आईआईटी दिल्ली की पूर्व छात्रा अंगिका बुलबुल ने बनाया अंतरिक्ष की बेहतरीन तस्वीरें क्लिक करने वाला टेलीस्कोप सिस्टम
कम लागत में हाई-रिजॉल्यूशन तस्वीरों को कैप्चर कर सकता हैं IIT दिल्ली की पूर्व छात्रा अंगिका बुलबुल का नैनोसेटेलाइट टेलीस्कोप...
बेन गुरियन यूनिवर्सिटी (बीजीयू), इजराइल में पीएचडी स्कॉलर अंगिका बुलबुल ने हाल ही में एक अनोखी खोज की है जिसकी पूरी दुनिया में चर्चा हो रही है। दरअसल उन्होंने एक दूरबीन (telescope) तैयार की है जिसमें छोटे कार्टन के आकार के कैमरे लगे हैं और ये कैमरे अंतरिक्ष की बेहतरीन तस्वीरें क्लिक कर सकते हैं।
भारतीय मूल की रिसर्चर अंगिका बुलबुल ने एक ऐसा इमेजिंग सिस्टम तैयार किया है, जो नैनोसेटेलाइट से भी छोटा है और हाई-रिजोल्यूशन वाली तस्वीरें खींच सकता है। सीधे शब्दों में कहें तो ये तस्वीरें पहले के तुलना में ज्यादा स्पष्ट होंगी और इनसे अंतरिक्ष से जुड़ी जानकारियों का सटीक अनुमान लगाने में आसानी होगी।
इस टेलीस्कोप का सैटेलाइट इमेजिंग सिस्टम हाई-रिजॉल्यूशन कैप्चर करता है, जो आज के टेलीक्सोप में इस्तेमाल किए जाने वाले फुल-फ्रेम, लेंस-बेस्ड या कॉनकेव मिरर सिस्टम द्वारा ली गई इमेजेस के रिजॉल्यूशन से मेल खाता है। इसके अलावा, रिपोर्टों में कहा गया है, यह इनोवेशन अंतरिक्ष में खोज, खगोल विज्ञान, एरियल फोटोग्राफी और अन्य अंतरिक्ष-आधारित संचालन के क्षेत्र में भी क्रांति ला सकता है।
अंगिका बिहार के भागलपुर की रहने वाली हैं और एनआईटी कालीकट और आईआईटी-दिल्ली की पूर्व छात्रा हैं। इस प्रोजेक्ट के लिए की जाने वाली रिसर्च पर बात करते हुए, अंगिका ने एडेक्स लाइव को बताया,
“लंबी दूरी की फोटोग्राफी के बारे में कई पिछली धारणाएँ गलत थीं। स्टडी के दौरान हमने पाया कि अच्छी क्वालिटी वाली तस्वीरों पाने के लिए सिर्फ टेलीस्कोप लेंस के एक छोटे से हिस्से की जरूरत होती है। इसके लिए लेंस के एपर्चर को 0.43 फीसदी से कम करने की जरूरत होती है। हम नई इमेजिंग प्रणाली से भी हाई रिजोल्यूशन पिक्चर्स क्लिक करने में कामयाब रहे हैं।”
रिसर्च में बड़े कर्व मिरर वाले बड़े ऑप्टिकल स्पेस टेलीस्कोप के निर्माण के लिए आवश्यक लागत, सामग्री और समय को कम करने की भी उम्मीद है। टेक एक्सप्लॉरिस्ट के अनुसार, रिसर्च टीम ने एक लघु प्रयोगशाला मॉडल बनाया है जिसमें सब-एपर्चर की एक गोलाकार सरणी है। यह सिंथेटिक मर्जिनल एपर्चर रिवॉल्विंग टेलीस्कोप (SMART) सिस्टम की क्षमताओं को सेटअप करने में सक्षम करेगा।
एडेक्स की रिपोर्ट में, अंगिका बताती हैं,
"आगामी चरण में, हम अपने टेलीस्कोपिक सिस्टम की पावर इफिसिएन्सी में सुधार करने की दिशा में काम कर रहे हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि टेलीस्कोप्स को खगोलीय पिंडों से बहुत कम रोशनी मिल पाती है और इसी वजह से इन्हें सिग्नल भी कम मिल पाते हैं और इनसे मिलने वाले डाटा इससे प्रभावित होता है। इसलिए इनकी ऊर्जा और दक्षता को बढ़ाने की जरूरत है। कुल मिलाकर इमेज के बेहतर पुनर्निर्माण के लिए, हम पावर इफिसिएन्सी के सुधार पर काम कर रहे हैं।”