अपोलो म्यूनिख हेल्थ इंश्योरेंस को खरीदेगी एचडीएफसी एर्गो, 1,347 करोड़ में खरीदेगी 50% से ज्यादा हिस्सेदारी
HDFC द्वारा अपोलो हॉस्पिटल्स समूह से अपोलो म्यूनिख की बहुलांश हिस्सेदारी का अधिग्रहण 1,347 करोड़ रुपये में किया जाएगा। शेष 0.4 प्रतिशत हिस्सेदारी उसके कर्मचारियों के पास रहेगी। इसका मूल्य 10.84 करोड़ रुपये होगा। इसके लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई), भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के अलावा अन्य नियामकीय मंजूरियां ली जानी थीं, जो कि मिल चुकी है।
देश की सबसे बड़ी आवास ऋण कंपनी एचडीएफसी लि. की अनुषंगी एचडीएफसी एर्गो को अपोलो म्यूनिख हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी लि. में बहुलांश हिस्सेदारी के अधिग्रहण की अनुमति मिल गई है।
अधिग्रहण करार के अनुसार एचडीएफसी द्वारा अपोलो हॉस्पिटल्स समूह से अपोलो म्यूनिख की बहुलांश हिस्सेदारी का अधिग्रहण 1,347 करोड़ रुपये में किया जाएगा। वह इस कंपनी का विलय अपनी इकाई एचडीएफसी एर्गो में करेगी।
एचडीएफसी 1,336 करोड़ रुपये में अपोलो हॉस्पिटल्स समूह से कंपनी की 50.8 प्रतिशत हिस्सेदारी का अधिग्रहण करेगी। शेष 0.4 प्रतिशत हिस्सेदारी उसके कर्मचारियों के पास रहेगी। इसका मूल्य 10.84 करोड़ रुपये होगा।
इसके अलावा जर्मनी की बीमा कंपनी म्यूनिख हेल्थ द्वारा अपोलो हॉस्पिटल्स एंटरप्राइज और अपोलो एनर्जी को संयुक्त उद्यम को खत्म करने के लिए 294 करोड़ रुपये का भुगतान किया जाएगा।
इससे पहले 19 जून, 2019 को इस बारे में एचडीएफसी एर्गो जनरल इंश्योरेंस, एचडीएफसी लि., अपोलो म्यूनिख हेल्थ इंश्योरेंस (एएमएचआई), अपोलो हॉस्पिटल्स, अपोलो एनर्जी कंपनी लि., म्यूनिख हेल्थ होल्डिंग्स एजी और एएमएचआई के अन्य शेयरधारकों के बीच एचडीएफसी द्वारा एएमएचआई की 51.2 प्रतिशत हिस्सेदारी के अधिग्रहण के लिए शेयर खरीद करार किया गया था।
इसके लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई), भारतीय रिजर्व बैंक और भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (इरडा) के अलावा अन्य नियामकीय मंजूरियां ली जानी थीं।
एचडीएफसी ने शेयर बाजारों को भेजी सूचना में कहा है कि इस बारे में उसे सीसीआई, आरबीआई, इरडा आदि से जरूरी मंजूरियां मिल गई हैं।
आपको बता दें कि विलय के बाद 308 शाखाओं एवं 10,807 करोड़ रुपये के कारोबार के साथ साधारण बीमा उद्योग में एचडीएफसी अर्गो जनरल इंश्योरेंस की हिस्सेदारी 6.4 फीसदी हो जाएगी। एचडीएफसी के चेयरमैन दीपक पारेख ने उम्मीद जताई कि अगले महीने तक अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी कर ली जाएगी और विलय के बाद कर्मचारियों को बनाए रखा जाएगा।
(Edited by रविकांत पारीक )