तो क्या सरकार के पास प्रोत्साहन उपायों के लिये मात्र इतने करोड़ रुपये ही बचे हैं?
May 16, 2020, Updated on : Sat May 16 2020 05:31:31 GMT+0000

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मुंबई, इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने शुक्रवार को कहा कि ऐसा अनुमान है कि सरकार की 12 लाख करोड़ रुपये की संशोधित बाजार उधारी मौटे तौर पर राजस्व घाटे की भरपाई में खप जाएगी और ऐसे में राजकोषीय राहत देने के लिये उसके पास बेहद सीमित गुंजाइश ही बचती है।

सरकार के पास प्रोत्साहन उपायों के लिये मात्र 20,000 करोड़ रुपये की गुंजाइश: रिपोर्ट (फोटो साभार: ShutterStock)
सरकार ने बजट में चालू वित्त वर्ष के लिए सकल बाजार उधारी के रूप में 7.8 लाख करोड़ रुपये का प्रावधान किया था, लेकिन कोविड-19 महामारी के कारण बीते सप्ताह 4.2 लाख करोड़ रुपये की अतिरिक्त उधारी की घोषणा की गई। इसे मिलाकर कुल बाजार उधारी 12 लाख करोड़ रुपये होगी, जो मोटे तौर पर प्रस्तावित राजस्व घाटे की भरपाई के लिये ही काफी होगी।
इंडिया रेटिंग्स के मुख्य अर्थशास्त्री देवेंद्र कुमार पंत के अनुसार सरकार की 12 लाख करोड़ रुपये की बढ़ी उधारी से मोटे तौर पर राजस्व घाटे की ही भरपाई होगी। इसके बाद राजकोषीय प्रोत्साहन के लिए बहुत कम गुंजाइश बचेगी।
इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने कहा,
‘‘बढ़ी हुई उधारी के 95.1 प्रतिशत हिस्से से राजस्व घाटे की भरपाई होगी और ऐसे में सरकार के लिए बहुत कम राजकोषीय गुंजाइश बची है। इसके बाद सरकार के पास प्रोत्साहन उपायों के लिए सिर्फ 20,000 करोड़ रुपये बचेंगे।’’
पंत ने उम्मीद जताई कि बजट अनुमानों के मुकाबले सरकार का सकल और शुद्ध कर राजस्व क्रमश: 4.32 लाख करोड़ रुपये और 2.52 लाख करोड़ रुपये कम रह सकता है। कच्चे तेल के घटे दाम, पेट्रोल, डीजल पर उत्पाद शुल्क वृद्धि के बावजूद इसमें बहुत ज्यादा वृद्धि नहीं होगी।
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के चलते कमजोर आर्थिक गतिविधियों और नतीजतन सरकार के गैर-कर राजस्व पर इसके असर के कारण उन्हें उम्मीद है कि लाभांश, मुनाफा और अन्य गैर-कर राजस्व में वित्त वर्ष 2020-21 के बजट अनुमानों के मुकाबले 1.48 लाख करोड़ रुपये की कमी हो सकती है।
पंत ने कहा कि इसका अर्थ है कि 2020-21 के बजट अनुमानों के मुकाबले सरकार के राजस्व में चार लाख करोड़ रुपये की कमी रह सकती है। साथ ही उन्होंने चेतावनी के लहजे में कहा कि देशव्यापी लॉकडाउन के चलते सरकार पिछले वित्त वर्ष 2019-20 के संशोधित राजस्व लक्ष्यों को भी हासिल नहीं कर पायेगी।
Edited by रविकांत पारीक
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