सरकार की इस नई पॉलिसी का असर हो सकता है अमेज़न और फ्लिपकार्ट पर
सरकार अपनी ई-कॉमर्स पॉलिसी को लेकर काम कर रही है, जिसके तहत मीडिया में बाहर आई कुछ जानकारी ऐसी है जिससे इन कंपनियों की चिंता बढ़ना लाजमी है।
देश के ई-कॉमर्स बाज़ार में एक तरफा राज करने वाली दो बड़ी कंपनियों अमेज़न और फ्लिपकार्ट के लिए एक नया सिरदर्द पैदा हो सकता है। इन बड़ी कंपनियों के लिए इस सिरदर्द का कारण भारत सरकार की नई पॉलिसी है।
सरकार की अपनी ई-कॉमर्स पॉलिसी को लेकर काम कर रही है, जिसके तहत मीडिया में बाहर आई कुछ जानकारी ऐसी है जिससे इन कंपनियों की चिंता बढ़ना लाजमी है। रॉयटर्स की एक रिपोर्ट के अनुसार यह पॉलिसी इन कंपनियों के प्लेटफॉर्म पर यह सुनिश्चित करेगी कि प्लेटफॉर्म पर मौजूद सभी रीटेलर्स को अपना सामान बेचने का बराबर मौका मिले और प्लेटफॉर्म की एल्गोरिद्म के जरिये कुछ चुनिन्दा रीटेलर्स को ही फायदा ना पहुंचाया जाये।
बिजनेस इनसाइडर के अनुसार नवंबर 2019 में सरकार द्वारा जारी किए गए प्रारंभिक ड्राफ्ट के तहत ई-कॉमर्स में एफडीआई को केवल मार्केटप्लेस मॉडल के लिए अनुमति दी जाएगी न कि इन्वेंट्री-आधारित बिक्री के लिए। इसका मतलब यह हुआ है, कि फ्लिपकार्ट और अमेज़न को अपनी किसी भी एंटिटी के माध्यम से खुद वस्तु खरीदने और बेचने की अनुमति नहीं होगी। हालांकि अभी इस संबंध में सरकार की तरफ से अधिक स्पष्टता आनी बाकी है।
गौरतलब है कि अमेज़न के ऊपर इस तरह के आरोप लगते रहे हैं कि वह अपने कुछ सेलर्स को ही प्लेटफॉर्म पर सामान बेचने के लिए प्राथमिकता देता है, हालांकि अमेज़न शुरुआत से ही इन आरोपों को खारिज करता रहा है।
सरकार की बात करें तो वह अभी इस पॉलिसी को लेकर अपने संबन्धित विभागों के साथ लगातार विचार-विमर्श कर रही है। माना जा रहा है कि देशी ई-कॉमर्स खिलाड़ी जैसे स्नैपडील और पेटीएम मॉल को इस नई पॉलिसी के तहत अधिक परेशानी नहीं होगी, जबकि अमेज़न और फ्लिपकार्ट के लिए यह मुश्किलें बढ़ाने वाली पॉलिसी होगी। इसके पहले भी इन प्लेटफॉर्म पर बिक्री को लेकर वस्तु के मूल्य और उसपर मिलने वाले डिस्काउंट को लेकर भी सवाल खड़े किए जा चुके हैं। पॉलिसी के अनुसार इन कंपनियों को अपने लोकल डेटा को भारत में ही स्टोर करना होगा।
पॉलिसी के अनुसार कंपनी अपने प्लेटफॉर्म पर मौजूद सामान की कीमत को उसी स्तर पर कम कर सकेंगी जिससे बाज़ार की प्रतिस्पर्धा प्रभावित ना हो, इसी के साथ कंपनियों के लिए किसी भी उत्पाद पर फेक रिव्यू रोकने के लिए भी कड़े नियम तैयार किए गए हैं। इसके पहले अमेज़न और फ्लिपकार्ट को उनके प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध सामान के साथ निर्माता देश का नाम ना दिखाने को लेकर नोटिस जारी किया गया था।
बीते साल अपने भारत दौरे के दौरान अमेज़न के संस्थापक जेफ बेजोस ने भारत को अमेज़न के विकास के लिए संभावनाओं से भरा हुआ बाज़ार बताया था। कुछ दिन पहले कई मीडिया रिपोर्ट्स में अमेज़न के एक ऐसे आंतरिक दस्तावेज़ को जारी किया गया था जिसमें यह दावा किया जा रहा था कि कंपनी कुछ चुनिन्दा सेलर्स का समर्थन कर रही है। इसे अमेज़न द्वारा अन्य सेलर्स के साथ भेदभाव किए जाने के रूप में प्रदर्शित किया गया था, हालांकि अमेज़न ने इस दावे का खंडन किया था।
अमेज़न भारत में 5.5 बिलियन डॉलर के भारी भरकम निवेश का दावा कर चुका है। गौरतलब है कि कोरोना वायरस महामारी के चलते लगे लॉकडाउन ने अमेज़न के व्यापार को और तेज़ करने का काम किया है।