कुंभलगढ़ सेंचुरी में दिखी दुर्लभ प्रजाति की लाइलक सिल्वरलाइन तितली
हल्के पीले रंग की इस दुर्लभ तितली को दोनों शोधार्थियों ने गत दिनों अपनी जैव विविधता के लिए समृद्ध कुंभलगढ़ अभयारण्य की एक चट्टान पर देखा।
जयपुर, दक्षिण राजस्थान में शोध कर रहे पर्यावरण वैज्ञानिकों ने नवीन प्रजाति की एक तितली को खोजा है। मेवाड़ के साथ ही राजस्थान में ‘लाइलक सिल्वरलाइन’ नामक तितली को पहली बार देखा गया है।
प्रकृति संरक्षण फाउंडेशन की पर्यावरण वैज्ञानिक डॉ. स्वाति किट्टूर और मोहनलाल सुखाडि़या विश्वविद्यालय के शोधार्थी उत्कर्ष प्रजापति ने दक्षिणी राजस्थान के कुंभलगढ़ अभयारण्य में स्लॉथ बीयर की पारिस्थितिकी पर अपने शोध के दौरान दुर्लभ लाइलक सिल्वरलाइन नामक तितली को खोजा है।
उदयपुर के उपनिदेशक (जनसम्पर्क) डॉ कमलेश शर्मा ने रविवार को बताया कि हल्के पीले रंग की इस दुर्लभ तितली को दोनों शोधार्थियों ने गत दिनों अपनी जैव विविधता के लिए समृद्ध कुंभलगढ़ अभयारण्य की एक चट्टान पर देखा। उन्होंने इसकी कई तस्वीरें ली। इसे बाद में वेबपोर्टल आईकॉनिस्ट पर अपलोड किया गया।
उदयपुर में ‘इंटरनेशनल क्रेन फाउण्डेशन व नेचर कंजरवेशन फाउण्डेशन’ के पक्षी विज्ञानी डॉ. के.एस.गोपीसुंदर ने बताया कि वेब पोर्टल पर इसे अपलोड करने के बाद देश के कई वैज्ञानिकों व तितली विशेषज्ञों ने उनसे संपर्क किया। विशेषज्ञों ने बताया कि जिस प्रजाति की तितली की तस्वीर खींची गई है वह बहुत ही दुर्लभ लाइलक सिल्वरलाइन थी।
उन्होंने बताया कि तितली की इस प्रजाति की खोज 1880 के दशक में की गई थी। बेंगलुरु में मात्र एक तितली नजर आयी थी।
पर्यावरण वैज्ञानिक तितली की इस प्रजाति को खोजने तक ही सीमित नहीं रहे। उन्होंने इस तितली पर एक विस्तृत शोधपत्र भी तैयार किया। इसे अन्तरराष्ट्रीय स्तर की शोध पत्रिका ‘जर्नल ऑफ थ्रेटण्ड टेक्सा’ में 26 जून को प्रकाशित किया गया।
इस शोध पत्र में बताया गया है कि राजस्थान में पहली बार लाइलक सिल्वरलाइन तितली नजर आयी है।
वैज्ञानिकों ने बताया कि यह भारतीय वन्यजीव संरक्षण अधिनियम की अनुसूची द्वितीय के तहत संरक्षित है। शोध पत्र में यह भी बताया गया है कि यह प्रजाति पहले कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, मध्य प्रदेश, पंजाब और भारत के उत्तरी राज्यों और पाकिस्तान के रावलपिंडी में बहुत कम संख्या में देखी गई थी।
इधर, राजस्थान में तितलियों पर शोध कर रहे डूंगरपुर जिले के सागवाड़ा निवासी मुकेश पंवार ने बताया कि उन्होंने अब तक राजस्थान में 111 प्रजातियों की तितलियों को देखा और पहचाना है।
पंवार ने बताया कि लाइलक सिल्वरलाइन का नजर आना वास्तव में उपलब्धि है। इससे यह पता चलता है कि कुंभलगढ़ जैसे अभयारण्य न केवल भालू और लकड़बग्घे जैसे जानवरों के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि यह दुर्लभ प्रजाति की तितलियों का भी आश्रय स्थल है।