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कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में हिजाब बैन पर सुप्रीम कोर्ट के दोनों जजों की राय अलग-अलग, जारी रहेगा बैन

कर्नाटक के शिक्षण संस्थानों में हिजाब बैन पर सुप्रीम कोर्ट के दोनों जजों की राय अलग-अलग, जारी रहेगा बैन

Thursday October 13, 2022 , 3 min Read

महसा अमिनी (Mahsa Amini) की मौत के बाद ईरान (Iran) में हिजाब न पहनने को लेकर पुरे ईरान में महिलाओं द्वारा विरोध-प्रदर्शन हो रहे हैं. ईरान में हज़ारों महिलाएं उस क़ानून के ख़िलाफ़ सड़कों पर हैं जो उन्हें सार्वजनिक स्थानों पर हिजाब पहनना अनिवार्य करता है. वहीं भारत के कर्नाटक में कॉलेज छात्राएं हिजाब पहनने के अधिकार की मांग कर रही हैं. ये दोनों ही विचार एक दूसरे के विरोधी प्रतीत हो सकते हैं लेकिन इनका तर्क एक ही है- एक महिला के पास ये अधिकार होना चाहिए कि वो तय कर सके कि उसे क्या पहनना है और क्या नहीं पहनना है.


कर्नाटक सरकार (Karantaka Govt) ने पांच फरवरी 2022 को आदेश दिया कि स्कूल में वे ऐसे कपड़े पहन कर कोई नहीं आ सकता, जिससे स्कूल-कॉलेजों में व्यवस्था बिगड़े. उडुपी की सरकारी प्री-यूनिवर्सिटी की कुछ मुस्लिम लड़कियों ने इसे हाईकोर्ट में चुनौती देते हुए कक्षाओं में हिजाब पहन कर बैठने देने की अनुमति मांगी. 15 मार्च को हाईकोर्ट ने याचिका खारिज कर दी थी. अदालत ने यह कहते हुए कि हिजाब इस्लाम में अनिवार्य धार्मिक प्रथा का हिस्सा नहीं है कर्नाटक सरकार के आदेश को कायम रखा था. मुस्लिम लड़कियों ने इसी के मद्देनजर सुप्रीम कोर्ट में कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी.


स्‍कूल में हिजाब बैन सही या गलत के विवाद में सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) में जस्टिस हेमंत गुप्ता (Hemant Gupta) और सुधांशु धूलिया (Sudhanshu Dhulia) की बेंच ने आज फैसला सुना दिया है. बता दें, दोनों पक्षों की 10 दिन तक सुनवाई के बाद पीठ ने 22 सितंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था.


हिजाब बैन (hijab ban) के मामले में सुप्रीम कोर्ट के दो जजों की बेंच का बंटा हुआ फैसला आया है. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस हेमंत गुप्ता ने जहां हिजाब बैन के कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखा वहीं दूसरे जस्टिस सुधांशु धूलिया ने हिजाब बैन के फैसले को खारिज कर दिया है. इसके बाद इस मामले को अब चीफ जस्टिस के सामने भेजा जा रहा है ताकि उचित निर्देश जारी हो सके.


फैसले पर दोनों जजों की ओर से क्या कहा गया

जस्टिस हेमंत गुप्ता ने अपने फैसले में कर्नाटक हाई कोर्ट के फैसले को बरकरार रखा है. कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा था कि इस्लाम में हिजाब पहनना धर्म का अभिन्न अंग नहीं है. जस्टिस गुप्ता ने तमाम सवालों का जवाब देते हुए कहा कि कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला सही है और हिजाब बैन को बरकरार रखा.


वहीं दूसरे जस्टिस धूलिया ने जस्टिस हेमंत गुप्ता के मत से असहमति रखते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को खारिज कर दिया. जस्टिस धूलिया ने कहा कि हाईकोर्ट ने गलत रास्ता अपनाया है और आखिर में यह मामला अनुच्छेद-14 और 19 से जुड़ा हुआ है. जस्टिस धूलिया ने कहा कि हमें इस बात का ख्याल रखना चाहिए कि सवाल अंततः लड़कियों की शिक्षा का है. उनकी जिंदगी बेहतर करना दिमाग में रखना चाहिए, और कर्नाटक सरकार द्वारा लगाए गए बैन को हटाये जाने का आदेश दिया.


सुप्रीम कोर्ट के आज के फैसले के बाद आगे क्या

दोनों जजों द्वारा खंडित फैसला आने के बाद हिजाब पर फैसला अब बड़ी बेंच करेगी. 3 जजों की बेंच होगी या 5 जजों की बेंच होगी इसका फैसला सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस की ओर से किया जाएगा, जहाँ  इस पूरे मामले की नए सिरे से सुनवाई होगी. अभी जो फैसला आया है उसके अनुसार कर्नाटक हाई कोर्ट का फैसला अभी लागू रहेगा.