Brands
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Youtstory

Brands

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

YSTV

ADVERTISEMENT
Advertise with us

कश्मीरी लड़कियों के लिए रोल मॉडल बनीं क्रिकेटर जासिया

शोपियां (कश्मीर) के एक मामूली सेब किसान की बेटी जासिया अख़्तर अपने स्टेट की पहली महिला क्रिकेटर बन गई हैं। इस मोकाम तक पहुंचने में उन्हे कड़ी जद्दोजहद से गुजरना पड़ा है। अब तो वह कश्मीरी लड़कियों के लिए रोल मॉडल बन गई हैं।

कश्मीरी लड़कियों के लिए रोल मॉडल बनीं क्रिकेटर जासिया

Thursday May 09, 2019 , 4 min Read

जसिया अख्तर

शोपियां (जम्मू कश्मीर) की जासिया अख्तर वुमंस टी-20 चैलेंज टीम में शामिल होने वाली अपने स्टेट की पहली महिला क्रिकेटर बन गई हैं। वह पंजाब महिला टीम के लिए खेलती हैं। जासिया के लिए एक और उपलब्धि है कि अब वह वुमंस इंडियन प्रीमियर लीग में भी खेल रही हैं। जासिया कहती हैं- 'उन्हें 24 अप्रैल को बीसीसीआई से फोन आया और उनसे टीम को 2 मई को ज्वाइन करने के लिए कहा गया। यह मेरे लिए बड़ी उपलब्धि है। जम्मू-कश्मीर की मेरी जैसी युवा लड़की वुमंस टी-20 चैलेंज टीम में शामिल हो गई।


वेस्ट इंडीज़ की स्टार खिलाड़ी स्टेफ़नी टेलर जैसी अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ियों के साथ खेलने का ये उनका सुनहरा मौक़ा है। उन्हे विपरीत परिस्थितियों में भी क़त्तई नहीं झुकना है।' पेशे से किसान जासिया के पिता ग़ुलाम मोहम्मद वानी कहते हैं कि मुझे अपनी बेटी पर गर्व है। हमारे पूरे गांव को उस पर नाज़ है। उसने जिस तरह खेल के प्रति अपना समर्पण दिखाया है, उससे उसके दूसरे भाई-बहनों में भी आत्मविश्वास बढ़ा है। जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने जासिया अख्तर को उनकी इस उपलब्धि पर बधाई दी है।


जासिया बताती हैं कि उनके राज्य में ऐसे खेल के लिए सुविधाओं की कमी रही है। साथ ही, उन्हे शोपियां और श्रीनगर के बीच हमेशा आना-जाना पड़ता रहा है। उन्होंने ये भी सुना था कि पंजाब राज्य में खिलाड़ियों के लिए एक सीज़न में चार कैंप आयोजित किए जाते हैं, तो वह उसमें भी आना चाहती थीं। महिला आईपीएल में खेलने के लिए 24 अप्रैल को जब उनके पास बीसीसीआई के अधिकारियों का फ़ोन आया, वह सच बताएं तो उन्हे लगा कि किसी ने उनके साथ मज़ाक़ किया है लेकिन संयोग की बात, कि उस दिन उनका इंटरनेट काम कर रहा था तो उन्होंने सबसे पहले लिस्ट में अपना नाम खोजा।


उन्होंने यह सूचना सबसे पहले उन्होंने अपने पिता ग़ुलाम मोहम्मद वानी से साझा की। उन्होंने जब मेरे आईपीएल में खेलने की खबर सुनी, उनकी आंखों में खुशी के आंशू छलक आए। उन्हे देखकर मेरी भी आंखें भर आईं। वह जानती हैं कि महिला 20-20 में खेलने वाली वह जम्मू-कश्मीर की पहली लड़की हैं। वैसे घाटी में कई बेहतरीन खिलाड़ी हैं, जिन्हें अच्छे मौक़े मिलें तो वे भी अपना कमाल दिखा सकते हैं। वह ये सीखने के लिए पूरी तरह तैयार हैं कि उनमें क्या कमी है।


पांच भाई-बहनों में सबसे बड़ी अट्ठाईस वर्षीया जासिया का क्रिकेट के प्रति रुझान देखते ही बनता है, जिसके बूते वह आज शोहरत की बुलंदियों तक पहुंच चुकी हैं। ऐसे शिखर तक पहुंचने का जटिल संघर्ष बयान करती हुई वह बताती हैं कि उन्होंने बड़ी मुश्किल से रूढ़िवादी परंपराओं को तोड़ा है। वह सचिन तेंड़ुलकर की फैन हैं। उनके पिता का सेव का एक छोटा सा बगीचा है। जब जासिया ने प्रोफेशनल क्रिकेट में कदम रखा तो पिता उनके सपनो को पंख लगाने लायक नहीं थे। फिर भी वह बेटी के लिए पैसों का इंतजाम कर ही रहे थे कि उनकी छोटी बहन की बीमारी एक बड़ी अड़चन बन गई।


उन्होंने क्रिकेट छोड़ देने का फैसला किया। फिर एक दिन उनके टीचर खालिद हुसैन ने उन्हे प्रोत्साहित किया। उन्होंने 23 साल की उम्र में 2013 में बरारीपुरा में लगातार दो शतक लगाए थे। आज से आठ-नौ साल पहले जब जम्मू-कश्मीर हिंसा की चपेट में था, जासिया को उस वक़्त जरा भी इल्म नहीं था कि आने वाला समय उनका शोहरतों का इंतजार कर रहा है। वह रोज़ाना क्रिकेट की प्रैक्टिस करतीं, यूट्यूब से देख-देख कर खेल के नए-नए पैंतरे सीखतीं। शुरुआत में तो उनको कोई राह नहीं सूझी थी, लेकिन कड़ी मेहतन के कारण आख़िर भाग्य ने उनका साथ दिया। प्रैक्टिस के साथ वह घर के कामों में भी हाथ बंटाती रहीं।


जासिया का वक़्त ने चाहे जितना इम्तिहान लिया, आज वह जम्मू-कश्मीर की पहली महिला क्रिकेट खिलाड़ी बन गई हैं। जासिया पुराने दिनो की आपबीती साझा करती हुई बताती हैं कि जब वह ग्यारह साल की थीं, बरारी पोरा (शोपियां) में ग्राउंड में खेलने जा रहे लड़कों के झुंड देखकर कल्पना करती रहती थीं कि कि एक दिन वह भी इस खेल का हिस्सा बनेंगी। वह वर्ष 2002 की गर्मियों का एक दिन था, जब उन्होंने क्रिकेट खेलने वाले लड़कों के एक झुंड का पीछा किया। उस समय वे खेल शुरू करने जा रहे थे। जासिया ने उनसे पूछा कि क्या उनके साथ वह भी क्रिकेट खेल सकती हैं? लड़के पहले तो मुस्कुराए, फिर अपना बल्ला उन्हे थमा दिया। क्रिकेट में पांव रखने का वह उनका पहला दिन था। जब वह क्रिकेट खेलने लगीं तो कई और लड़कियों की उनकी तरफ ध्यान गया।


यह भी पढ़ें: कॉलेज में पढ़ने वाले ये स्टूडेंट्स गांव वालों को उपलब्ध करा रहे साफ पीने का पानी