सरकार स्कूल में बच्चे कर रहे हैं जैविक खेती, परिसर उगाई गई सब्जियों से बनता है मिड-डे मील
इस सरकारी स्कूल में बच्चे जैविक रूप से खेती करते हैं। स्कूल परिसर में ही उगाई गई सब्जियों का उपयोग मिड-डे मील बनाने में किया जाता है।
लोगों के बीच जैविक उत्पादों के उपयोग को बढ़ावा देने के लिएा नागालैंड के कोहिमा में K Khel गवर्नमेंट मिडिल स्कूल (GMS) 2011 से अपने छात्रों को अपने परिसर में सब्जियां उगाने के लिए प्रोत्साहित कर रहा है।
इन सब्जियों का उपयोग बाद में स्कूल में 60 से अधिक छात्रों के लिए मध्याह्न भोजन पकाने के लिए किया जाता है।
जैविक खेती की शुरुआत पर एनडीटीवी से बात करते हुए हेडमिस्ट्रेस केनेइसेनू वीत्सु ने कहा,
“खेती और बागवानी हमारे पाठ्यक्रम का एक अभिन्न अंग है। हमने छात्रों को कृषि के कौशल और ज्ञान को विकसित करने के लिए जैविक खेती सिखाने का फैसला किया। हम महीने में एक दिन बागवानी और कृषि से संबंधित शिक्षण गतिविधियों का आयोजन करते हैं।”
उगाई गई सब्जियों में नींबू, लहसुन, आलू, गोभी, प्याज, कद्दू और अनार शामिल हैं। उनमें से कुछ में स्वदेशी पौधे भी शामिल हैं, जैसे कि नागा दल और अन्य स्टेपल। ये पौधे केवल इसी राज्य में पाए जाते हैं और यहीं विकसित होते हैं। औसतन, स्कूल में 300 किलोग्राम का उत्पादन होता है।
इसकी शुरुआत तब होती है जब कक्षा 1 से लेकर कक्षा 8 तक के छात्र खेती योग्य जगह का चुनाव करते हैं। इस जगह तब साफ किया जाता है और उस पर सब्जियों की खेती के लिए समतल किया जाता है। इसके अलावा, छात्रों को रसोई के कचरे से जैविक खाद बनाने और गैर-जरूरी खरपतवार को उखाड़ने के बारे में सिखाया जाता है।
बीज को क्षेत्र में मौसम के अनुसार बोया जाता है, और एक बार बीज बोए जाने के बाद बच्चे अपनी कक्षाओं के बाद पानी डालने और खरपतवार उखाड़ने के लिए जाते हैं। ये बच्चे पौधों में हरी खाद डालते हैं। खेतों से जानवरों को दूर रखने के लिए बच्चों ने बांस निर्मित बाड़ भी बनाया है।
द बेटर इंडिया के अनुसार, स्कूल में पर्यावरण प्रथाओं का भी प्रावधान है। उदाहरण के लिए स्कूल द्वारा रखे गए गाँव के सड़क किनारे बाँस के डिब्बे रखे गए हैं, जिससे निवासियों को पर्याप्त रूप से उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।