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30 जून तक 2,000 रुपये के लगभग 80% नोट बैंकों में वापस आ गए: वित्त मंत्रालय

मंत्रालय ने बताया कि कि चलन में 2,000 रुपये के नोटों की संख्या 30 जून को घटकर 41.80 करोड़ हो गई, जो 19 मई को 177.93 करोड़ थी, और चलन में इन नोटों का मूल्य 30 जून को 3.56 लाख करोड़ रुपये से गिरकर 0.84 लाख करोड़ रुपये हो गया.

30 जून तक 2,000 रुपये के लगभग 80% नोट बैंकों में वापस आ गए: वित्त मंत्रालय

Monday July 31, 2023 , 2 min Read

वित्त मंत्रालय के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा ₹2,000 के करेंसी नोटों को वापस लेने के फैसले के लगभग छह सप्ताह बाद, उनमें से 77% बैंकों में वापस आ गए हैं.

मंत्रालय ने बताया कि कि चलन में ₹2,000 के नोटों की संख्या 30 जून को घटकर 41.80 करोड़ हो गई, जो 19 मई को 177.93 करोड़ थी, और चलन में इन नोटों का मूल्य 30 जून को ₹3.56 लाख करोड़ से गिरकर ₹0.84 लाख करोड़ हो गया.

इससे पहले, जून के आखिरी हफ्ते में RBI के गवर्नर शक्तिकान्त दास ने कहा है कि चलन में मौजूद 2,000 रुपये के नोट वापस लेने के निर्णय के एक महीने के भीतर कुल 3.62 लाख करोड़ रुपये में से दो तिहाई से ज्यादा (2.41 लाख करोड़ रुपये से अधिक) नोट बैंकों में वापस आ चुके हैं.

उन्होंने यह भी कहा कि अभी जो 2,000 रुपये का नोट वापस ले रहे हैं, उसका अर्थव्यवस्था पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा.

आठ जून को मौद्रिक नीति समीक्षा (MPC) के बाद में आरबीआई गवर्नर ने कहा था कि 1.8 लाख करोड़ रुपये के 2,000 रुपये के नोट वापस आ गये हैं. यह चलन में मौजूदा 2,000 रुपये के कुल नोट का लगभग 50 प्रतिशत था. इसमें मोटे तौर पर 85 प्रतिशत बैंक में जमा हुए हैं, जबकि अन्य को दूसरे मूल्य के नोट से बदला गया.

आरबीआई ने 19 मई को चलन में ₹2,000 के करेंसी नोटों को वापस लेने की घोषणा की थी, और नागरिकों और व्यवसायों को उन्हें बैंक खातों में जमा करने या उन्हें बदलने के लिए 30 सितंबर तक का समय दिया था. आरबीआई ने नवंबर 2016 में नोटबंदी के बाद ₹2,000 के बैंक नोट पेश किए.

केंद्रीय बैंक के अनुसार, मार्च 2017 से पहले जारी किए गए ₹2000 के 89% नोट अपने 4-5 साल के जीवन काल के अंत के करीब थे. आरबीआई ने यह भी कहा कि उसके सर्वे से पता चला है कि लोग लेनदेन के लिए 2,000 रुपये के नोट के प्रति उत्सुक नहीं थे.

हाल में एसबीआई रिसर्च की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि रिजर्व बैंक का 2,000 रुपये के नोट चलन से वापस लेने से खपत में तेजी आ सकती है और इससे चालू वित्त वर्ष में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत से अधिक रह सकती है.

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