लगभग 50 मिलियन वर्ष पहले हुई भारी वर्षा ने उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों को जीवित रहने में मदद की: रिसर्च

मध्य और उच्च अक्षांशों के मौजूदा पुराजलवायु आंकड़ों से पता लगता है कि लगभग 50 मिलियन वर्ष पहले वर्षा की मात्रा में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव आते थे.

लगभग 50 मिलियन वर्ष पहले हुई भारी वर्षा ने उष्णकटिबंधीय वर्षा वनों को जीवित रहने में मदद की: रिसर्च

Friday November 17, 2023,

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50 मिलियन वर्ष पहले भारी वर्षा ने भूमध्यरेखीय वर्षावनों को उस समय जीवित रहने में मदद की जब पृथ्वी बहुत अधिक गर्म थी और वायुमंडलीय कार्बन डाइऑक्साइड सघनता 1000 पीपीएमवी से अधिक थी.

वह तंत्र जिसमें बायोटा प्रतिकूल परिस्थितियों में भी जीवित रहता है, उसके बारे में अभी भी बहुत कम जानकारी है. मध्य और उच्च अक्षांशों के मौजूदा पुराजलवायु आंकड़ों से पता लगता है कि लगभग 50 मिलियन वर्ष पहले वर्षा की मात्रा में बहुत ज्यादा उतार-चढ़ाव आते थे. हालांकि, भूमध्यरेखीय क्षेत्र से स्थलीय पुरा जलवायु आंकड़ों का मात्रा निर्धारण करने का प्रयास कभी नहीं किया गया था. वैज्ञानिक पुराजलवायु आंकड़ों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं ताकि प्रतिकूल परिस्थितियों में जीवन के विकास के रहस्यों की जांच की जा सके.

विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, बीरबल साहनी इंस्टीट्यूट ऑफ पैलियोसाइंसेज (BSIP) के वैज्ञानिकों ने प्लांट प्रॉक्सी का उपयोग करके लगभग 50 मिलियन वर्ष पहले की स्थलीय भूमध्यरेखीय जलवायु की मात्रा निर्धारित की है. उन्होंने जलवायु आंकड़ों का पुनर्निर्माण किया और पाया कि उस दौरान काफी अधिक वर्षा हुई थी. वैज्ञानिकों के अनुमान के अनुसार संभवत: भारी वर्षा ने पौधों की जल उपयोग दक्षता में वृद्धि की और लगभग 50 मिलियन वर्ष पहले के अत्यधिक गर्म और उच्च कार्बन डाइऑक्साइड सघनता के बावजूद पौधों को जीवित रहने और बढ़ते रहने के लिए उचित जलवायु प्रदान की.

High rainfall afforded resilience to tropical rainforests around 50 million years ago

इस बात का पहले से ही ज्ञान था कि उस समय पृथ्वी वर्तमान की तुलना में लगभग 13 डिग्री सेल्सियस अधिक गर्म थी और इस दौरान कार्बन डाइऑक्साइड सघनता 1000 पीपीएमवी से अधिक थी. जल विज्ञान चक्र में आए बदलाव की वजह से मध्य और उच्च अक्षांश के जंगलों के अस्तित्व पर काफी प्रभाव पड़ा, लेकिन भूमध्यरेखीय वन सफलतापूर्वक जीवित रहे. ‘पुराभूगोल, पुराजलवायु विज्ञान, पुरापारिस्थितिकी’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हालिया शोध में पहली बार पता लगा कि जिस समय पृथ्वी वर्तमान की तुलना में बहुत अधिक गर्म थी उस समय भी भूमध्यरेखीय वनों के जीवित रहने की क्या वजह थी.

इस शोध ने निम्न-अक्षांश क्षेत्रों की एक कैलिब्रेशन फ़ाइल विकसित करने में भी मदद की है, जो मौसमी गहन समय में स्थलीय जलवायु की मात्रा निर्धारित करने में उपयोगी होगी. वर्षावनों के जीवित रहने के रहस्य का पता लगाने के क्रम में दुनिया के जैव विविधता हॉटस्पॉट वर्तमान और भविष्य में होने वाले जलवायु और जैविक परिवर्तनों को समझने की कुंजी है.

(फीचर इमेज: freepik/vecstock)