मिलिए मैन-वर्सेस-मशीन मुकाबले में AI डिबेटर को हराने वाले हरीश नटराजन से
अभी कुछ समय पहले एक मशीन ने शतरंज चैंपियन गैरी कास्परोव को हराया था। उसके बाद से मैन-वर्सेस-मशीन पर बहस तेजी से होने लगी। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के साथ इस तरह की बहस और बड़े पैमाने पर हो रही हैं। माना जाने लगा है कि मशीन आदमी को से काफी आगे निकल चुकी है। लेकिन आदमी अभी मशीन से हारने को तैयार नहीं है और ये दिखाया है 31 साल के चैंपियन हरीश नटराजन ने। उन्होंने आईबीएम के आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस वाले प्रोजेक्ट डिबेटर (Debater) को हराया है।
इस प्रोजेक्ट डिबेटर को “मिस डेबेटर” भी कहा जाता है। वहीं हरीश की बात करें तो वह एकेई इंटरनेशनल (AKE International) में इकनॉमिक रिस्क कंसल्टिंग के प्रमुख के रूप में काम करते हैं। दोनों के बीच “हमें प्री-स्कूल को सब्सिडी देनी चाहिए” विषय पर चर्चा हुई। जहां प्रोजेक्ट डिबेटर को इस विषय के पक्ष में बोलना था तो वहीं हरीश को इसके विरोध में बोलना था। टेकवर्ल्ड के मुताबिक, दोनों कंपटीटर्स ने अपने-अपने आर्गुमेंट्स तैयार करने के बाद शुरू में चार-चार मिनट अपना-अपना स्टेटमेंट दिया।
डिबेट शुरू होने से पहले दर्शकों ने समर्थन में और खिलाफ में.. दोनों को वोट किया और डिबेट समाप्त होने के बाद भी वोट किया। प्रोजेक्ट डिबेटर ने अपने शुरुआती बयान में कहा, "मैंने सुना है कि आपने मनुष्यों (humans) के खिलाफ डिबेट कंपटीशन में विश्व रिकॉर्ड बनाया है, लेकिन मुझे संदेह है कि आपने कभी मशीन से बहस नहीं की है। फ्यूचर में आपका स्वागत है।"
द हिंदू से बात करते हुए, हरीश ने कहा, "जाहिर है कि पहले 30 सेकंड मेरे लिए थोड़े अजीब थे - मुझे एहसास हुआ कि मुझे इस विशाल बैलट बॉक्स के खिलाफ बोलना है। हालांकि उसके बाद मैं उस एआई के तर्क ध्यान से सुन रहा था और सोच रहा था कि इस पर मेरी प्रतिक्रिया क्या होनी चाहिए। कई बार तो उसने ऐसे बिंदुओं को सामने रखा जिन्हें मैं अस्वीकार भी नहीं कर सकता था। लेकिन मैं सोच रहा था कि मैं इसके खिलाफ अपने शब्दों का उपयोग कैसे करूं?" डिबेट से पहले, 79 प्रतिशत दर्शकों ने इस बात का समर्थन किया कि प्री-स्कूल को सब्सिडी दी जानी चाहिए जबकि 13 प्रतिशत इसके खिलाफ थे। लेकिन डिबेट के अंत में, 62 प्रतिशत ने हरीश के साथ सहमति व्यक्त की, जिससे उन्हें प्रोजेक्ट डेबटर के खिलाफ जीत मिली।
अपने एआई कंपटीटर के बारे में बोलते हुए, हरीश ने कहा, "वह मशीन जो भी कर रही थी, वह बहुत अच्छा कर रही थी। यह कुछ हद तक चौंकाने वाला है। इसमें 10 अरब जानकारी थीं जो काफी प्रासंगिक भी थी। जिस चीज ने सबसे ज्यादा प्रभावित किया वो थी इसकी एक्सप्लेन करने की क्षमता, जो बहुत ही सीधे शब्दों में बताती थी।"
हालांकि, हरीश का मानना है कि वे अपनी भावनाओं (Emotion) पर फोकस करने के कारण 25 मिनट की रैपिड-फायर एक्सचेंज में मशीन को हराने में कामयाब रहे। उन्होंने द हिंदू को बताया, "इमोशन आपकी कही गई बातों के महत्व को बढ़ाते हैं। ऐसे क्षण भी आए जब मशीन भी भावनाएं पैदा करने की कोशिश कर रही थी। लेकिन मेरे पास एक बढ़त थी क्योंकि जब मैं अनुभवों के बारे में बात कर रहा था तो वे सच और अधिक वास्तविक थे। क्योंकि.... मैं मशीन नहीं हूं।"
यह भी पढ़ें: एसिड अटैक सर्वाइवर्स की मदद के लिए ज्वैलरी कंपनी की कोशिश आपका दिल जीत लेगी!