Brands
YS TV
Discover
Events
Newsletter
More

Follow Us

twitterfacebookinstagramyoutube
Yourstory

Resources

Stories

General

In-Depth

Announcement

Reports

News

Funding

Startup Sectors

Women in tech

Sportstech

Agritech

E-Commerce

Education

Lifestyle

Entertainment

Art & Culture

Travel & Leisure

Curtain Raiser

Wine and Food

Videos

सोशल मीडिया और डिजिटल कॉन्टेंट के लिए सरकार लेकर आई सख्त कानून, जानें अब क्‍या बदलेगा

डिजिटल कॉन्टेंट और सोशल मीडिया के लिए केंद्र सरकार ने की गाइडलाइंस की घोषणा।

सोशल मीडिया और डिजिटल कॉन्टेंट के लिए सरकार लेकर आई सख्त कानून, जानें अब क्‍या बदलेगा

Friday February 26, 2021 , 6 min Read

"केंद्र सरकार सोशल मीडिया के लिए मैकेनिज्म और डिजिटल कॉन्टेंट को नियमित करने के कानून ला रही है। सरकार ये कानून आने वाले तीन महीने में पूरे देश में लागू कर देगी। इस बात की घोषणा केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से दी।"

k

केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद, फोटो साभार : सोशल मीडिया

केंद्र सरकार डिजिटल कॉन्टेंट और सोशल मीडिया के लिए सख्त कानून ले कर आ रही है, जिन्हें अगले तीन महीने में लागू कर दिया जाएगा। केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गुरुवार को इसकी घोषणा की। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद और सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस के माध्यम से मीडिया को संबोधित किया और इस बात का खुलासा किया। उन्होंने कहा, कि सोशल मीडिया कंपनियों के लिए भी एक प्रॉपर मैकेनिज्म की ज़रूरत है।


गौरतलब है, कि भारत में सोशल मीडिया प्‍लेटफार्म्‍स ट्विटर, फेसबुक, इंस्टाग्राम और वॉट्सएप पर करीब 113.5 करोड़ यूजर्स हैं और वहीं दूसरी तरफ यदि हम OTT प्‍लेटफार्म्‍स की बात करें, तो वहां भी 29-30 करोड़ यूजर्स हैं। साथ ही डिजिट मीडिया या इंजनेट में करीब 700 मिलियन यूजर्स हैं। जिसके चलते केंद्र सरकार ने नई और सख्‍त गाइडलाइंस जारी की हैं। अब इन सभी मीडिया प्‍लेटफार्म्‍स को सरकार के बनाए नियमों का पालन करना अनिवार्य होगा।


सोशल मीडिया के लिए बनाए गए नियम अगले तीन महीने में लागू कर दिए जायेंगे और OTT और डिजिटल कॉन्टेंट के लिए कानून उस दिन से लागू होंगे, जब सरकार इनके लिए भी नोटिफिकेशन जारी कर देगी।


रविशंकर प्रसाद ने कहा,

"सुप्रीम कोर्ट ने कहा एक गाइड लाइन बनाइए फेक न्यूज़ और सोशल मीडिया को लेकर। संसद में भी इसको लेकर चिंता जताई गई। सोशल मीडिया को लेकर शिकायत आती थी। गलत तस्वीर दिखाई जा रही है। सोशल मीडिया पर बहुत कुछ आ रहा था। आजकल क्रिमिनल भी इसका इस्तेमाल कर रहे हैं। इसका एक प्रॉपर मेकेनिज़्म होना चाहिए।"


केंद्रीय मंत्री ने कहा,

"सोशल मीडिया कंपनियों को एक ग्रीवांस मेकेनिज़्म रखना होगा। 15 दिनों में प्रॉब्लम को एड्रेस करना होगा। लगातार बताना होगा कि कितनी शिकायत आई और उस पर क्या कार्रवाई की गई। पहली खुराफात किसने की यह भी बताना पड़ेगा। अगर भारत से बाहर शुरू हुआ तो भारत में किसने शुरू किया यह बताना होगा।"


साथ ही उन्होंने यह भी कहा,

"आज के दिन सोशल मीडिया ने आम आदमी को आवाज दी है पर जिम्मेदारी भी निभाएं। नही मांनेंगे तो आईटी एक्ट में जो कानून है उसके मुताबिक कार्रवाई होगी।"


डिजिटल सामग्री और स्ट्रीमिंग प्लेटफ़ॉर्म को विनियमित करने के लिए सरकार के नए नियमों में कई मंत्रालयों को शामिल करने वाला एक सख्त निगरानी तंत्र और नैतिकता का एक कोड भी शामिल किया जायेगा, जो भारत की संप्रभुता और अखंडता को प्रभावित करने वाली सामग्री पर प्रतिबंध लगाता है और साथ ही जिससे राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा हो सकता है।


ऐसा पहली बार हो रहा है, कि सरकार द्वारा सूचना प्रौद्योगिकी (दिशा-निर्देशों के लिए मध्यस्थ और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियमों को डिजिटल समाचार संगठन, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और ओटीटी स्ट्रीमिंग सेवाओं के लिए विनियमित किया जाएगा। सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री रविशंकर प्रसाद और सूचना एवं प्रसारण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर द्वारा जारी किए जाने वाले मसौदा नियमों की एक प्रति प्रचलन में है। ड्राफ्ट के अनुसार, निगरानी तंत्र में रक्षा, विदेश मंत्रालय, गृह, I & B, कानून, आईटी और महिला और बाल विकास मंत्रालयों के प्रतिनिधियों के साथ एक समिति शामिल होगी।


इस समिति के पास आचार संहिता के उल्लंघन की शिकायतों पर सुनवाई के लिए "सू की शक्तियां" होंगी, यदि वह चाहती हैं। समिति अन्य कार्यों के अलावा माफी मांगने, चेतावनी देने या फटकारने वालों को भी चेतावनी दे सकती है। सरकार एक संयुक्त सचिव या उससे ऊपर के अधिकारी के पद को "प्राधिकृत अधिकारी" के रूप में निर्दिष्ट करेगी जो सामग्री को अवरुद्ध करने का निर्देश दे सकता है।


नये कानून में प्रमुख सोशल मीडिया साइटों पर संदेशों के प्रवर्तक का पता लगाना आवश्यक है, जो व्हाट्सएप और सिग्नल जैसे मैसेजिंग प्लेटफॉर्म पर एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन के खिलाफ जाता है। मसौदा नेटफ्लिक्स और प्राइम वीडियो जैसी स्ट्रीमिंग सेवाओं पर बल देगा, जिन्होंने स्ट्रीमिंग शिकायतों की सुनवाई के लिए एक स्वतंत्र अपीलीय निकाय पर आपत्ति जताई थी, जो एक सेवानिवृत्त उच्च न्यायालय या सुप्रीम कोर्ट के न्याय के नेतृत्व वाले अपील निकाय के अधिकार को प्रस्तुत करना था।


यदि यह निकाय मानता है कि सामग्री कानून का उल्लंघन करती है, तो उसे जारी किए जाने वाले आदेशों को अवरुद्ध करने के लिए सामग्री को सरकार-नियंत्रित समिति को भेजने का अधिकार होगा।


सोशल मीडिया के लिए गाइडलाइन :

अब भारत में सोशल मीडिया के करोड़ों यूजर्स और उनकी शिकायतों के लिए एक फोरम बनेगा, जिसकी मदद से सोशल मीडिया यूज़र्स इसके गलत इस्तेमाल पर अपनी शिकायत का निपटरा इस फोरम के जरिए आसानी से करवा सकेंगे। यदि आप अब किसी के खिलाफ आपत्तिजनक या शरारती ट्वीट करते हैं, तो यह आसानी अब पूरी तरह से खत्म कर दी जायेगी। यदि कोर्ट या सरकार किसी आपत्तिजनक, शरारती ट्वीट या मैसेज के पहले ओरिजिनेटर की जानकारी मांगती है, तो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म को ये जानकारी उपलब्‍ध करानी होगी। प्लेटफॉर्म को शिकायतों के निपटारे के लिए मैकेनिज्म बनाना होगा, जिसके लिए कंपनियों को एक अधिकारी नियुक्‍त करना होगा और इसका नाम भी बताना होगा यानि अब यूजर्स की शिकायतों पर कार्रवाई होगी। संबंधित अधिकारी को 24 घंटे के भीतर शिकायत दर्ज करनी होगी, जिसका निपटारा 15 दिन के भीतर ही होना होगा।


यदि अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म कोई किसी महिला की आपत्तिजनक फोटो पोस्ट करता है, तो शिकायत मिलने के 24 घंटे के भीतर कंटेंट हटाने की अनिवार्यता होगी। यदि आप ऐसा नहीं करते हैं तो सरकार सीधे एक्शन ले सकती है। यदि किसी सोशल मीडिया यूजर के कंटेंट को हटाना है तो उसे ऐसा करने की सही वजह बतानी होगी। यानि सिर्फ किसी की शिकायत पर आपका कंटेंट हटाया नहीं जा सकेगा, जब तक वह मानदंडों पर खरा नहीं उतरता है।


कंपनियों को हर महीने रिपोर्ट में बताना होगा कि कितनी शिकायत आई और उन पर क्या कार्रवाई की गई है, साथ ही यदि कोई सोशल मीडिया यूजर अपने कॉन्टेंट को हटाता है, तो उसे ऐसा करने की वजह बतानी होगी।


OTT और डिजिटल कॉन्टेंट के लिए गाइडलाइन :

सरकार की गाइलाइंस के हिसाब से अब OTT और डिजिटल न्यूज के लिए तीन चरणों का मैकेनिज्म होगा। OTT और डिजिटल न्यूज के लिए रजिस्ट्रेशन की बाध्यता नहीं है, लेकिन इन सभी को अपनी जानकारियां देनी होंगी। शिकायतों के निपटारे के लिए एक खास सिस्टम बनाया जाएगा, जिसके लिए सेल्फ रेगुलेशन बॉडी की ज़रूरत होगी और इस रेगुलेशन बॉडी को सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज या फिर इसी लेवल का कोई अनुभवी लीड करेगा। कार्रवाई के लि सरकार एक व्यवस्था बनाएगी, जो इस तरह के मामलों को बारीकी से देख सके।


जिस तरह अब तक फिल्में प्रोग्राम कोड फॉलो करती आई हैं, उसी तरह OTT प्लेटफॉर्म्स को भी प्रोग्राम कोड का अनुसरण करना होगा। रही बात कॉन्टेंट की तो उम्र के लिहाज से क्लासिफिकेशन करना होगा, यानी कौन सा कॉन्टेंट किस एज ग्रुप के लिए सही है। OTT प्लेटफॉर्म के कॉन्टेंट को 13+, 16+ और A कैटेगरी में बांटा जाएगा। साथ ही अभिभावकों द्वारा लॉक की व्‍यवस्‍था भी होगी। अभिभावक अपने बच्चे के लिए अब आसानी से उन कॉन्टेंट्स को ब्लॉक कर सकते हैं, जो उनके लिए सही नहीं।