इंटरनेशनल गर्ल चाइल्‍ड डे : कब और कैसे शुरुआत हुई इस दिन की

इंटरनेशनल गर्ल चाइल्‍ड डे प्रोजेक्‍ट की शुरुआत प्‍लान इंटरनेशनल ने की थी, जो सामाजिक न्‍याय और बराबरी के लिए काम करने वाली एक गैरसरकारी अंतर्राष्‍ट्रीय संस्‍था है.

इंटरनेशनल गर्ल चाइल्‍ड डे : कब और कैसे शुरुआत हुई इस दिन की

Tuesday October 11, 2022,

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हर साल अक्‍तूबर महीने की 11 तारीख को पूरी दुनिया में इंटरनेशनल गर्ल चाइल्‍ड डे मनाया जाता है. इस साल यूनाइटेड नेशंस (यूएन) खासतौर पर इस दिन को सेलिब्रेट कर रहा है क्‍योंकि यह गर्ल चाइल्‍ड डे का दसवां साल है. आज से 10 साल पहले 11 अक्‍तूबर, 2012 को पहली बार यूएन ने इस दिन को इंटरनेशनल गर्ल चाइल्‍ड डे घोषित किया था. इस दिन का मकसद लड़कियों की शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और उनके समान अधिकारों को लेकर समाज में जागरूकता पैदा करना है.

यूएन का कहना है कि 10 साल पहले इंटरनेशनल गर्ल चाइल्‍ड डे मनाने की जरूरत पर बात करते हुए यूएन ने दुनिया भर से कन्‍या भ्रूण हत्‍या, चाइल्‍ड मैरिज, दहेज उत्‍पीड़न, दहेज हत्‍या, यौन हिंसा, रेप आदि के जो आंकड़े रखे थे, पिछले दस सालों में उससे 3 फीसदी की मामूली कमी आई है. यूएन के मुताबिक चाइल्‍ड मैरिज और कुपोषण जैसी कुछ समस्‍याओं में बढ़त ही देखने को मिली है और इसमें एक बड़ी भूमिका निभाई है कोविड पैनडेमिक ने. 

इंटरनेशनल गर्ल चाइल्‍ड डे का इतिहास

इंटरनेशनल गर्ल चाइल्‍ड डे प्रोजेक्‍ट की शुरुआत प्‍लान इंटरनेशनल ने की थी, जो सामाजिक न्‍याय और बराबरी के लिए काम करने वाली एक गैरसरकारी अंतर्राष्‍ट्रीय संस्‍था है. प्‍लान इंटरनेशनल एक पूरी दुनिया में एक कैंपेन चला रहा था, जिसका नाम था “Because I am a girl child.” उसी कैंपेन से यह आइडिया आया कि साल का एक दिन गर्ल चाइल्‍ड के नाम होना चाहिए, जैसे 8 मार्च का दिन अंतर्राष्‍ट्रीय महिला दिवस के रूप में मनाया जाता है. कनाडा में प्‍लान इंटरनेशनल के प्रतिनिधियों ने कनाडा की फेडरल सरकार से संपर्क किया और उसे इस कैंपेन का हिस्‍सा बनने के लिए कहा. मकसद ये था कि पूरी दुनिया में सरकारों और गैर सरकारी संसथाओं को इस मुद्दे पर एकमत किया जा सके और उनका समर्थन जुटाया जा सके.

प्‍लान इंटरनेशन के ही इनीशिएटिव पर यूनाइटेड नेशंस भी साथ आ गया. यूनाइटेड नेशंस असेंबली में कनाडा की तरफ से आधिकारिक तौर पर यह प्रस्‍ताव पेश किया गया. 19 दिसंबर, 2011 को यूएन असेंबली में वोटिंग हुई और सारे वोट इसके पक्ष में पड़े कि 11 अक्‍तूबर का दिन इंटरनेशनल गर्ल चाइल्‍ड डे के रूप में मनाया जाए.    

इंटरनेशनल गर्ल चाइल्‍ड डे की जरूरत क्‍यों?

यूएन ने दसवें इंटरनेशनल गर्ल चाइल्‍ड डे के उपलक्ष्‍य में अपनी साइट पर एक लंबा लेख छापा है, जिसमें तथ्‍यों और आंकड़ों के साथ यह बताने की कोशिश की है कि इक्‍कसवीं सदी के पूर्वार्द्ध में खड़ी दुनिया को आखिर इंटरनेशनल गर्ल चाइल्‍ड डे मनाने की जरूरत क्‍यों है.

सस्‍टेनेबिलिटी डेवलपमेंट गोल्‍स, 2021 की रिपोर्ट के बहाने से यूएन निम्‍नलिखित आंकड़े पेश करता है-

1- कोविड पैनडेमिक के बाद से पूरी दुनिया में तकरीबन 10 मिलियन (1 करोड़) अतिरिक्‍त लड़कियों पर चाइल्‍ड मैरिज यानि बाल विवाह का खतरा मंडरा रहा है. ये वो लड़कियां हैं, जो अभी तक स्‍कूल जा रही और पढ़ाई कर रही थीं लेकिन पैनडेमिक ने अचानक उनके सामने भुखमरी, कंगाली और अस्तित्‍व का संकट खड़ा कर दिया है.

2-  अविकसित देशों में 50 फीसदी प्राइमरी स्‍कूलों में लड़कियों के लिए अलग से शौचालय नहीं है.

3- पूरी दुनिया में 72 फीसदी बच्चियां यौन शोषण का शिकार होती हैं.

4- ग्‍लोबल इंटरनेट यूजर गैप कम होने की बजाय बढ़ रहा है. 2013 में जहां यह गैप 11 फीसदी था, वहीं 2019 में बढ़कर 17 फीसदी हो गया है.

यह तो कुछ बहुत बेसिक आंकड़े हैं. इसके अलावा यूएन वुमेन, वर्ल्‍ड हेल्‍थ ऑर्गेनाइजेशन और वर्ल्‍ड इक्‍वैलिटी फोरम द्वारा पिछले छह सालों में समय-समय पर जारी किए गए कुछ आंकड़े इस प्रकार हैं-

1- पूरी दुनिया में मर्द औरतों के मुकाबले 42 गुना ज्‍यादा पैसे कमाते हैं.

2- दुनिया भर में कुल 78 फीसदी चल और अचल संपत्ति पर मर्दों का मालिकाना हक है.

3- पूरी दुनिया में बड़े कॉरपोरेटों, मल्‍टीनेशल कंपनियों के बोर्ड मेंबर्स और लीडरशिप पोजीशन में महिलाओं का प्रतिनिधित्‍व महज 6 फीसदी है.  

4-  पूरी दुनिया में सबसे लो पेड जॉब में महिलाओं की भागीदारी 60 फीसदी है.

5- विश्‍व में हर चौथी स्‍त्री अपने जीवन में कभी-न-कभी शारीरिक हिंसा का शिकार होती है.

6- पूरी दुनिया में हर दूसरी औरत अपने जीवन में कभी-न-कभी यौन हिंसा का शिकार होती है.

7- पूरी दुनिया में 21 फीसदी लड़कियां बाल विवाह की शिकार होती हैं.

8- पूरी दुनिया में आज भी 7 फीसदी लड़कियां फीमेल जेनाइटल म्‍यूटीलेशन का शिकार होती हैं.

9- पूरी दुनिया में 28 फीसदी लड़कियां स्‍कूल जाने और शिक्षा के अधिकार से वंचित हैं.

इन सारे आंकड़ों को एक जगह रखकर देखें तो लगता है कि सिर्फ एक 11 अक्‍तूबर ही नहीं, बल्कि साल के हर दिन को अभी गर्ल चाइल्‍ड डे के रूप में मनाए जाने की जरूरत है, जब तक कि जेंडर समानता का लक्ष्‍य हासिल न हो जाए. जब तक सारी लड़कियों को शिक्षा और स्‍वास्‍थ्‍य का अधिकार न मिल जाए, जब तक कि एक भी लड़की की जन्‍म से पहले पेट में हत्‍या न हो, जब तक किसी लड़की को बाल विवाह का शिकार न होना पड़े, उनके साथ घरेलू हिंसा न और यौन उत्‍पीड़न न हो.  


Edited by Manisha Pandey