ये हैं 'मोमोज वाले भईया', लॉकडाउन के दौरान गरीबों और बेघरों को खिलाते रहे हर रोज़ 1 हज़ार मोमोज़
दिल्ली में एक ऐसी ही दुकान के मालिक ने कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के दौरान लागू हुए लॉकडाउन के दौरान अपने मोमोज़ के जरिये जरूरतमन्द और गरीब लोगों का पेट भरने का सराहनीय काम किया है।
"ज़ोहेब गंगटोक में एक होटल भी चलाते हैं और दावा है कि यह सिक्किम का पहला होटल है। उस होटल में सबसे पहले मोमोज ही ग्राहकों को परोसे जाते थे। जोहेब के अनुसार यह काम उनके परदादा जी किया करते थे और उन्होने इसी परंपरा को अपने साथ लेकर आगे बढ़ने के उद्देश्य के साथ अपनी दुकान खोली थी।"
दिल्ली में मोमोज़ की एक दुकान तो आपको हर गली-नुक्कड़ पर जरूर दिख जाएगी, लेकिन आपको यह जानकर खुशी होगी कि दिल्ली में एक ऐसी ही दुकान के मालिक ने कोरोना वायरस महामारी की दूसरी लहर के दौरान लागू हुए लॉकडाउन के दौरान अपने मोमोज़ के जरिये जरूरतमन्द और गरीब लोगों का पेट भरने का सराहनीय काम किया है और यही कारण है कि दुकान मालिक ज़ोहेब भूटिया को फिलहाल लोग ‘मोमो वाले भईया’ के नाम से अधिक जानते हैं।
दिल्ली के हुमायूँपुर इलाके में ज़ोहेब अपनी मोमोज की दुकान चलाते हैं। गौरतलब है कि दिल्ली में हुमायूँपुर को नॉर्थ-ईस्टर्न खाने के लिए अधिक पहचाना जाता है। यहाँ इलाके का भ्रमण करने पर आपको क्षेत्र में मोमोज़ की सैकड़ों दुकानें नज़र आ जाएंगी।
नई दुकान खुलते ही लगा लॉकडाउन
न्यूज़ प्लेटफॉर्म द क्विंट के अनुसार ज़ोहेब ने इसी इलाके में लोगों को अपने खास मोमोज़ कम दाम पर बेंचना चाहते थे और इसी उद्देश्य के साथ उन्होने हुमायूँपुर में अपनी मोमो की दुकान खोल ली। ज़ोहेब अपनी दुकान को एक रेस्टोरेन्ट में भी तब्दील करना चाहते हैं, लेकिन उनके अनुसार लॉकडाउन के चलते ऐसा संभव नहीं हो सका।
ज़ोहेब गंगटोक में एक होटल भी चलाते हैं और दावा है कि यह सिक्किम का पहला होटल है। उस होटल में सबसे पहले मोमोज ही ग्राहकों को परोसे जाते थे। जोहेब के अनुसार यह काम उनके परदादा जी किया करते थे और उन्होने इसी परंपरा को अपने साथ लेकर आगे बढ़ने के उद्देश्य के साथ अपनी दुकान खोली थी।
गौरतलब है कि ज़ोहेब की इस दुकान के खुलते ही सरकार ने कोरोना महामारी के चलते देशव्यापी लॉकडाउन की घोषणा कर दी, जिससे उनका व्यापार शुरू होते ही थम गया।
मुनाफा नहीं फिर भी हैं खुश
लॉकडाउन लगने के बाद ज़ोहेब अपने कर्मचारियों को लेकर भी चिंतित थे, लेकिन तभी उन्हे यह ख्याल आया कि क्यों न वो अपने मोमोज के जरिये इस कठिन समय में जरूरतमंद और गरीब लोगों की भूख मिटाने का काम करें।
आज मुफ्त में मोमोज बाँट रहे ज़ोहेब ने अभी तक अपने इस व्यापार से कोई मुनाफा नहीं कमाया है लेकिन फिर भी वह खुश हैं, क्योंकि उन्होने कई भूखे लोगों के पेट को भरने का काम किया है। ज़ोहेब के अनुसार जब उनके प्रयासों से कुछ लोगों का पेट भरता है तो ऐसा करना उन्हे खुशी और शांति देता है।
ज़ोहेब इस पहल को सफलतापूर्वक संचालित करने का श्रेय अपनी टीम को देते हैं, जहां मोमोज बनाने, उन्हे पैक करने और डिलीवर करने के लिए लोग नियुक्त हैं।
रात में बांटते हैं मोमोज
ज़ोहेब अपनी टीम के साथ करीब रात 10 बजे जरूरतमंद और गरीब लोगों को मोमोज बांटने निकलते हैं। इस दौरान टीम सड़क के किनारे बैठे हुए भूखे लोगों में मोमोज बांटने का काम करती है। गौरतलब है कि इस दौरान सोशल डिस्टेन्सिंग का भी पूरा ख्याल रखा जाता है।
ज़ोहेब कोरोना वायरस पहली लहर के दौरान लगे लॉकडाउन के दौरान भी इसी तरह लोगों में मोमोज बांटने का काम कर रहे थे।
इस नेक पहल को आगे ले जाने के उद्देश्य के शुरुआत में ज़ोहेब के कई दोस्त भी उनके साथ खड़े हुए और उन्हे पैसे डोनेट करने का काम किया। फिलहाल इस पहल को ज़ोहेब अपने खर्च पर ही आगे लेकर जाने का काम कर रहे हैं।
Edited by Ranjana Tripathi