पजेशन देने में डिवेलपर आनाकानी कर रहा है तो रिफंड के लिए इन जगहों पर कर सकते हैं शिकायत
पजेशन में देरी खरीदारों के बीच घबराहट तो पैदा करती ही है साथ में कई और तरह की चिंताएं पैदा कर देती है. अगर आपका डिवेलपर भी पजेशन देने में देरी कर रहा है तो आज हम आपको कुछ ऐसे तरीके बता रहे जहां आप डिवेलपर के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं या रिफंड की मांग कर सकते हैं.....
भारत में एक मिडिल क्लास के लिए घर खरीदने का मतलब होता है अपनी जिंदगी भर की जमा पूंजी का निवेश. फर्ज करें आपने एक फ्लैट लेने के लिए अपनी पूरी जमा पूंजी लगा दी है आप पजेशन का इंतजार कर रहे हों और समय आने पर मालूम पड़ता है कि डिवेलपर की तरफ से पजेशन देने के कोई आसार नहीं नजर आ रहे हैं.....
ऐसी स्थिति खरीदारों के बीच घबराहट तो पैदा करती ही है साथ में कई और तरह की चिंताएं पैदा कर देती है. अगर आपका डिवेलपर भी पजेशन देने में देरी कर रहा है तो आज हम आपको कुछ ऐसे तरीके बता रहे जहां आप डिवेलपर के खिलाफ शिकायत कर सकते हैं या रिफंड की मांग कर सकते हैं.....
RERA के पास शिकायत करें
ऐसे मामलों में सबसे पहले रियल एस्टेट रेग्युलेशन एंड डिवेलपमेंट अथॉरिटी RERA के पास शिकायत दर्ज कराएं. रेरा खरीदारों को या तो पजेशन में हुई देरी पर ब्याज मांगने का या फिर ब्याज सहित पूरे रकम का रिफंड मांगने का अधिकार देती है.
कंज्यूमर कोर्ट जाएं
अगर डिवेलपर ने घर का पजेशन देने में एक साल से ज्यादा की देरी की है तो खरीदार डिवेलपर से रिफंड मांग सकते हैं. 20 लाख रुपये तक की प्रॉपर्टीज के लिए डिस्ट्रिक्ट कमिशन के पास शिकायत कर सकते हैं.
20 लाख रुपये से 1 करोड़ रुपये तक की प्रॉपर्टी के लिए स्टेट कमिशन के पास शिकायत दर्ज करा सकते हैं और 1 करोड़ से ऊपर की प्रॉपर्टीज के लिए नैशनल कंज्यूमर डिस्प्यूट रेड्रेसल कमिशन के पास शिकायत रजिस्टर करानी होगी.
NCLT का दरवाजा खटखटाएं
खरीदार नैशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल के पास इनसॉल्वेंसी कार्रवाई शुरू करने के लिए याचिका दे सकते हैं और पजेशन में हुई देरी के बदले राहत मांग सकते हैं.NCLT याचिका मिलने के बाद एक रेजॉल्यूशन प्रोफेशनल की नियुक्ति करता है, जो कमिटी ऑफ क्रेडिटर्स के साथ मिलकर रेजॉल्यूशन प्लान तैयार करता है.
अगर 66 फीसदी वोटिंग प्लान के पक्ष में है तो सीओसी इस पर काम शुरू करेगा. वरना कंपनी की सारीं संपत्तियां बेचकर खरीदारों के पैसे लौटाए जाएंगे.
हालांकि ध्यान दें कि घर खरीदार अकेले कोई केस नहीं फाइल कर सकते उन्हें सामूहिक रूप से डिवेलपर्स के खिलाफ केस फाइल करना होगा और ये केस तभी दर्ज किया जाएगा जब डिफॉल्ट की रकम 1 करोड़ रुपये से अधिक होगी.
CCI भी करेगा मदद
2011 में कॉम्पिटीशन कमिशन ऑफ इंडिया ने जाने माने डिवेलपर डीएलएफ के खिलाफ आदेश जारी किया था तो उससे कई और घर खरीदारों को अपने डिवेलपर्स के खिलाफ भी केस दर्ज कराने की हिम्मत मिली. हालांकि रेरा के आने के बाद से चुनिंदा स्थितियों में ही सीसीआई के पास जाते हैं.
SWAMIH फंड भी आएगा काम
2019 में केंद्र सरकार ने SWAMIH स्कीम या स्पेशल विंडो फॉर अफॉर्डेबल एंड मिडल इनकम हाउसिंग को रुके हुए प्रोजेक्ट्स को फंडिंग देने के लिए शुरू किया था. हालांकि इस स्कीम के तहत योग्यता शर्तें काफी सख्त हैं इसलिए अभी तक 100 प्रोजेक्ट्स को ही स्कीम के तहत फंडिंग सहायता मिली है.
कानूनी रास्ता भी अपना सकते हैं
अगर इन कार्रवाईयों के बाद भी आपको रिफंड या पजेशन के संबंध में कोई सकारात्मक कदम नहीं नजर आया तो आप कोर्ट जा सकते हैं, इकॉनमिक ऑफेंसेज विंग के साथ-साथ एनफोर्समेंट डायरेक्टोरेट के पास भी केज दर्ज करा सकते हैं. इन उपायों से आप अपने डिवेलपर पर और दबाव बना सकते हैं.