तरह से काम करते हैं उसमें एक छोटा सा बदलाव भी उनके साथ व्यापार करने का एक बड़ा प्रभाव पैदा कर सकता है। यह वह जगह है जहां हम काम करने वाले लोगों को फर्क पड़ता है। वे व्यवसाय के मालिकों की मानसिकता को समझते हैं और हमें अपना व्यवसाय बढ़ाने में मदद करते हैं।”