इंदौर में चार वर्षीय बच्ची समेत 150 से ज्यादा मरीजों ने घर में रहकर दी कोरोना को मात
बच्ची के पिता का फैसला सही साबित हुआ और अपने घर में इलाज के बाद अब वह पूरी तरह स्वस्थ हो चुकी है।
इंदौर (मध्यप्रदेश), कोविड-19 के राष्ट्रीय नक्शे पर रेड जोन में बरकरार इंदौर के एक निषिद्ध क्षेत्र (कंटेनमेंट जोन) में रहने वाली चार साल की बच्ची ने अपने घर में इलाज के दौरान इस महामारी को मात दे दी है। यह मासूम बच्ची इन दिनों अपने घर में आम बच्चों की तरह खेल-कूद में मशगूल दिखायी देती है।
बच्ची के पिता ने पहचान जाहिर न किये जाने की शर्त पर रविवार को "पीटीआई-भाषा" को बताया, "जब स्वास्थ्य विभाग की ओर से हमें पहली बार जानकारी दी गयी कि मेरी बेटी कोविड-19 से पीड़ित है, तो यह सूचना हमारे लिये एक झटके की तरह थी। हम समझ ही नहीं पा रहे थे कि यह कैसे हो गया, क्योंकि जांच में हमारे परिवार के अन्य लोगों में संक्रमण नहीं मिला था। मेरी बेटी में भी संक्रमण के कोई लक्षण नहीं थे।"
उन्होंने बताया, "स्वास्थ्य विभाग के अफसरों ने मुझसे पूछा था कि मैं अपनी बेटी को अस्पताल में भर्ती कराना चाहूंगा या उसे घर में ही रखकर उसका इलाज कराना चाहूंगा? मैंने दूसरा विकल्प चुना क्योंकि मैं अपनी नन्ही बेटी को अस्पताल में भर्ती कराने के ख्याल से ही घबरा गया था।"
बहरहाल, बच्ची के पिता का फैसला सही साबित हुआ और अपने घर में इलाज के बाद अब वह पूरी तरह स्वस्थ हो चुकी है।
स्वास्थ्य विभाग के गृह पृथक-वास कार्यक्रम के समन्वयक डॉ. सुनील गंगराड़े ने बताया कि जिले में पांच मई से लेकर अब तक कोविड-19 के बिना लक्षणों वाले और हल्के लक्षणों वाले कुल 254 मरीजों का उनके घर में ही इलाज किया गया है।
उन्होंने बताया, " गृह पृथक-वास की 17 दिन की तय अवधि पूरी होने के बाद इनमें से 153 मरीजों को जांच के बाद स्वस्थ घोषित कर दिया गया है जिनमें चार साल की बच्ची से लेकर 78 साल की वृद्ध महिला शामिल हैं। अन्य 101 मरीजों का उनके घर में इलाज जारी है।"
अपने घर में कोविड-19 का इलाज कराते हुए महामारी के चंगुल से बाहर आने में इंदौर नगर निगम का "इंदौर 311" मोबाइल ऐप मरीजों के लिये काफी मददगार साबित हुआ है। यह ऐप हालांकि जिले में कोविड-19 के प्रकोप से पहले से प्रचलित है, लेकिन भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) के अप्रैल के अंत में इस महामारी के मरीजों के गृह पृथक-वास के लिये दिशा-निर्देश जारी किये जाने के बाद स्थानीय प्रशासन ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) की विशेषज्ञ टीम की मदद से इस ऐप में नये फीचर जोड़े हैं।
इस टीम में शामिल तकनीकी जानकार डॉ. सुबोध चतुर्वेदी ने बताया कि गृह पृथकवास वाले मरीजों की सेहत की अद्यतन जानकारी मोबाइल ऐप के जरिये कोविड-19 के स्थानीय नियंत्रण कक्ष तक उसी समय (रीयल टाइम में) पहुंच रही है।
उन्होंने बताया कि कोविड-19 का घर में रहकर इलाज करा रहे मरीजों को पल्स ऑक्सीमीटर नाम का उपकरण भी दिया जा रहा है। इस छोटे-से उपकरण के जरिये मरीज के शरीर में ऑक्सीजन का स्तर और उसकी नब्ज की घर में ही जांच की जा रही है।
चतुर्वेदी ने बताया, "पहले से तैयार प्रश्नावली के मुताबिक मरीज का केयरगिवर (तीमारदार) मोबाइल ऐप में हर रोज यह जानकारी भी दर्ज करता है कि कहीं उसे 101 डिग्री फॉरेनहाइट से ज्यादा बुखार या सांस लेने में तकलीफ तो नहीं है?"
उन्होंने बताया कि कोविड-19 के नियंत्रण कक्ष में तैनात डॉक्टर इस महामारी के मरीजों की सेहत के सूचकांकों को लेकर ऐप में दर्ज जानकारी पर लगातार नजर रख रहे हैं और इसके मुताबिक उन्हें उचित परामर्श दे रहे हैं। जरूरत पड़ने पर त्वरित प्रतिक्रिया दल (आरआरटी) मरीजों को उनके घरों से अस्पताल भिजवा रहे हैं।