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मुंबई के आईटी छात्र प्रभु ने पानी में सांस रोक कर बनाया नया वर्ल्ड रिकॉर्ड

पानी के अंदर भी लंबी, गहरी सांसें लेने, देर तक थामे रखकर विश्व रिकॉर्ड बनाया जा सकता है। अमेरिका के डेविड ब्लेन 17 मिनट 4 सेकंड तक और आलबोर्ड (डेनमार्क) के स्टिग सिवरइंसिन पानी में 22 मिनट 11 सेकंड तक सांस रोकने का रिकॉर्ड बना चुके हैं। अब मुंबई के आईटी छात्र चिन्मय प्रभु ने पानी के अंदर नौ खंडों वा

मुंबई के आईटी छात्र प्रभु ने पानी में सांस रोक कर बनाया नया वर्ल्ड रिकॉर्ड

Tuesday May 21, 2019 , 4 min Read

जिंदगी में सबसे अहम होता है हर सांस का लम्हा-लम्हा। दुनिया में कुछ लोग इन्ही सांसों पर काबू पाकर चौंकाने वाले रिकॉर्ड बना रहे हैं। अभी दो दिन पहले ही मुंबई के बीस वर्षीय तैराक चिन्मय प्रभु ने पानी के अंदर नौ खंडों वाले रूबिक क्यूब सोल्वे कर अपना नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड मे दर्ज करा लिया है। दो साल पहले प्रभु ने अपने पैरों से मिरर क्यूब को सॉल्व करके लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड में अपना नाम दर्ज कराया था।


उन्होंने क्यूबिक और स्वीमिंग को मिलाकर एक नया टाइटल दिया। उन्होंने गिनीज को अंडरवॉटर क्यूबिंग के लिए एक नया शीर्षक बनाने के लिए प्रेरित किया क्योंकि इससे पहले उनकी सूची में ऐसा कोई शीर्षक नहीं था। इस पूरी प्रक्रिया को रिकॉर्ड करके गिनीज बुक के लिए बीते साल दिसंबर में भेजा गया था, जिसके बाद उन्हें इस साल गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड मिला है। गिनीज बुक में इससे पहले फोर पिरेमिनेक्स का रिकॉर्ड दर्ज था लेकिन प्रभु ने अब नाइन पिरेमिनेक्स का रिकॉर्ड बना दिया है। गौरतलब है कि काफी पहले अमेरिका के डेविड ब्लेन 17 मिनट 4 सेकंड तक पानी में अपनी सांस रोके रख कर विश्व रिकॉर्ड बना चुके हैं। उनसे पहले आलबोर्ड (डेनमार्क) के स्टिग सिवरइंसिन ने पानी में 22 मिनट 11 सेकंड सांस रोकने का रिकॉर्ड बनाया था। सबसे लंबी तैराकी का भी रिकॉर्ड सिवरइंसिन के ही नाम है।


कहते हैं कि अगर हम सही तरीके से सांस लेना सीख लें तो जिंदगी की सबसे अहम चीज हमे समझ में आ जाती है। हम जिंदगी में हर चीज पर ध्यान देते हैं, पर सांस पर नहीं क्योंकि हमें लगता है कि सांस अपने आप आ जाएगी। सांस आ भी जाती है लेकिन जो अपने आप आती है, वह पूरी नहीं होती। कोशिश करके सही ढंग से सांस लेने की आदत डालने वाले ही अब विश्व रिकॉर्ड बनाने लगे हैं। शक्ति सिंह दिल्ली की तरफ से रणजी में खेलते थे। एक मैच में उन्होंने तीस ओवर गेंदबाजी की और आठ विकेट अपने नाम कर लिए। शक्ति सिंह का स्टैमिना देखकर उस वक़्त हर कोई हैरान हो उठा क्योंकि आमतौर पर कोई फास्ट बॉलर एक मैच में दस ओवर तक ही बॉलिंग कर पाता है।


पूछने पर शक्ति ने अपनी इस अनोखी परफॉर्मेंस की वजह यौगिक ब्रीदिंग बताई यानी गहरी, लंबी और धीमी सांस लेना। इसी तरह इकसठ वर्ष के नरेश मोहन योग गुरु से सांस लेने का सही तरीका सीखकर आसानी से मंदिर की करीब सौ सीढ़ियां चढ़ने लगे। हमारे शरीर के अरबों सेल्स मेटाबॉलिक ऐक्टिविटी करते रहते हैं। इसके लिए इन्हें ऑक्सिजन की जरूरत होती है। ऑक्सिजन सेल्स की ऐक्टिविटी के बाद कार्बन डाइऑक्साइड में बदलती है। यह कार्बन डाइऑक्साइड अगर थोड़ी मात्रा में भी अंदर रह जाए तो सेल्स को नुकसान पहुंचाती है।


अगर हम ढंग से सांस नहीं लेते तो ऐसा ही होता है। हम औसतन हर सांस में करीब आधा लीटर हवा ही लेते हैं। इसका मतलब हुआ कि हम अपने लंग्स की क्षमता का पंद्रह-बीस फीसदी ही इस्तेमाल कर पाते हैं। सांस लेने का सही तरीका सीखकर हम अपने लंग्स की क्षमता के सत्तर-पचहत्तर फीसदी तक सांस ले सकते हैं। सांसें लेने की इसी कला के बूते तैराक चिन्मय प्रभु ने अभी-अभी गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज करा लिया है।


मुंबई के कांदिवली के केईएस कॉलेज में बीएससी (आईटी) के छात्र चिन्मय प्रभु ने पानी के अंदर नौ पिरामिंस (पिरामिड के आकार वाले रूबिक के क्यूब) को हल कर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में नाम दर्ज कराया है। अब तो वह अपने हुनर को दूसरे लोगों को भी सिखाने लगे हैं। उन्होंने इसकी कोचिंग देना भी शुरू कर दिया है। वीकेंड पर वह क्लास लगाते हैं। उनका सबसे छोटा शिष्य चार साल का बच्चा है। चिन्मय के पिता प्रदीप प्रभु ने कभी नहीं सोचा था कि चिन्मय ऐसा रिकॉर्ड बना पाएगा। जब उसने क्यूबिंग शुरू की थी तो प्रदीप ने उसकी रुचि को देखकर प्रोत्साहित किया था।


उनका बेटा बचपन से ही रूबिक्स क्यूब को सॉल्व करना पसंद करता है। चिन्मय प्रभु बताते हैं कि उन्हे क्यूबिंग और स्वीमिंग पसंद है। बस यहीं से एक दिन कुछ नया करने का विचार उनके मन में पहली बार आया था। उन्होंने सोचा कि क्यों न इन्हें साथ लाकर कुछ नया बनाया जाए। जब उन्होंने गिनीज बुक प्रबंधन से इस बारे में पूछा कि इस तरह का कोई रिकॉर्ड पहले बना है, पता चला कि नहीं। उनसके बाद उन्होंने आज से पांच साल पहले पानी के अंदर अपनी प्रैक्टिस शुरू कर दी। धीरे-धीरे पानी के अंदर सांस को थामने का मिनट-दर-मिनट वह लगातार बढ़ाते चले गए। वह पहले 30-35 सेकंड तक ही पानी में सांस को रोक पाते थे, लेकिन बाद में एक मिनट पचास सेकंड तक ऐसा करने में कामयाब हो गए।


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