पद्मश्री पाने वाली पहली ट्रांसजेंडर नर्तकी नटराज से मिलिए
भारत में LGBTQ समुदाय की स्थिति और उन्हें लेकर समाज की सोच का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि देश की उन्हें अपने अस्तित्व की लड़ाई सुप्रीम कोर्ट में लड़नी पडती है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने ट्रांसजेंडर समुदाय को गरिमामयी जीवन जीने का अधिकार जरूर दे दिया है, लेकिन हकीकत में उसका असर देखने में अभी वक्त लगेगा। इस समुदाय के लोग बाकी लोगों की तरह मौका मिलने पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन कर रहे हैं। अभी हाल ही में तमिलनाडु की जानी मानी क्लासिकल डांसर नर्तकी नटराज को उनके अतुलनीय योगदान के लिए पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया।
54 वर्षीय नर्तकी ट्रांसजेंडर समुदाय की ऐसी पहली व्यक्ति हैं जिन्हें देश का तीसरा सबसे बड़ा सम्मान मिला। तमिलनाडु के टेंपल टाउन कहे जाने वाले मदुरै में नर्तकी का जन्म हुआ और उन्होंने श्री केपी किटप्पा पिल्लई से भरतनाट्यम की शिक्षा हासिल की। हालांकि नर्तकी के लिए नाट्य की इस विधा को सीखना आसान नहीं था। उन्हें समाज का बहिष्कार झेलना पड़ा। लेकिन उनकी दृढ़ इच्छा और जुनून के सामने सबको हार माननी पड़ी। उन्होंने देश दुनिया के बड़े मंचों पर अपने प्रदर्शन से सबका मन मोह लिया। वे भरतनाट्यम के नायकी भाव विधा के लिए खासतौर पर जानी जाती हैं।
यही वजह है कि उन्हें आज ट्रांसजेंडर समुदाय के सशक्तीकरण के प्रतीक के तौर पर देखा जाता है। इसलिए तमिलनाडु की स्कूल की किताबों में भी उनका नाम शामिल किया गया। आज वह स्कूल के सिलेबस का हिस्सा हैं। इसके साथ ही वे अब नए कलाकारों को नृत्य का प्रशिक्षण देती हैं। नर्तकी को कला के क्षेत्र में कार्य करने के लिए कलाइममनी औ नृत्य जैसे अवॉर्ड से सम्मानित किया जा चुका है। भारतनाट्यम में अभूतपूर्व योगदान के लिए उन्हें संगीतनाटक अकादमी पुरस्कार से भी सम्मानित किया जा चुका है।
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