भारत के कृषि सेक्टर को बदलने में किसानों की मदद कर रहे हैं IIT और IIM के ये दो बैचमेट
भारत ब्रांड इक्विटी फाउंडेशन (IBEF) के अनुसार, भारत की 58% आबादी की आजीविका का प्राथमिक स्रोत कृषि है, जिसके आधार पर भारत एक कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था है। विभिन्न सेक्टर्स के अलावा सरकार भी देश के आर्थिक स्वास्थ्य को निर्धारित करने के लिए मानसून और कृषि उत्पादन पर निर्भर हैं।
आज भले ही सरकार ने पानी की कमी, फसल चक्र आदि के बारे में किसानों की चिंताओं को कम करने के लिए कई योजनाएं शुरू की हैं, लेकिन अभी भी एक लंबा रास्ता तय करना है। हालांकि इस खाई को पाटने के लिए, आईआईटी-खड़गपुर और आईआईएम-अहमदाबाद के दो बैचमेट तौसीफ खान और निशांत महात्रे, ने एग्रोटेक स्टार्टअप ग्रामोफोन (Gramophone) की स्थापना की।
कुछ इस तरह बोए गए ग्रामोफोन के बीज
दोनों का मानना है कि कृषि प्रणाली में सूचनाओं की कमी को तकनीक से दूर किया जा सकता है। इसी समस्या को दूर करने के लिए दोनों ने एक ऐप बनाया जो किसानों के लिए बेहतर उपज प्राप्त करने के लिए समय पर सूचना और आवश्यक इनपुट प्रदान करता है।
स्टार्टअप के मिशन पर बोलते हुए, ग्रामोफोन के सह-संस्थापक और सीईओ तौसीफ खान कहते हैं,
“हमारा लक्ष्य किसानों तक सर्वोत्तम कृषि उत्पाद, सूचना और ज्ञान पहुँचाना है। हमारे ऐप को Google Play store के माध्यम से किसी भी मोबाइल डिवाइस पर आसानी से डाउनलोड किया जा सकता है। यह ऐप किसानों के लिए वन-स्टॉप सलूशन है, जहां वे घर बैठे वास्तविक फसल संरक्षण, फसल पोषण, बीज, औजार और कृषि से जुड़े हार्डवेयर खरीद सकते हैं।"
इसके अलावा किसान फसल उगाने के लोकल तरीके, बेस्ट प्रोडक्ट पर क्रॉप एडवाइजरी, और मौसम की जानकारी आदि जानने के लिए भी इसका उपयोग कर सकते हैं। इससे उन्हें न केवल उत्पादकता में सुधार करने में मदद मिलती है, बल्कि कृषि से उनकी आय में लगातार वृद्धि होती है। कुछ समय बाद, टोजेफ के सह-संस्थापक और उनके बचपन के दोस्त आशीष राजन (33) और हर्षित (28) ग्रामोफोन टीम में शामिल हुए।
ऐप कैसे काम करता है
ग्रामोफोन ऐप में किसानों को उनकी उत्पादकता बढ़ाने में मदद करने के लिए छह-आयामी दृष्टिकोण है: इनपुट प्लानिंग, सपोर्ट और एडवाइजरी, क्वालिटी, उपलब्धता (Availability), सहूलियत और लागत प्रभावशीलता (Cost-effectiveness)।
इनपुट प्लानिंग किसानों को मृदा परीक्षण और फसल पोषण प्रबंधन (crop nutrition management) की सुविधा देकर उनकी जमीन को बेहतर तरीके से समझने में मदद करती है। सपोर्ट और एडवाइजरी फंक्शन का उद्देश्य किसानों को मौसम की सही जानकारी और मंडी भाव की जानकारी देकर सूचना विषमता को कम करना है।
क्वालिटी किसानों को विश्वसनीय आपूर्तिकर्ताओं से सर्वश्रेष्ठ और सबसे प्रामाणिक उत्पादों की खरीद करने में सक्षम बनाती है, जबकि उपलब्धता अर्थात अवेलबिलिटी सुनिश्चित करती है कि कृषि से जुड़े तमाम प्रोडक्ट्स की रेंज सही समय पर मार्केट में पहुंचे और बाजार में नए विकास के साथ किसानों को लाभ मिल सके। सहूलियत किसानों को अपने घर पर प्रोडक्ट प्राप्त करने में सक्षम बनाती है। अंत में, लागत-प्रभावशीलता अर्थात कॉस्ट-इफेक्टिवनेस फंक्शन सुनिश्चित करता है कि प्रोडक्ट ऑरिजिनल मार्केट प्राइस की तुलना में अधिक कंपटेटिव प्राइस पर बेचे जाएं।
स्टार्टअप के पास एक टोल-फ्री नंबर भी है। ये नंबर ग्राहकों वही सुविधा उपलब्ध कराता है जो ऐप में होती है। ये नंबर खासकर उन किसानों के लिए है जिनकी ऐप या स्मार्टफोन तक पहुंच नहीं है। कृषि पृष्ठभूमि रखने वाला कंपनी का एक सदस्य भी किसान के संपर्क में रहता है। ग्रामोफोन फील्ड विजिट भी करता है, जिसमें टीम खेत का दौरा करती है, मिट्टी और जलवायु की प्रकृति का निरीक्षण करती है, और खेती किसानी के समाधान प्रदान करती है। सह-संस्थापकों के लिए अब तक की सबसे बड़ी चुनौती तब रही है, जब उन्होंने पहली बार मध्य प्रदेश में किसानों के साथ साइट विजिट किया और ग्रामोफोन ऐप लॉन्च करने की संभावनाओं के बारे में बातचीत की।
निशांत कहते हैं,
"जब हम पहली गांवों में गए, तो यह निश्चित रूप से एक चुनौती थी, क्योंकि हम बाहरी लोग उनके स्पेस में प्रवेश कर रहे थे। किसानों की शुरुआती प्रतिक्रिया थी, 'आप कौन हैं? हम वर्षों से इसी तरह से किसानी कर रहे हैं।' ग्रामोफोन की प्रामाणिकता को समझना और उनका हम पर भरोसा करना एक प्रारंभिक चुनौती थी। हालांकि, समय के साथ हम उनका विश्वास हासिल करने और विश्वसनीयता अर्जित करने में सक्षम हो गए।”
एक सकारात्मक प्रभाव
भारत में किसानों पर ग्रामोफोन का सबसे बड़ा प्रभाव यह पड़ा है कि इसने उनकी मानसिकता और खेती को देखने के तरीके को बदल दिया है। उन्हें अब यह समझ में आ गया है कि जब बात कृषि की आती है इसमें अनंत संभावनाएं मौजूद होती हैं।
आशीष कहते हैं,
“हमने पिछले कुछ वर्षों में किसानों के व्यवहार और मानसिकता में बदलाव देखा है, और इसका उन पर काफी प्रभाव है। हम ग्रामोफोन के जरिए कृषि और उन चीजों की क्षमता को साकार करने का प्रयास कर रहे हैं जिससे हम बदलाव ला सकते हैं।"
निशांत कहते हैं,
"हमने देखा है कि हमारे ऐप का उपयोग करने वाले किसानों के उत्पादन में 40 प्रतिशत तक की वृद्धि हुई है, और खेती की लागत में 20 प्रतिशत की कमी आई है।"
ग्रामोफोन ऐप के इस्तेमाल से काफी लाभ लेने वाले मध्य प्रदेश के किसान रामकिशन जी कानारदी कहते हैं,
“जब मैं पहली बार इंदौर में ग्रामोफोन ऑफिस गया, तो उन्होंने मुझे ऐप का उपयोग करने का तरीका सिखाया। यह मेरे लिए काफी उपयोगी था क्योंकि इसने मुझे मौसम के पूर्वानुमान और बारिश की भविष्यवाणी पहले से उपलब्ध कराई। इसके अलावा, ऐप ने मुझे बताया कि क्या मेरी फसल में कोई बीमारी है, और यदि हां, तो इसे उपयुक्त दवा के साथ कैसे ठीक किया जा सकता है। यदि किसी समस्या के समाधान की आवश्यकता है, तो ऑफिस को ये बात पता चल जाती है और वे मुझे समाधान प्रदान करने के लिए कॉल करते हैं, दूसरों के विपरीत जो केवल एक विशेष ब्रांड की मार्केटिंग करते रहते हैं, ग्रामोफोन मुझे बताता है कि मेरे और मेरी फसल के लिए सबसे अच्छा काम क्या होगा।”
तीन लाख से अधिक किसानों ने ग्रामोफोन प्लेटफॉर्म का उपयोग किया है, जिससे वर्ड-ऑफ-माउथ मार्केटिंग से बहुत लाभ हुआ है। एमपी के एक अन्य किसान देवेंद्र पाटीदार कहते हैं,
''हमारे स्थानीय बाजार में, कोई भी ब्रांडेड प्रोडक्ट नहीं हैं, जिन्हें हम अपनी फसलों के लिए उपयोग कर सकें, लेकिन ग्रामोफोन ऐप के जरिए हम सुबह अपना ऑर्डर दे सकते हैं और शाम तक ये हमारे घर डिलीवर हो जाता है। यह हम किसानों के लिए काफी मददगार है क्योंकि हमें अपने प्रोडक्ट्स के इंतजार में ज्यादा समय बर्बाद नहीं करना है। इससे हम गलत उत्पाद खरीदने से भी बच जाते हैं।”
तौसीफ कहते हैं,
“हमने ग्रामोफोन के साथ कई गुना वृद्धि देखी है, जो हर साल 5 गुना बढ़ने में सक्षम है क्योंकि हम कृषि क्षेत्र में काम करने वाले किसानों के लिए समस्याओं का समाधान प्रदान करने में सक्षम रहे हैं, और हमारी सेवाओं ने उनके लिए काम किया है। हमने उन उत्पादों के साथ एक सुंदर डिजिटल प्लेटफॉर्म बनाया है जिसने उन्हें सशक्त बनाया है।"
शुरुआती ग्रोथ और जर्नी
संस्थापकों ने बताया कि ग्रामोफोन 5 गुना साल-दर-साल वृद्धि कर रहा है। 2009 में, कृषि व्यवसाय प्रबंधन में आईआईएम-अहमदाबाद से स्नातक होने के बाद, IIT- खड़गपुर के पूर्व छात्रों ने उन मुद्दों को हल करने का फैसला किया, जिन्होंने भारतीय किसान को त्रस्त करके रखा था। उन्होंने देखा कि सबसे बड़ी समस्या उत्पादकता की थी।
तौसीफ आगे कहते हैं,
"भारत फल और सब्जी उत्पादन में शीर्ष देशों में से एक है, और भारतीय किसानों के लिए आने वाली समस्याओं को हल करने के लिए हम कृषि और प्रौद्योगिकी को एक साथ लाना चाहते थे ताकि कुछ ऐसा बनाया जा सके जो किसानों को सही ज्ञान और कार्यप्रणाली प्रदान करे।"
प्रशासनिक प्रणाली में संरचनात्मक समस्याओं के कारण, किसानों का आमतौर पर बाजार में फसल की कीमतों पर ज्यादा नियंत्रण नहीं होता है, और न ही उनका इस पर नियंत्रण होता है कि किसी विशेष वर्ष में उनकी उपज कितनी हो सकती है।
तौसीफ बताते हैं,
"हम किसानों के नियंत्रण के भीतर चीजों को हल करना चाहते थे और 50 से 70 प्रतिशत तक उत्पादकता में सुधार करने में मदद करके स्थिति को ठीक करना चाहते थे।"
एक साथ पढ़ने के अलावा जॉन डीयर में बतौर सहयोगी काम करने के बाद, और एक समान विचार प्रक्रिया के साथ, दोनों ने एक साथ सहयोग करने का फैसला किया और 2016 में इस एग्रीटेक स्टार्टअप की स्थापना की। आज, कंपनी में 200 से अधिक कर्मचारी हैं, जहां आशीष बेंगलुरु कार्यालय का नेतृत्व करते हैं, तो वहीं शेष तीन सह-संस्थापक इंदौर में काम करते हैं।
निशांत और तौसीफ ने 10 लाख रुपये की राशि के साथ ग्रामोफोन को बूटस्ट्रैप किया। बाद में, उन्हें अपने सेकेंड राउंड में एंजेल इन्वेस्टमेंट मिला। आज तक जिन कंपनियों ने ग्रामोफोन में निवेश किया है उनमें से कुछ में Naukri.com, Asha Impact, Better Capital और Info Edge Limited शामिल हैं।
भविष्य उज्जवल है
भविष्य की योजनाओं के बारे में बात करते हुए, ग्रामोफोन टीम का कहना है कि वे राजस्थान, महाराष्ट्र, और उत्तर प्रदेश जैसे अन्य राज्यों में विस्तार करने की उम्मीद करती है, और अन्य भाषाओं में भी ऐप लॉन्च करने की योजना है।
निशांत कहते हैं,
“ऐप द्वारा प्रदान की गई चैट सेवा की तरह तकनीक के माध्यम से 'ह्यूमन इंटरफेस' का निर्माण करना, कुछ ऐसा है जो हम जल्द ही करने की उम्मीद करते हैं, जैसा कि हमने देखा है कि किसानों को गाइड किया जाना पसंद है। इसके अलावा उन्हें जब तक उनका प्रोडक्ट उनके दरवाजे पर नहीं पहुंच जाता तब तक निर्देशित किया जाना भी पसंद है। हमारे पास एक टोल-फ्री कॉलिंग सर्विस है, लेकिन इसके होने से हमें अतिरिक्त लाभ होगा।”