दिलचस्प है 'अहा टैक्सी' के संस्थापक शिवम के करोड़पति बनने की दास्तान
आज नौकरी और पैसे के लिए दर-दर भटक ऐसे युवाओं के लिए अमेरिका के डेविड और मध्य प्रदेश के शिवम के करोड़पति बनने की दास्तान एक ऐसा ही सबक है। डेविड को मोजा बनाने के स्टार्टअप और शिवम को एक मामूली सी टैक्सी सेवा ने करोड़ों का मालिक बना दिया।
कहते हैं कि रुपया तो हर आंख के सामने उड़ता रहता है, बस उसे पकड़ने का हुनर होना चाहिए। आज नौकरी और पैसे के लिए दर-दर भटक ऐसे युवाओं के लिए अमेरिका के डेविड और मध्य प्रदेश के शिवम के करोड़पति बनने की दास्तान एक ऐसा ही सबक है। डेविड को मोजा बनाने के स्टार्टअप और शिवम को एक मामूली सी टैक्सी सेवा ने करोड़ों का मालिक बना दिया।
रोजगार को लेकर आज युवाओं के भविष्य पर जिस तरह का अंधेरा नजर आ रहा है, अपने विवेक और मेहनत पर वे भरोसा करें तो उनके लिए इस वक्त भी रोशनी के रास्ते असंभव नहीं। जैसेकि उन्हें जान लेना चाहिए, किस तरह पांवों के मोजे बनाने के स्टार्टअप ने कंपनी को साढ़े तीन सौ करोड़ के मालदार प्रोजेक्ट में तब्दील कर दिया अथवा मध्य प्रदेश के एक पचीस वर्षीय युवक ने दो मित्रों की मदद से मामूली सी टैक्सी सेवा शुरूकर कुछ ही वर्षों में अपने काम को 30 करोड़ टर्न ओवर वाली कंपनी बना दिया।
मोजे वाले स्टार्टअप की सफलता की बात तो अमेरिका की है, जहां (न्यूयार्क) के डेविड हीथ और रैंडी गोल्डेनबर्ग ने बोम्बास सॉक्स नाम से एक स्टार्टअप कंपनी शुरू की। कंपनी की सफलता का ट्रिक था, जितने मोजे बेचने के लिए तैयार करना, उतने ही बेघरों को मुफ्त में दे देना। नतीजा ये रहा कि पिछले पांच वर्षों में यह कंपनी करीब एक करोड़ मोजे बेचने के साथ ही इतने ही दान भी कर चुकी है। इस कामयाबी की शुरुआत एक मामूली सी बात से हुई। एक बार डेविड का सामना ऐसे बेघर व्यक्ति से हुआ, जो बोर्ड को शरीर पर लटकाकर दान में कुछ भी देने की मांग करता रहता था। उस समय डेविड के हाथ में मोजे थे। उस आदमी ने तुरंत वह मोजा पहन लिया। उस घटना ने डेविड पर गहरा असर डाला।
इसके बाद उन्होंने अपने दोस्त रैंडी के साथ 2013 में एक ऐसी कंपनी बनाने का फैसला किया, जो हर एक जोड़ी मोजे बेचने के बदले एक जोड़ी मोजे गरीब व्यक्ति को दान करे। आज उनकी 'बोम्बास' कंपनी के हाई-क्वालिटी के कॉटन और वूल एक जोड़ी मोजे की कीमत 12 डॉलर (866 रुपए) है। पसंद न आएं तो ग्राहक मोजे लौटा भी सकते हैं। अब तो उनकी कंपनी का फैशन ब्रांड फूबू के साथ पार्टनरशिप भी है।
डेविड की तरह ही मात्र पचीस साल की उम्र में होशंगाबाद (म.प्र.) के शिवम ने भी अपनी लगन और हुनर से ऐसी कामयाबी हासिल कर ली है, जो आज के बेरोजगार युवाओं के लिए सच्ची मिसाल बन चुकी है। होशंगाबाद से जुड़े सोहागपुर के ग्राम भटगांव के शिवम के पिता गोविंद मिश्रा और मां किरण सरकारी नौकरी में हैं। शिवम ने शुरुआती पढ़ाई होशंगाबाद, फिर अहमदाबाद (गुजरात) के निरमा कॉलेज से एलएलएम करने लगे। वह पढ़ाई के साथ-साथ ऑनलाइन कोलकाता में आईटी कंपनी भी चलाने लगे।
ऑनलाइन ही उनकी अमित ग्रोवर और कुनाल कृष्णा से दोस्ती, फिर भोपाल में मुलाकात हुई। इसके बाद तीनों ने मिलकर टैक्सी सेवा का फैसला लिया। फिर भारत सरकार के स्टार्टअप प्रोग्राम के तहत दोनों दोस्तों के साथ दिल्ली में पांच लाख रुपए लगाकर अपनी 'अहा टैक्सी' सेवा शुरू कर दी और पहले ही साल उनकी कंपनी का टर्नओवर 10 करोड़ रुपए तक पहुंच गया, जो आज 30 करोड़ का हो चुका है।
डेविड की तरह ही शिवम को भी एक छोटी सी बात से सबक मिला। यह काम शुरू करने से पहले एक दिन उन्हें तुरंत किसी काम से दिल्ली से होशंगाबाद जाना था। ऐसे में किराए की टैक्सी ही एक माध्यम थी। सबक ये मिला कि किराया दोनो तरफ का देना पड़ा। जब उन्होंने टैक्सी का काम शुरू किया तो ग्राहकों के लिए उन्होंने ये सुविधा दे दी कि किराया एक ही तरफ का देना पड़ेगा। आइडिया क्लिक कर गया और काम चल पड़ा और धीरे-धीरे यह काम हमारे देश के चार हजार शहरों तक पहुंच गया। आज शिवम की कंपनी के साथ एक हैरतअंगेज नया अध्याय जुड़ गया है।
अमेरिका की 15 हजार करोड़ रुपए के टर्नओवर वाली कंपनी एविक्स ने उनकी 'अहा टैक्सी' कंपनी की सत्तर प्रतिशत हिस्सेदारी ने ले ली है। अब 'अहा टैक्सी' का टर्नओवर सौ करोड़ रुपए तक पहुंचने की संभावना है। इतना ही नहीं, 'अहा टैक्सी' ने 15 हजार चालकों को रोजगार भी दे रखा है।
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