इस कंपनी ने 2030 तक खुद को जलवायु के अनुरूप बनाने के लिए किया 200 मिलियन यूरो का निवेश
दुनिया भर में जलवायु परिवर्तन को लेकर बढ़ती चिंताओं के बीच, कई कॉर्पोरेट्स पर्यावरणीय स्थिरता अर्थात एनवायरमेंटल सस्टेनेबिलिटी की दिशा में काम करने के लिए आगे आए हैं। हाल ही में, स्वीडिश होम फर्निशिंग रिटेलर IKEA ने 2030 तक क्लाइमेट-पॉजिटिव यानी की जलवायु के अनुरूप बनने की दिशा में अपने कार्यों को तेज करने के लिए 200 मिलियन यूरो का निवेश किया है। यह निवेश आगामी संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन सम्मेलन COP25 के संबंध में आया है।
कंपनी के अनुसार, जो निवेश किया गया है वो दो पोर्टफोलियो पर ध्यान केंद्रित करेगा। इसमें पहला होगा अक्षय ऊर्जा (renewable energy) उपयोग को जोड़ने के लिए IKEA सप्लाई चैन को बदलना और दूसरा, वनीकरण (reforestation) के माध्यम से वातावरण से कार्बन को बाहर करने, वनों की कटाई पर रोक लगाने और बेहतर वन प्रबंधन प्रथाओं की बहाली करने पर केंद्रित होगा।
पहला पोर्टफोलियो 2030 तक अपने उत्पादन में 100 प्रतिशत नवीकरणीय ऊर्जा (बिजली, हीटिंग, कूलिंग और अन्य ईंधन उपयोग) का उपयोग करने के लिए कंपनी के लक्ष्य का समर्थन करेगा। इसे प्रत्यक्ष आपूर्तिकर्ताओं (direct suppliers) के सहयोग से पूरा किया जाएगा। दूसरा पोर्टफोलियो वातावरण में पहले से मौजूद कार्बन को हटाने और वनीकरण व जिम्मेदार वन प्रबंधन के माध्यम से इसे खत्म करने के लिए परियोजनाओं में इन्वेस्ट करेगा। पारिस्थितिक तंत्र की रक्षा करने, जैव विविधता का समर्थन करने और जलवायु परिवर्तन में अच्छी तरह से प्रबंधित वनों की महत्वपूर्ण भूमिका होती है।
लकड़ी मुख्य कच्चे माल में से एक है जिसे IKEA उपयोग करता है, कंपनी ने दुनिया भर के जिम्मेदार वन प्रबंधन को बढ़ावा देने के लिए काम किया है। यह कहा जाता है कि IKEA क्लाइमेट फुटप्रिंट के आधे से अधिक इसके प्रोडक्ट और प्रोडक्शन में उपयोग किए जाने वाले मटेरियल से आता है।
इंटर आइकिया ग्रुप के सीईओ टॉर्बोर्न लोफ कहते हैं,
“हमारी महत्वाकांक्षा 2030 तक आइकिया के बिजनेस को बढ़ाने के साथ इसकी पूरी वैल्यू चैन से निकलने वाली ग्रीनहाउस गैसों को ऑब्सलूट टर्म में घटाना है।”
कंपनी भारत में भी अपने कारोबार को क्लाइमेट-पॉजिटिव बनने की दिशा में देख रही है। IKEA परचेजिंग ऑर्गनाइजेशन 60 से अधिक ऐसे स्थानीय सप्लायर्स के साथ काम करता है, जो ग्लोबल सप्लाई चैन के हिस्से के रूप में IKEA के प्रोडक्ट्स का प्रोडक्शन करते हैं। कंपनी इन लोगों को भी प्लानेट-पॉजिटिव बनाने के लिहाज से प्रोडक्शन में 100 प्रतिशत रिन्यूअल एनर्जी का उपयोग करने में सक्षम बना रही है। कंपनी प्रोडक्ट्स के लिए रिन्यूअल और रीसायकलेबल कच्चे माल का उपयोग करने की दिशा में भी काम कर रही है। IKEA के रिटेल स्टोर कार्बन-न्यूट्रल बनने की दिशा में भी काम कर रहे हैं।
कंपनी अधिक इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) को अपनाकर अपने लॉजिस्टिक्स में रिन्यूअल एनर्जी (अक्षय ऊर्जा) का उपयोग कर रही है। भारत में, इसने अपने लॉजिस्टिक्स ऑपरेशंस में ईवी का 20 प्रतिशत उपयोग पहले ही हासिल कर लिया है और अगले तीन वर्षों में 60 प्रतिशत तक पहुंचने का लक्ष्य रखा है।
कंपनी की एक और महत्वपूर्ण पहल वायु प्रदूषण को कम करने के लिए राइस स्ट्रॉ को प्रोडक्ट्स के लिए कच्चे माल में परिवर्तित करना है, जिसके परिणामस्वरूप एक नया संग्रह, FÖRÄNDRING का निर्माण हुआ है, जो केवल राइस स्ट्रॉ का उपयोग करता है।
इंटर आइकिया ग्रुप के चीफ सस्टेनेबिलिटी ऑफिसर लीना प्रप-कोवाक ने कहा,
“हम मानते हैं कि हमारे जलवायु प्रभाव को कम करने और जलवायु परिवर्तन को 1.5 °C तक सीमित करने में योगदान करने का सबसे अच्छा तरीका मुख्य रूप से हमारे ग्रीनहाउस गैस उत्सर्जन को कम करना है। लेकिन, हमें मौजूदा कार्बन को वायुमंडल से हटाने की भी जरूरत है। हम अपनी इंटीग्रेटेड सप्लाई चैन, हमारी वैश्विक उपस्थिति और हमारी फोरेस्ट व क्लाइमेट में विशेषज्ञता के माध्यम से एक सकारात्मक अंतर ला सकते हैं।"
इसी तरह की पहल में, प्रॉक्टर एंड गैंबल इंडिया (P&G) ने 200 करोड़ रुपये के एनवायरमेंटल सस्टेनेबिलिटी फंड की स्थापना की है, ताकि बाहरी भागीदारों के साथ सहयोग किया जा सके और पर्यावरण के अनुकूल व्यापार समाधान पेश किया जा सके।
पीटीआई की रिपोर्ट के अनुसार, पी एंड जी भारतीय उपमहाद्वीप के एमडी और सीईओ, मधुसूदन गोपालन ने इस पहल पर टिप्पणी करते हुए कहा,
“एनवायरमेंटल सस्टेनेबिलिटी कंपनी के नागरिकता प्रयासों का एक प्रमुख स्तंभ है और इसकी व्यावसायिक रणनीति में अंतर्निहित है। हम जानते हैं कि सबसे बड़ी चुनौतियों को हल करने के लिए ऐसे सहयोग की आवश्यकता होती है जो लोगों, ग्रह और व्यवसायों को फलने-फूलने में सक्षम बनाता है।”
मधुसूदन ने कहा कि भारत उस कंपनी के लिए एक प्राथमिकता वाला बाजार है जो इनोवेशन में सबसे आगे है। पिछले साल कंपनी ने एक 'इनोवेशन सोर्सिंग फंड' की स्थापना की थी, जिसके जरिए उसने पहले ही देश भर के बाहरी भागीदारों के साथ मिलकर इनोवेटिव सलूशन लागू करने पर 200 करोड़ रुपये से अधिक का निवेश किया है।