दिव्यांगों के लिए आईआईटी ने लॉन्च की स्वदेशी मॉडल की पहली स्टैंडिंग व्हीलचेयर
"तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद मद्रास आईआईटी ने दिव्यांगों के लिए भारत में पहली खास तरह से डिजायन स्टैंगिंड व्हीलचेयर ‘अराइज़’ लॉन्च की है, जिसे जल्द ही बाजारों में भी उतार दिया जाएगा। इसकी तकनीक का व्यावसायीकरण वेलकम ट्रस्ट के माध्यम से किया गया है। इस व्हीलचेयर की कीमत 15 हजार रुपए रखी गई है।"
व्हीलचेयर लॉन्चिंग के मौके पर
इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) मद्रास, ने फीनिक्स मेडिकल सिस्टम्स के साथ मिलकर देश की पहली स्वदेशी तौर पर डिजाइन की गई व्हीलचेयर ‘अराइज़’ लॉन्च की है। इससे विकलांग व्यक्ति को बैठने की स्थिति से खड़े हो पाने और फिर बैठने में मदद मिलेगी। आईआईटी मद्रास ने तीन साल की कड़ी मेहनत के बाद इसे तैयार किया है। इस व्हील चेयर को जल्द ही इसे बाजारों में भी उतार दिया जाएगा।
इसकी सहायता से अब दिव्यांग या अन्य असहाय लोग बिना किसी मदद के न सिर्फ खड़े हो आमतौर पर व्हील चेयर पर बैठे आदमी की देख-रेख के लिए किसी को मौजूद रहना पड़ता था, लेकिन इस व्हील चेयर के आने के बाद किसी को साथ रहने की जरूरत नहीं होगी। सकेंगे, बल्कि वह चल-फिर भी सकेंगे।
इस स्टैंडिंग व्हीलचेयर को आईआईटी मद्रास के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर सुजाता श्रीनिवासन के नेतृत्व में टीटीके सेंटर फॉर रिहैबिलिटेशन रिसर्च एंड डिवाइस डेवलपमेंट ने डिजाइन और विकसित किया है। 'सेंटर साल 2015 से टीटीके प्रेस्टिज से मिले सीएसआर सपॉर्ट से ह्यूमन मूवमेंट, ह्यूमन मूवमेंट पर ऑर्थोटिक और प्रॉस्थेटिक डिवाइसों के प्रभाव और मेकनिजम के डिजाइन व डिवेलपमेंट, दिव्यांगों के लिए उत्पादों और सहायक उपकरणों से जुड़ी रिसर्च में शामिल था। इसके साथ ही इस स्टैंडिंग व्हीलचेयर तकनीक का व्यावसायीकरण वेलकम ट्रस्ट और यूके के समर्थन के माध्यम से किया गया है।
इस व्हीलचेयर को लगभग 15,000 रुपए में जरूरतमंदों को उपलब्ध कराया जाएगा। सुजाता श्रीनिवासन का कहना है कि सुरक्षा कारणों से, विशेषकर ढलान पर चलते समय चेयर की गतिशीलता को खास तकनीकी सुविधा से लैस किया गया है। वजन और उपयोगकर्ता के अन्य आयामों को ध्यान में रखते हुए डिजायन की गई यह चेयर दिव्यांग व्यक्ति की गतिविधियों के लिए सबसे योग्य विकल्प लेकर आई है। हमने उपयोगकर्ता की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए इसके डिजायन में बहुत ध्यान रखा है।
केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत कहते हैं कि सरकार ज़रूरतमंदों को यह व्हीलचेयर उपलब्ध कराने का प्रयास करेगी। फीनिक्स मार्केट सिस्टम्स के प्रबंध निदेशक वी. शशि कुमार बताते हैं कि यह देश में पहली स्वदेशी तौर पर विकसित व्हीलचेयर है। स्थायी व्हीलचेयर अब लगभग डेढ़ लाख रुपए तक में आयात हो पाती हैं। उनकी कंपनी सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय के सहयोग से इसे अधिकाधिक लाभार्थियों तक पहुंचाना चाहती है।
अशोक कुमार का कहना है कि लंबे समय तक बैठने की स्थिति में दबाव के कारण स्वास्थ्य समस्याएं हो जाती हैं। बाद में दिव्यांग को फिजियोथेरेपिस्ट से मदद लेने में अतिरिक्त पैसे खर्च करने पड़ते हैं। इस व्हीलचेयर से ऐसी कोई असुविधा नहीं होगी।