एक हजार अरब के बुक बाजार के साथ प्रमुख नॉलेज इकोनॉमी बना भारत
पिछले करीब दो सालों से ई-बुक का वैश्विक बाजार लगातार घट रहा है, लेकिन भारत का ई-बुक बाजार करीब 30 फीसदी की दर से बढ़ा है।
आज भारत लगभग एक हजार अरब रुपए के कुल बुक बाजार के साथ दुनिया की प्रमुख नॉलेज इकोनॉमी बन चुका है। हमारे देश में अकेले ई-बुक बाजार ही करीब 30 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। वर्तमान ग्लोबल ई-बुक मार्केट में भारी गिरावट के बावजू विश्व के कुल ई-बुक बाजार में भारत की 25 फीसदी मौजूदगी बनी हुई है।
इंटरनेट पर सॉफ्ट कॉपी के फॉर्मेट में उपलब्ध ई-बुक्स की पिछले एक दशक में लोकप्रियता तेजी से बढ़ी थी लेकिन अब यूरोप ने ई-बुक्स की रीसेल को अवैध घोषित कर दिया है। पिछले करीब दो सालों से ई-बुक का वैश्विक बाजार लगातार घट रहा है लेकिन भारत का ई-बुक बाजार करीब 30 फीसदी की दर से बढ़ रहा है। वर्तमान समय में भारत में ई-बुक का बाजार देश के कुल पुस्तक बाजार का 25 फीसदी है।
भारत और चीन में ई-बुक पाठकों की संख्या में 200 फीसदी से ज्यादा का इजाफा हुआ है। एसोसिएशन ऑफ अमेरिकन पब्लिशर्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, ई-बुक पाठकों की संख्या करीब 7 फीसदी बढ़कर जहां 16 से 23 फीसदी पहुंच गई थी, वहीं इस साल 2019 के शुरुआती महीने में ही इसमें 5 फीसदी की कमी आ गई। वर्ष 2018 में ई-बुक का बाजार 917 अरब डॉलर का, और उससे पहले 873 अरब डॉलर का रहा है।
खास बात यह है कि आम धारणा के विपरीत भारत में किताबों की इंडस्ट्री तेजी से बढ़ रही है। ई-बुक्स वर्ल्ड में किंडल की लोकप्रियता तो कुछ इस तरह की है कि वह ई-बुक्स का ही दूसरा नाम बन गया है लेकिन बार्न्स एंड नोबेल नुक ई-बुक रीडर गैजेट्स के मामले में किंडल को तगड़ी टक्कर दे रहा है। बुक बाजार ने बॉलीवुड कारोबार को करीब तीन गुने अंतर से पीछे छोड़ दिया है, जहां अभी 138 अरब रुपए का बिजनेस हो रहा है।
हमारे देश की 65 प्रतिशत युवा आबादी और दुनिया के चौथे सबसे बड़े एजुकेशन सिस्टम के बल पर बुक बाजार में 20 प्रतिशत की दर से हर साल बढ़ोतरी हो रही है। हमारा देश अब लगभग एक हजार अरब के कुल बुक बाजार के साथ दुनिया की प्रमुख नॉलेज इकोनॉमी बन चुका है।
उल्लेखनीय है कि वर्तमान में किताबें पढ़ने के शौक को पूरा करने के लिए अब पाठकों के पास पहले से ज्यादा बेहतर विकल्प हैं। वे अपने स्मार्टफोन या टैबलेट पर कहीं भी और कभी भी किताब पढ़ना ज्यादा पसंद करते हैं। अमेरिका में हुए एक सर्वे के अनुसार किताबें पढ़ने वाले करीब 33 प्रतिशत लोग या तो इसके लिए टैबलेट का इस्तेमाल करते हैं या फिर किंडल या नूक्स जैसे ई-बुक रीडिंग डिवाइसेज का।
भारत में भी कमोबेश ऐसा ही ट्रेंड देखने को मिल रहा है। छपी हुई किताब को हाथों से पकड़कर उसके पन्नों की ताजा खुशबू के साथ ज्ञान बढ़ाने का भारतीयों का पुराना शौक तेजी से बदल रहा है। करीब दो साल पहले तक भारत में ई-बुक्स का बाजार अपनी शुरुआती अवस्था में था, लेकिन आज हालात काफी बदल चुके हैं। यही कारण है कि प्रिंटेड बुक्स के प्रकाशक भी तेजी से ई-बुक्स मार्केट में प्रवेश की योजना बना रहे हैं।
भारत में ई-बुक्स का कारोबार तेजी से बढ़ने की कई वजहें हैं। किताबों की हार्ड कॉपी को हर जगह साथ नहीं रखा जा सकता। अब लोग आसानी से उपलब्ध होने वाली चीजें ज्यादा पसंद कर रहे हैं। ई-बुक्स का प्रकाशन पारंपरिक किताबों की तुलना में काफी किफायती है। यद्यपि आज भी ई-बुक्स की तुलना में प्रिंटेड किताबों का बाजार बहुत ज्यादा है। टाटा लिटरेचर लाइव सर्वे के मुताबिक आजकल अधिकांश आयु-वर्ग के लोग पारंपरिक पुस्तकें ही पढ़ना ज्यादा पसंद करते हैं। ई-बुक पढ़ने वाले छात्र मात्र 23 प्रतिशत हैं।
पाठकों का एक बड़ा वर्ग इलेक्ट्रॉनिक माध्यम की अपेक्षा, परंपरागत माध्यम ही पसंद कर रहा है। दिलचस्प बात यह है कि 20 वर्ष से कम उम्र के पाठकों में सर्वाधिक 81 प्रतिशत इस श्रेणी में शुमार हैं। इनके बाद, 21 से 30 वर्ष आयु वर्ग के 79 प्रतिशत, 31 से 40 वर्ष तथा 41 से 50 वर्ष की उम्र के 75 प्रतिशत पाठक आज भी मुद्रित पुस्तकें ही पसंद कर रहे हैं। पचास वर्ष से अधिक आयु वर्ग के लोगों की मुद्रित पुस्तकों में रुचि सबसे कम, 74.24 प्रतिशत है।