कर्मचारी-उद्यमियों के इस दौर में असफल हो सकता है कैप्टिव मॉडल, मूनलाइटिंग पर बोले राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी और कौशल विकास राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि यह कर्मचारी-उद्यमियों का युग है और कॉरपोरेट्स/कंपनियों को अब यह समझना चाहिए कि युवा भारतीय तकनीकी कार्यबल के मस्तिष्क और दृष्टिकोण में संरचनात्मक बदलाव आया है. वह पब्लिक अफेयर्स फोरम ऑफ इंडिया (PAFI) के 9वें एनुअल फोरम 2022 को संबोधित कर रहे थे.
मूनलाइटिंग के मुद्दे पर संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वे दिन लद गए जब कर्मचारियों ने बड़ी टेक्नोलॉजी कंपनियों के साथ करार किया और नौकरी में ही अपना जीवन बिता दिया. मूनलाइटिंग का मतलब एक समय में एक से ज्यादा नियोक्ताओं के साथ काम करने से है.
उन्होंने कहा, “आज के युवाओं में आत्मविश्वास की भावना है और अपने कौशल के मुद्रीकरण, ज्यादा मूल्य तैयार करने की इच्छा है. इस प्रकार अपने कर्मचारियों पर बंदिशें लगाने की कंपनियों की कोशिशें जिससे वह अपने स्टार्टाअप पर काम न कर सकें, उनका असफल होना तय है.”
मूनलाइटिंग से किसी भी संविदात्मक दायित्वों का उल्लंघन नहीं होने की बात पर सहमति जताते हुए उन्होंने कहा, “कोई भी कैप्टिव मॉडल यानी बंदिशें लगाने वाला मॉडल फीका पड़ जाएगा. नियोक्ता अपनी सेवा के दौरान कर्मचारियों से उद्यमशील होने की उम्मीद करते हैं. इसी बात को उनके ऊपर भी लागू किया किया जा सकता है. एक ऐसा समय आएगा जहां उत्पाद निर्माताओं का एक वर्ग होगा जो अपना समय कई परियोजनाओं पर लगाएगा. ऐसी ही वकील या सलाहकार करते हैं. काम का यही भविष्य है.”
2015 में सरकार द्वारा घोषित उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) पर एक प्रश्न के उत्तर में, चंद्रशेखर ने कहा कि 2014 में जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पदभार संभाला था, उस समय भारत का मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर लगभग निष्क्रिय स्थिति में था.
चंद्रशेखर ने कहा, “पीएम श्री मोदी ने पिछले 6-7 वर्षों में पीएलआई और अन्य कार्यक्रमों के साथ व्यवस्थित रूप से मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को इतना मजबूत बनाया है कि दुनिया आज वियतनाम और ताइवान के अलावा भारत को भी टेक्नोलॉजी के एक विश्वसनीय स्रोत के रूप में देख रही है. इस सूची में हमारे नजर आने की वजह प्रधानमंत्री की दूरदर्शी नीतियां हैं.”
डिजिटल इंडिया विधेयक के बारे में केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह विधेयक ज्यादा व्यवस्थित होगा और इससे टेक्नोलॉजी सेक्टर में विशेष बदलाव शामिल होंगे. इस विधेयक को जल्द ही परामर्श के लिए हितधारकों के पास भेजा जाएगा.
गौरतलब हो कि भारत की दिग्गज आईटी कंपनियों में शामिल विप्रो ने हाल ही में बुधवार को अपने 300 कर्मचारियों को नौकरी से निकाल दिया. Wipro कंपनी ने मूनलाइटिंग के आरोप में इतना बड़ा एक्शन लिया है. विप्रो के चेयरमैन रिशद प्रेमजी ने इसे कंपनी के साथ धोखा बताया है. रिशद प्रेमजी ने कहा कि कंपनी के पास ऐसे किसी भी कर्मचारी के लिए कोई जगह नहीं है जो विप्रो के पेरोल पर रहते हुए मूनलाइटिंग करते हैं.
आपको बता दें कि जब कोई कर्मचारी अपनी फिक्स नौकरी के साथ ही दूसरी जगह भी चोरी-छिपे काम करता है तो उसे तकनीकी तौर पर ‘मूनलाइटिंग’ कहा जाता है. आसान भाषा में आप इसे साइड जॉब भी कह सकते हैं. ज्यादातर कंपनियां इसे अनौतिक मानती हैं, बावजूद इसके लोग मूनलाइटिंग करते हैं. रिमोट जॉब में मूनलाइटिंग ज्यादा देखने को मिलती है. साइड जॉब को मूनलाइटिंग इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये काम ज्यादातर रात में या वीकेंड पर किए जाते हैं.
Edited by रविकांत पारीक