इंदौर ने खोया एक और कोरोना योद्धा, कोविड-19 से अब तक कुल चार चिकित्सक गंवा चुके अपनी जान
इंदौर (मध्यप्रदेश), देश में कोविड-19 से सबसे ज्यादा प्रभावित जिलों में शामिल इंदौर में संक्रमण की जद में आये 56 वर्षीय सर्जन की मंगलवार तड़के इलाज के दौरान मौत हो गयी। इसके साथ ही, जिले में पिछले दो महीने के भीतर इस महामारी से दम तोड़ने वाले चिकित्सकों की संख्या बढ़कर चार पर पहुंच गयी है।
परमार्थिक क्षेत्र के चोइथराम हॉस्पिटल के उप निदेशक (चिकित्सा सेवाएं) अमित भट्ट ने बताया कि कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद 56 वर्षीय सर्जन इस अस्पताल में 24 मई से भर्ती थे। हालत गंभीर होने पर उन्हें 29 मई को गहन चिकित्सा इकाई में भेज दिया गया था।
उन्होंने बताया, "तमाम कोशिशों के बावजूद वरिष्ठ सर्जन की जान नहीं बचायी जा सकी। वह मधुमेह, उच्च रक्तचाप और किडनी संबंधी रोग से पहले ही जूझ रहे थे।"
कोविड-19 से दम तोड़ने वाले 56 वर्षीय डॉक्टर शहर के इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के सर्जरी विभाग के अध्यक्ष थे। निजी मेडिकल कॉलेज से जुड़े अस्पताल में महामारी के मरीजों का इलाज किया जा रहा है।
इंडेक्स मेडिकल कॉलेज के चेयरमैन सुरेश सिंह भदौरिया ने बताया कि दिवंगत सर्जन के अलावा अब तक इस अस्पताल की आठ नर्सें और तीन डॉक्टर कोविड-19 की चपेट में आ चुके हैं। भदौरिया के मुताबिक फिलहाल इनमें से केवल एक संक्रमित डॉक्टर का उपचार जारी है, जबकि अन्य लोग इलाज के बाद इस महामारी से उबर चुके हैं। आधिकारिक जानकारी के मुताबिक जिले में गुजरे दो महीने के दौरान दो जनरल फिजिशियन और एक आयुर्वेद चिकित्सक की भी कोविड-19 से मृत्यु हो चुकी है। इनकी उम्र 60 साल से ज्यादा थी।
इस बीच, स्वास्थ्य विभाग के एक अधिकारी ने बताया कि पिछले 24 घंटों के दौरान जिले में कोविड-19 के 45 नये मामले मिलने के बाद इस महामारी के मरीजों की तादाद 3,785 से बढ़कर 3,830 पर पहुंच गयी है। हालांकि, इलाज के बाद संक्रमण मुक्त होने पर इनमें से 2,566 लोगों को अस्पताल से छुट्टी दी जा चुकी है। उन्होंने बताया कि कोविड-19 से दो और मरीजों की मौत के बाद इस महामारी की चपेट में आकर दम तोड़ने वाले लोगों की तादाद बढ़कर 159 हो गयी है।
गौरतलब है कि इनमें शामिल 72 वर्षीय महिला ने शहर के एक निजी अस्पताल में 14 मई को आखिरी सांस ली थी। लेकिन स्वास्थ्य विभाग ने उसकी मौत का आधिकारिक ब्योरा इसके 25 दिन बाद दिया है।
जिले में कोविड-19 से मरने वाले लोगों की जानकारी देरी से दिये जाने का मामला लगातार गरमा रहा है। प्रमुख विपक्षी दल कांग्रेस के साथ ही गैर सरकारी संगठन भी आरोप लगा रहे हैं कि स्वास्थ्य विभाग इन मौतों का खुलासा "अपनी सुविधानुसार" कर रहा है जिससे महामारी के सरकारी आंकड़ों की विश्वसनीयता संदेह के घेरे में आ गयी है।