IIT दिल्ली के छात्रों द्वारा शुरू स्टार्टअप से यूपी बिहार के 55,000 किसानों की बदल रही जिंदगी
भारत की लगभग आधी आबादी अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर है। इसके अलावा 15 करोड़ हेक्टेयर के साथ भारत दुनिया में खेती करने के मामले में दूसरे स्थान पर है। इसलिए इस क्षेत्र में प्रोद्योगिकी का इस्तेमाल कर किसानों के जीवन को आसान बनाने और उपज के साथ-साथ उत्पादन में वृद्धि करने की काफी गुंजाइश हैं। इसी मकसद से आईआईटी दिल्ली के शशांक कुमार और आईआईटी खड़गपुर के पूर्व छात्र मनीष कुमार ने 2012 में 'देहात' की स्थापना की थी।
शशांक कहते हैं, "बिहार के एक कृषक परिवार में जन्म लेने की वजह से मुझे पता था कि किसानों के सामने कैसी दिक्कतें आती हैं। हालांकि मुझे खेती में प्रत्यक्ष अनुभव नहीं था। इसके पहले शशांक कंसल्टैंट के तौर पर काम कर चुके थे और इसलिए उन्होंने अपने अनुभव को अपनी कंपनी में लगाया। हालांकि मनीष ने 2015 में कंपनी छोड़ दी।
यह प्लेटफॉर्म करता क्या है?
पटना स्थित 'देहात' एक ऑनलाइन प्लेटफ़ॉर्म है जो छोटे किसानों को सूक्ष्म उद्यमियों के नेटवर्क से जोड़ता है। इसमें विभिन्न कृषि में लगने वाले सामान और उपकरणों के आपूर्तिकर्ता - जो बीज, उर्वरक और यहां तक कि उपकरण जैसे विभिन्न सामान की खरीद करते हैं, को एक सूत्र में बांधा जाता है और साथ ही साथ 'देहात' के साथ-साथ मार्केट के बारे में जानकारी दी जाती है।
'देहात' ने सोमवार को घोषणा की कि उसने ओमनिवोर और एगफंड की अगुवाई में 4 मिलियन डॉलर की प्री-सीरीज ए फंडिंग हासिल की। ज़ोमैटो के सह-संस्थापक पंकज चड्ढा और एक अन्य भारतीय ने भी इस ग्रामीण स्टार्टअप में निवेश किया। 'देहात' का दावा है कि वे 150 माइक्रो उद्यमियों के साथ जुड़े हैं जो बिहार, यूपी और ओडिशा के 55,000किसानों को प्रत्यक्ष तौर पर फायदा पहुंचाने के लिए काम कर रहे हैं।
इस स्टार्टअप ने यूपीएल लिमिटेड, आईडीबीआई बैंक, इफको, ड्यूपॉन्ट, पेप्सिको, बेयर एजी और यारा इंटरनेशनल के साथ साझेदारी भी की है। ऐसी कई एजेंसियां इससे जुड़ी हैं जो सीधे किसानों से उनकी उपज खरीदती हैं। कंपनी ने दावा किया है कि अभी तक उसने 45 करोड़ रुपये का राजस्व इकट्ठा किया है। अकेले बीते साल में कंपनी ने 21 करोड़ का राजस्व अर्जित किया था।
शशांक कहते हैं कि नई फंडिंग मिल जाने के बाद 'देहात' अगले एक डेढ़ साल में तीन से चार गुना ज्यादा वृद्धि हासिल करने
की दिशा में काम कर रहा है। आने वाले वक्त में यूपी, बिहार और ओडिशा के 250,000 किसानों तक पहुंचने का काम किया जाएगा। उन्होंने कहा कि वे आने वाले समय में कृषि ऋण और फसल बीमा जैसी सुविधाएं भी शुरू करने पर विचार कर रहे हैं।
देहात के जरिए किसान अपनी उपज को सीधे बेच सकते हैं। वे इसके लिए हेल्पलाइन नंबर का भी इस्तेमाल कर सकते हैं और इसे किसी नजदीकी सेंटर के माध्यम से बेच सकते हैं। इसके बाद देहात उस उपज को छोटे उद्यमियों को सीधे पहुंचा देता है। शशांक बताते हैं कि छोटे उद्यमियों के लिए अलग से देहात फॉर बिजनेस नाम से ऐप बनाया गया है। जहां से वे सारी जानकारी जुटा सकते हैं। देहात किसानों की जिज्ञासाओं और सवालों को दर्ज करता है और उसे विशेषज्ञों तक पहुंचाने की कोशिश करता है।
इस स्टार्टअप की कोर फाउंडिंग टीम में IIT खड़गपुर और IIM अहमदाबाद के पूर्व छात्र श्याम शामिल हैं, जिन्होंने दो साल तक रिलायंस इंडस्ट्रीज के साथ काम किया है। आदर्श श्रीवास्तव, अभिषेक डोकानिया और अमरेन्द्र सिंह भी टीम में शामिल हैं। शशांक बताते हैं कि वे किसानों से किसी भी तरह की सलाह के एवज में कोई रकम नहीं लेते हैं। बल्कि वे मार्केट लिंकेज और उपज के जरिए राजस्व जुटाने का प्रयत्न करते हैं। उन्होंने बताया कि इस प्लेटफॉर्म के जरिए बीते सात माह में 20,000 टन की उपज को क्रय किया गया है। इस उपज में मक्का, गेहूं, मिर्च, लीची और सब्जियां शामिल हैं।
बढ़ता हुआ क्षेत्र
एक क्षेत्र के रूप में एग्रीटेक धीरे-धीरे है, लेकिन लगातार प्रमुखता हासिल कर रहा है। इस हफ्ते की शुरुआत में, टार्टनइजेंस ने घोषणा की कि इसने ओमनिवोर, ब्लम वेंचर्स, और BEENEXT की अगुवाई में सीड फंडिंग में $ 2 मिलियन जुटाए। बुधवार को, पुणे स्थित एग्रीटेक स्टार्टअप एग्रोस्टार ने बर्टेल्समन इंडिया के नेतृत्व में सीरीज़ फंडिंग राउंड में 27मिलियन डॉलर जुटाए हैं।
एग्रीटेक का क्षेत्र धीमी गति से ही सही लेकिन सही दिशा में आगे बढ़ रहा है और अपनी महत्ता दर्ज करा रहा है। इस सप्ताह ऐसे ही एक स्टार्टअप TartanSense ने घोषणा की कि उन्होंने 20 लाख डॉलर की सीड फंडिंग हासिल की है। बुधवार को पुणे के एग्रीटेक स्टार्टअप एग्रोस्टार ने सीरीज सी फंडिंग के तहत 2.7 करोड़ डॉलर जुटाए थे। योरस्टोरी रिसर्च के अनुसार, कम से कम 13 एग्रीटेक स्टार्टअप्स ने 2018 में कुल 65.6 मिलियन डॉलर की (घोषित राशि) जुटाई। वहीं 2017 में 18 डील से $54 मिलियन जुटाए गए थे।
शशांक कहते हैं कि मार्च 2020 तक वे 250,000 किसानों तक पहुंचेंगे और 2022 तक मध्य प्रदेश, राजस्थान, और महाराष्ट्र जैसे अन्य राज्यों में एक लाख किसानों का नेटवर्क तैयार करेंगे।
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