आधुनिक तकनीकों पर फोकस के साथ 'डिफेंस टेक समिट' का आयोजन करेंगे IIT-मद्रास के छात्र
'डिफेंस टेक समिट' देश भर में डिफेंस टेक्नोलॉजी के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे छात्रों, शौकीनों, उत्साही लोगों और प्रोफेशनल्स को एकजुट, विचारों के आदान प्रदान, नेटवर्क बनाने और विमर्श करने के एक मंच के रूप में काम करेगा।
इंडियन इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (आईआईटी) मद्रास के छात्र अगले साल 3 से 5 जनवरी 2020 के बीच 'शास्त्र' नाम से एक 'डिफेंस टेक समिट' का आयोजन कर रहे हैं। यह डिफेंस टेक्नोलॉजी से जुड़ा देश का पहला ऐसा समिट है, जिसे पूरी तरीके से छात्रों द्वारा आयोजित किया जा रहा है।
समिट का मुख्य उद्देश्य रक्षा तकनीकों के स्वदेशीकरण में अहम रूप से योगदान देना है। शास्त्र, आईआईटी मद्रास का सालाना टेक्निकल फेस्टिवल है, जिसे पूरी तरह से छात्रों के द्वारा ही चलाया जाता है। यह ISO सर्टिफिकेशन पाने वाला देश का पहला स्टूडेंट इवेंट है। इस इवेंट में हर साल 50,000 से ज्यादा लोग आते हैं और यह नेटवर्किंग और ज्ञान के आदान-प्रदान के एक माध्यम के रूप में काम करता है।
इस समिट का एक अहम उद्देश्य डिफेंस स्टार्टअप से जुड़े इकोसिस्टम का प्रदर्शन और उसको बढ़ावा देना है। इसके लिए समिट एक नेटवर्किंग फोरम मुहैया कराता है और तेजी से बढ़ते इस क्षेत्र में मौजूद मौकों को लेकर युवाओं को जानकारी देता है। समिट के रजिस्ट्रेशन शुरु हो चुके हैं। इससे जुड़ी और अधिक जानकारी https://summit.shaastra.org से हासिल की जा सकती है।
हर साल, शास्त्र का आयोजन एक केंद्रीय थीम के आधार पर होता है, जिसका लक्ष्य टेक्नोलॉजी के गैर-पारंपरिक और आगामी क्षेत्र को बढ़ावा देना है। ताकि आईआईटी मद्रास के छात्र इस क्षेत्र पर अपनी सकारात्मक छाप छोड़ पाएं और देश की मदद कर सकें।
आईआईटी मद्रास में डिपार्टमेंट ऑफ एयरोस्पेस इंजीनियरिंग के प्रोफेसर और रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल पी आर शंकर इस समिट के आयोजन में छात्रों का मार्गदर्शन कर रहे हैं। 'डिफेंस टेक समिट 2020' के महत्व पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, 'शास्त्र 2020 की मुख्य थीम 'रक्षा तकनीक' है। माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सभी आईआईटी को देश की रक्षा तैयारियों में योगदान देने का आह्वान किया था और यह इवेंट इसी दिशा में उठाया गया एक कदम है। आईआईटी मद्रास के छात्रों की ओर से सशस्त्र बलों के साथ परामर्श करके समय की आवश्यकताओं के साथ तालमेल बिठाने के लिए यह वास्तव में बहुत विश्वसनीय और दूरदर्शी कदम है। यह एक बेहद अहम घटना है क्योंकि यह भविष्य की रक्षा तकनीकों पर ध्यान केंद्रित कर रहा है। मैं छात्रों को इस ऐतिहासिक कार्यक्रम के संचालन में उनके प्रयासों के लिए शुभकामनाएं देता हूं।'
यह समिट देश भर में डिफेंस टेक्नोलॉजी के विभिन्न क्षेत्रों में काम कर रहे छात्रों, शौकीनों, उत्साही लोगों और प्रोफेशनल्स को एकजुट, विचारों के आदान प्रदान, नेटवर्क बनाने और विमर्श करने के एक मंच के रूप में काम करेगा।
डीआरडीओ के पूर्व अध्यक्ष, पूर्व सचिव (रक्षा अनुसंधान एवं विकास) और वर्तमान में आईआईटी मद्रास के इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग विभाग में प्रोफेसर एस क्रिस्टोफर ने डिफेंस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में आगे बढ़ने को लेकर देश के रुख पर कहा,
'भारत सरकार 'मेक इन इंडिया' को एक वास्तविकता में बदलने के लिए संकल्पित और प्रतिबद्ध है। ऐसे में सरकारी विभागों और भारतीय उद्योगों को स्वदेशी रक्षा उत्पादन में बदलाव के लिए तैयार किया जा रहा है, जिससे आगे चलकर हम इस क्षेत्र में एक्सपोर्ट भी कर सकें।'
प्रोफेसर क्रिस्टोफर भी इस इवेंट के आयोजक टीम को मार्गदर्शन दे रहे हैं। प्रोफेसर क्रिस्टोफर ने आगे कहा,
'शास्त्र अपने पहले 'डिफेंस टेक समिट' के जरिए छात्रों के बीच जागरुकता लाने की दिशा में शानदार काम करेगी।'
डिफेंस टेक समिट में एक डिफेंस एक्सपो का भी आयोजन किया जाएगा, जहां डिफेंस मैन्युफैक्चर और इनोवेटिव स्टार्टअप अपने प्रॉडक्ट का प्रदर्शन करेंगे। समिट में भाग लेने वालों को कत्तुपल्ली शिपयार्ड के एक एजुकेशनल टूर पर जाने का मौका भी मिलेगा। यह शिपयार्ड कई एकड़ में फैला हुआ है और कैप्टिव पोर्ट-कॉम्प्लेक्स के तौर पर भी काम करता है। इसमें जहाज निर्माण और मरम्मत के लिए अत्याधुनिक तकनीकें मौजूद है और इसकी देखरख एलएंडटी करती है।
शास्त्र के स्टूडेंट कोर टीम के सदस्य सिद्धार्थ वेदवल्ली ने डिफेंस टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में छात्रों की भूमिका निभाने के बारे में बोलते हुए कहा,
'यूएवी और एआई और ऐसी दूसरी टेक्नोलॉजी डिफेंस इंडस्ट्री के परिदृश्य को बदल रही हैं। छात्रों के रूप में हम सशस्त्र बलों के सामने आने वाली समस्याओं का इनोवेटिव समाधान मुहैया कराने के लिए अपनी जिज्ञासा, व्यावहारिक और अलग हटकर सोचने के दृष्टिकोण का इस्तेमाल कर सकते हैं। शास्त्र इस अछूते क्षेत्र में छात्रों की भागीदारी को बढ़ावा देना चाहता है और राष्ट्रीय सुरक्षा में योगदान करना चाहता है।'
डिफेंस सेक्टर में लगातार नए इनोवेशन किए जा रहे हैं जो सभी के जीवन पर महत्वपूर्ण असर डालते हैं। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और यूएवी जैसे अत्याधुनिक टेक्नोलॉजी से डिफेंस एप्लिकेशन के लिए काफी संभावनाएं बनी हैं। आतंकवाद और साइबर वॉर के खतरों को भी तकनीक-संचालित समाधानों के साथ निपटने की आवश्यकता है। इसने शास्त्र को डिफेंस टेक समिट के आयोजन कर इस क्षेत्र में योगदान देने के लिए प्रेरित किया ताकि डिफेंस टेक्नोलॉजी में नवीनतम प्रगति पर इसके प्रतिभागियों को गति प्रदान की जा सके।
डिफेंस टेक समिट के हिस्से के रूप में, छात्र 'डिफेंस इनोवेशन चैलेंज' का भी आयोजन कर रहे हैं। यह चार महीने तक चलने वाली एक प्रतियोगिता है, जो प्रतिभागियों को विचारों का आदान प्रदान करने और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस, रोबोटिक्स और वर्चुअल रियलिटी के क्षेत्र में तकनीक आधारित समाधान के साथ आने का आग्रह करता है। इसका लक्ष्य भारतीय सशस्त्र बलों द्वारा सामना की जाने वाली वास्तविक दुनिया की समस्याओं को हल करने में मदद करना है।
इस कार्यक्रम को हेडक्वार्टर इंटिग्रेटेड रक्षा स्टाफ (आईडीएस) और एलएंडटी डिफेंस, एलएंडटी-एनएक्सटी और न्यूजस्पेस रिसर्च एंड टेक्नोलॉजीज के सहयोग से आयोजित किया जा रहा है।
समिट में डिफेंस सेक्टर के जाने माने लोगों के संबोधन देखने को मिल सकते हैं। इसमें इंटिग्रेटेड डिफेंस स्टॉफ के पूर्व चीफ और लेफ्टिनेंट जनरल सतीश दुआ का नाम भी शामिल है, जो कई संवेदनशील सैन्य अभियानों की प्लानिंग से जुड़े रहे हैं। वह आतंकवाद-निरोधी तकनीकों के बारे में बोलेंगे। इसके अलावा पूर्ण कालिक डायरेक्टर और सीनियर एग्जिक्यूटिव वाइस प्रेसिडेंट (डिफेंस, एलएंडटी-एनएक्सटी) जे डी पाटिल, डिफेंस टेक्नोलॉजी सेक्टर में प्रवेश करने की जटिलताओं पर बोलेंगे।
शास्त्र टीम ने इस आयोजन को सशस्त्र बलों को समर्पित किया है और उन्होंने सशस्त्र बलों के सभी सेवारत और सेवानिवृत्त सदस्यों और रक्षा मंत्रालय, भारत सरकार और रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के अधिकारियों से अनुरोध किया है कि वे इस आयोजन में भाग लें और छात्रों का मार्गदर्शन करें।
इसके अलावा शास्त्र टीम ने अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन करने के लिए और रक्षा प्रौद्योगिकी को एक कैरियर विकल्प के रूप में लेने के लिए छात्रों को प्रेरित करने के लिए डिफेंस इंडस्ट्री से बड़े पैमाने पर भागीदारी का आग्रह किया है। टीम ने सभी डिफेंस स्टार्ट-अप से विशेष रूप से अनुरोध किया है कि वे इस आयोजन में भाग लेने के लिए आगे आएं, जिससे देश में रक्षा स्टार्ट-अप इकोसिस्टम को पटरी पर लाया जा सके।