लोकसभा ने डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल को दी मंजूरी
केंद्रीय कैबिनेट ने एक महीने पहले 5 जुलाई को डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल के ड्राफ्ट को मंजूरी दी थी. ड्राफ्ट में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह का डेटा शामिल हैं, जिसे बाद में डिजिटाइज किया गया हो.
मणिपुर मुद्दे पर विपक्षी सदस्यों की नारेबाजी के बीच लोकसभा ने सोमवार को ध्वनि मत से डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल को मंजूरी दे दी.
विपक्षी सदस्यों द्वारा पेश किए गए कुछ संशोधन ध्वनि मत से गिर गए.
विधेयक (बिल) को विचार और पारित करने के लिए पेश करते हुए, केंद्रीय आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि विपक्षी सदस्यों को लोक कल्याण और लोगों के पर्सनल डेटा की सुरक्षा जैसे मुद्दों की बहुत कम चिंता है, और इसलिए, वे नारे लगा रहे थे.
उन्होंने सदन से विधेयक को सर्वसम्मति से पारित करने का भी आग्रह किया.
विधेयक में व्यक्तियों के डिजिटल डेटा का दुरुपयोग करने या उसकी सुरक्षा करने में विफल रहने पर संस्थाओं पर 250 करोड़ रुपये तक के जुर्माने का प्रस्ताव करते हुए भारतीय नागरिकों की गोपनीयता की रक्षा करने का प्रयास किया गया है.
सुप्रीम कोर्ट द्वारा "निजता के अधिकार" को मौलिक अधिकार घोषित करने के छह साल बाद आए इस विधेयक में ऑनलाइन प्लेटफॉर्म द्वारा व्यक्तियों के डेटा के दुरुपयोग को रोकने के प्रावधान हैं.
इस विधेयक का उद्देश्य कंपनियों, मोबाइल ऐप और बिजनेस फैमिली सहित अन्य को यूजर्स के डेटा को इकट्ठा करने, स्टोर करने और यूज करने के लिए जवाबदेह बनाना है.
केंद्रीय कैबिनेट ने एक महीने पहले 5 जुलाई को डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन बिल के ड्राफ्ट को मंजूरी दी थी.
विवाद की स्थिति में डेटा प्रोटेक्शन बोर्ड फैसला करेगा. नागरिकों को सिविल कोर्ट में जाकर मुआवजे का दावा करने का अधिकार होगा. ऐसी बहुत सी चीजें हैं जो धीरे-धीरे विकसित होंगी.
ड्राफ्ट में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों तरह का डेटा शामिल हैं, जिसे बाद में डिजिटाइज किया गया हो.
अगर विदेश से भारतीयों की प्रोफाइलिंग की जा रही है या गुड्स और सर्विस दी जा रही हों तो यह उस पर भी लागू होगा. इस बिल के तहत पर्सनल डेटा तभी प्रोसेस हो सकता है, जब इसके लिए सहमति दी गई हो.
विधेयक में यह भी कहा गया है कि कानूनी या व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए आवश्यक नहीं होने पर उपयोगकर्ताओं के डाटा को अपने पास बरकरार नहीं रखा जाना चाहिए. नया पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल बायोमेट्रिक डाटा के मालिक को पूर्ण अधिकार भी देता है. यहां तक कि अगर किसी एम्प्लॉयर को अटेंडेंस के लिए किसी कर्मचारी के बायोमेट्रिक डाटा की आवश्यकता होती है, तो उसे स्पष्ट रूप से संबंधित कर्मचारी से सहमति की आवश्यकता होगी.
नए डाटा प्रोटेक्शन बिल से सोशल मीडिया कंपनियों पर लगाम लगाने में मदद मिलेगी और उनकी मनमानी भी कम होगी.
इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी राज्य मंत्री राजीव चंद्रशेखर ने कहा कि संसद द्वारा पारित होने के बाद यह विधेयक सभी नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करेगा. वहीं, आपत्तियों पर उन्होंने कहा कि आरटीआई अधिनियम का मतलब व्यक्तिगत जानकारी का अधिकार नहीं है. विधेयक बस इतना कहता है कि आरटीआई अधिनियम सार्वजनिक जीवन में रहने वालों के लिए पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करना जारी रख सकता है, लेकिन निजता का अधिकार निश्चित रूप से केवल इसलिए नहीं छोड़ा जा सकता क्योंकि कोई व्यक्ति सार्वजनिक जीवन में है.