एक छोटे से ऑफ़िस से शुरू हुई कंपनी ने किस तरह बदल दी भारत के रीटेल मार्केट की तस्वीर
प्रशांत लोहिया ने 2006 में जिनेसिस नाम से अपनी कंपनी की शुरुआत की थी। उनका उद्देश्य भारत के रीटेलर्स और ब्रैंड्स के लिए एक संपूर्ण रीटेल ईआरपी (एंटरप्राइज़ रिसोर्स प्लानिंग) सॉल्यूशन विकसित करना था।
जब भी कोई प्रोडक्ट या सर्विस की ख़रीद होती है, तब व्यापारी और ग्राहक के बीच लेन-देन के लिए पॉइंट ऑफ़ सेल (पीओएस) माध्यम का प्रयोग किया जाता है। सेल से संबंधित इस प्रकार के लेनदेन में पीओएस सॉफ़्टवेयर और हार्डवेयर का इस्तेमाल होता है। सुपमार्केट्स, क्लोदिंग स्टोर्स या फिर अन्य कोई भी रीटेल स्टोर, हर जगह पर पीओएस सॉफ़्टवेयर्स का इस्तेमाल होता है, जिनमें इनवेंटरी ट्रैकिंग, कस्टमर डेटाबेस, पर्चेज़ ऑर्डर्स आदि फ़ीचर्स मौजूद होते हैं। इन फ़ीचर्स में बारकोड स्कैनर्स भी शामिल हो सकता है।
भारत का रीटेल मार्केट (खुदरा बाज़ार) बहुत ही व्यापक है और यहां पर रीटेल्स को इस बात का ख़ास ध्यान रखना पड़ता है कि उनके द्वारा इस्तेमाल किए जा रहे पीओएस सॉल्यूशन में सभी ज़रूरी फ़ीचर्स मौजूद हों। डिजिटल मीडिया का प्रचलन बढ़ने के साथ ही, रीटेल मार्केट भी ऑनलाइन होता जा रहा है और व्यवसाइयों को इस पहलू पर गौर करने की ज़रूरत है।
रीटेल ईकोसिस्टम को ध्यान में रखते हुए, ऑन्त्रप्रन्योर प्रशांत लोहिया ने 2006 में जिनेसिस नाम से अपनी कंपनी की शुरुआत की थी। उनका उद्देश्य भारत के रीटेलर्स और ब्रैंड्स के लिए एक संपूर्ण रीटेल ईआरपी (एंटरप्राइज़ रिसोर्स प्लानिंग) सॉल्यूशन विकसित करना था।
जिनेसिस के सीईओ और सीएफ़ओ प्रशांत कहते हैं, "भारत में पीओएस सॉफ़्टवेयर रीटेलर्स को काफ़ी आकर्षित करते हैं, लेकिन कुछ चुनिंदा कंपनियां ही एक संपूर्ण सॉल्यूशन उपलब्ध कराने में समर्थ हैं। जिनेसिस एक ईआरपी सॉफ़्टवेयर है, जो मैनुफ़ैक्चरिंग और डिस्ट्रीब्यूशन से लेकर रीटेल तक पूरी रीटेल वैल्यू चेन को देखता है।" प्रशांत बताते हैं, "ग्राहकों के साथ करीब से काम करके, हमने एक जेनरिक रीटेल ईआरपी सॉल्यूशन तैयार किया।" प्रशांत मानते हैं कि जब उन्होंने अपनी कंपनी की शुरुआत की, उस वक़्त ही भारत में रीटेल मार्केट ने कस्टम सॉल्यूशन्स की ओर रुख करना शुरू किया था।
प्रशांत का बिज़नेस मंत्र है कि सर्विस या प्रोडक्ट उपलब्ध कराने वाले को हमेशा ग्राहक की ज़ुबान बोलनी चाहिए। उनका कहना है, "हमारे ग्राहक हमपर पूरा भरोसा करते हैं, क्योंकि हम उन्हें अपने सॉल्यूशन के साथ-साथ नए फ़ीचर्स भी उपलब्ध कराते रहते हैं। जिनेसिस अपने ग्राहकों से मिलने वाले सुझावों को अपने प्रोडक्ट में शामिल करता है, न कि किसी एक क्लाइंट के लिए ख़ासतौर पर कस्टमाइज़ेशन करता है।"
इस मॉडल की बदौलत गुरुग्राम आधारित कंपनी जिनेसिस फ़िलहाल सालाना तौर पर 500 से अधिक बिज़नेस वेंचर्स के लिए 25,000 करोड़ रुपए के लेनदेन करती है। जिनेसिस ने 2006 में एक छोटे से ऑफ़िस से चार लोगों की टीम के साथ और एक क्लाइंट रीटेलर के साथ अपने सफ़र की शुरुआत की थी और अब कंपनी के पास 500 बड़े रीटेलर्स, 125 लोगों की टीम और पांच ऑफ़िस हैं। जिनेसिस का टर्नओवर 28 करोड़ रुपए से भी अधिक का है।
प्रशांत बताते हैं कि कंपनी मिड-साइज़ सुपरमार्केट चेन्स, फ़ैशन लाइफ़स्टाइल प्रोडक्ट्स और फ़ैशन ब्रैंड्स पर फ़ोकस करती है। जिनेसिस के पास मान्यवर, बींग ह्यूमन, वी मार्ट, मुफ़्ती और सोच जैसे क्लाइंट्स हैं।
प्रशांत कोलकाता में बतौर चार्टेड अकाउंटेन्ट काम करते थे और इस दौरान ही उन्हें एहसास हुआ का उस समय के इनवेंटरी मैनजमेंट और रीटेल सॉफ़्टवेयर में बेसिक कंट्रोल की कमी थी। वह बताते हैं कि इस वजह से उनके क्लाइंट्स को काफ़ी नुकसान हो रहा था और इसलिए ही उन्होंने इस समस्या का समाधान ढूंढने के उद्देश्य के साथ सॉफ़्टवेयर डिवेलपमेंट सीखना शुरू किया।
इस नए सफ़र में उनके दोस्त हर्ष नहाटा, सौम्यदीप भट्टाचार्य और अर्जुन रॉय ने उनका साथ दिया और सभी ने मिलकर जिनेसिस की शुरुआत की। प्रशांत कहते हैं, "शुरुआत में सेल्स और मार्केटिंग पर खर्च करने के लिए हमारा पास अधिक पूंजी नहीं थी और इसलिए प्रचार के लिए हम पूरी तरह से अपने क्लाइंट्स और उनकी फ़ीडबैक पर ही निर्भर थे। यह बात हमारी बैलेंस शीट्स में भी झलकती है। हमारा बिज़नेस शुरुआत से ही बिना किसी लोन या उधार के चल रहा है।"
प्रशांत ने जानकारी दी कि इंडियन ब्रैंड इक्विटी फ़ाउंडेशन (आईबीईएफ़) की एक हालिया स्टडी के मुताबिक़, अगले चाल सालों में इस इंडस्ट्री के 17 प्रतिशत की सीएजीआर (कम्पाउंड ऐनुअल ग्रोथ रेट) के साथ बढ़ने की संभावना है कि और 2020 तक यह मार्केट 1,300 बिलियन डॉलर तक पहुंच सकता है।
प्रशांत बताते हैं कि आने वाले सालों में उनकी कंपनी, दूसरी कंपनियों के अधिग्रहण या फिर उनके साथ पार्टनरशिप करने की विचारधारा के साथ आगे बढ़ रही है। उनका कहना है कि जिनेसिस ऐसे स्टार्टअप्स में निवेश करेगी, जो उनकी थीम से मिलते हों। उदाहरण के तौर पर जिनेसिस ने मोबाइस पीओएस कंपनी Zwing का अधिग्रहण किया था।
जिनेसिस का लक्ष्य है कि भारतीय रीटेल स्पेस को पूरी तरह से डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर लाया जाए। प्रशांत कहते हैं, "तकनीकी रूप से आधुनिक रीटेलर्स के अपने प्रतिद्वंद्वियों से आगे निकलने की संभावना बढ़ जाती है और वे तेज़ी के साथ आगे बढ़ सकते हैं। हमने Zwing का अधिग्रहण इसलिए किया था ताकि हम छोटी दुकानों को भी डिजिटल प्लेटफ़ॉर्म पर ला सकें।"
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