स्टार्टअप्स के लिए ज्यादा पैसा होना भी एक अभिशाप, राह से भटक जाते हैं फाउंडरः नीलेकणि
नीलेकणि ने कहा कि जैसे ही स्टार्टअप फाउंडर्स अपने कैपिटल को लेकर बेपरवाह होते हैं, बिना सोच समझे कहीं भी पैसे लगाने लगते हैं, अपने खर्चे ठीक से मैनेज नहीं कर पाते समझ लीजिए बस आपका खेल खत्म.
स्टार्टअप ईकोसिस्टम में बीते साल फंडिंग की बहार थी लेकिन अब कंपनियां फंडिंग विंटर का सामना कर रही हैं. इसी बीच इन्फोसिस को-फाउंडर नंदन निलेकणी ने कहा है कि ज्यादा पैसा होना भी अपने आप में एक अभिशाप है.
निलेकणी इन्फोसिस के 40 साल पूरे होने के मौके पर बोल रहे थे. उन्होंने कहा कि कई ऐसे युवा फाउंडर्स हैं जिनके एंबिशन, जोश, बिजनेस की समझ, स्ट्रैटजिक थिकिंग उन्हें काफी प्रभावित करते हैं.
उन्होंने कहा, 'मुझे एक ही चीज परेशान करती है वो ये कि, स्टार्टअप फाउंडर्स क्या महज एक कंपनी बनाना चाहते हैं या उसे इंस्टीट्यूशन का रूप भी देना चाहते हैं. सबसे मुश्किल काम कंपनी को एक इंस्टीट्यूशन बनाना ही है, ये बिल्कुल एक मैरॉथन रेस की तरह होता है.
हम सभी इन्फोसिस फाउंडर्स आज भी उतने ही आशावादी और उतने ही लगन से काम कर रहे हैं जितना 40 साल पहले थे. क्या आज के युवा फाउंडर्स में इतने लंबे समय तक गेम में बने रहने की ताकत है? मुझे बस यही बात परेशान करती है क्योंकि जब आपके पास बहुत ज्यादा पैसा आ जाता है वहीं से गाड़ी पटरी से उतरने लगती है.'
उन्होंने कहा कि मुझे समझ नहीं आता कंपनियों को बर्बाद करने के लिए क्यों पैसा दिया जा रहा है. जैसे ही आप अपने कैपिटल को लेकर बेपरवाह होते हैं, बिना सोच समझे कहीं भी पैसे लगाने लगते हैं, अपने खर्च ठीक से मैनेज नहीं कर पाते समझ लिजिए बस आपका खेल खत्म.
हालांकि उन्होंने ये भी कहा कि कई ऐसी कंपनियां भी हैं जो यहां लंबे समय तक टिके रहने के लिए काम कर रही हैं. उन्हें अभी भी स्टार्टअप वर्ल्ड पर बुलिश हैं.
निलेकणी की टिप्पणियां ऐसे समय पर आ रही हैं जब स्टार्टअप्स को मिलने वाली फंडिंग में भारी कमी आई है. निवेशक भी भारी भरकम दांव लगाने की जगह बहुत सोच समझकर छोटे-छोटे दांव लगा रहे हैं.
कई कंपनियां अब अपने कैश बर्न को लेकर सतर्क हो रही हैं और उसमें कटौती की है साथ ही एंप्लॉयीज को भी निकालना शुरू कर दिया है.
इन्फोसिस के फाउंडर एनआर नारायण मूर्ति ने भी निलेकणी की बातों पर सहमति जताई. उन्होंने कहा कि मौजूदा फाउंडर्स को उनकी एक ही सलाह होगी, कोई भी फैसला लेने से पहले ये जरूर देखें कि क्या वह फैसला उन्हें सभी स्टेकहोल्डर्स से सम्मान हासिल कराएगा.
उन्होंने कहा, 'जैसे ही सम्मान की बात आती है- बाकी सभी चीजें अपने आप ठीक हो जाएंगी. जैसे कि- आपकी मेहनत, एक्सिलेंस पर फोकस, रिपीट कस्टमर्स आ रहे हैं या नहीं, समाज और ब्यूरोक्रेट्स से आपको सराहना मिल रही है या नहींं. इसलिए सभी स्टार्टअप फाउंडर्स को ये जरूर सोचना चाहिए कि उन्हें सभी स्टेकहोल्डर्स से इज्जत और सराहना कैसे मिल सकती है.'.
Edited by Upasana