किसी को समझ में नहीं आ रहा तेल-सोना, दिवाली-दशहरा का मंदी कनेक्शन
दिवाली पर मंद-मंद मुस्काती मंदी: तीन
कोई कह रहा, लोन सस्ता हुआ है, घर खरीद लो, कोलकाता में दुर्गा पूजा पर 50 किलो सोने से बीस करोड़ की प्रतिमा सज रही है, उधर हावड़ा पुल के इर्द-गिर्द भीखारियों की कतार लंबी होती जा रही है। इस बदहवासी पर मंदी मंद-मंद मुस्काए नहीं तो और क्या करे! यही तो है, तेल-सोना, दिवाली-दशहरा का मंदी कनेक्शन!
दुर्गापूजा, दशहरा, दिवाली की रौनक लूटते हुए कभी टमाटर जेब पर सेंध लगा रहा है, कभी दाल, कभी प्याज तो कभी आलू, सब्जी अंतरिक्ष में, चटनी चांद पर पहुंच गई है। पश्चिम बंगाल में 28 हजार से ज्यादा पंडालों में दुर्गा पूजा को चाहे जितना शोर मचे, इस त्योहारी सीजन में गृहणियों के रसाई का बजट बिगड़ गया है। दावा किया जा रहा है कि वर्ष 2004 से 2018 तक 30 करोड़ भारतीयों को गरीबी से बाहर निकाला गया है, दूसरी तरफ गांव के गांव उजड़कर महानगरों की झुग्गी बस्तियों में तब्दील होते जा रहे हैं और बेरोजगारी का ग्राफ आसमान पर है। सोने के भाव बताए जा रहे हैं। जिनकी जेबों में प्याज खरीदने का दम नहीं, उनको सोने-चांदी, जवाहरात की कीमतों से क्या लेना-देना। किसी को समझ में नहीं आ रहा है कि तेल-सोना, दिवाली-दशहरा का मंदी से क्या कनेक्शन है!
कोई कह रहा है कि ज्यादा बरसात होने से महंगाई बढ़ी है, कोई कह रहा है, ये तो हमेशा से होता आ रहा है लेकिन चारो तरफ जमाखोरों की चांदी कट रही है। देश में आर्थिक मंदी पर विशेषज्ञ कभी हां, कभी न कहकर सांप-छंछूदर का खेल दिखा रहे हैं। कर्मचारियों को बोनस के तोहफे दिए जा रहे हैं लेकिन उनकी सुधि कौन ले, जिनके पास कोई रोजी-रोजगार नहीं है। दरअसल, अंदर की सचाई ये है कि कार से ट्रक, मालवाहक जहाज से लेकर जेट विमान तक को तेल दुनिया चला रहा है। तेल की क़ीमतों ने चारो तरफ रायता फैला रखा है। आंखों से निकल रहे ये आंसू कोई नए नहीं, ये सिसकियां पिछले चार दशकों से सुनी जा रही हैं।
सऊदी अरामको कंपनी के तेल खजानों पर ड्रोन से हमला होगा तो भारत ही क्या, पूरी दुनिया में मंदी की मुस्कान अपने आप खिल उठेगी ही। एक ही दिन में कच्चे तेल की कीमत 20 प्रतिशत बढ़ गई। इससे तेल की क़ीमतें आसमान छू रही हैं। जाहिर है, इसका असर पूरी दुनिया में हर तरह के प्रोडक्शन और सप्लाई पर दिखना है। तेल निर्यातक देशों का संगठन (ओपेक) चेतावनियां दे रहा है कि अभी क्या, आगे और देखिए, क्या-क्या होने वाला है। आने वाले वर्षों में भारत में तेल की मांग 2019 के 3.21 फीसदी के मुकाबले बढ़कर 50.5 लाख बैरल प्रतिदिन होने वाली है। उल्लेखनीय है कि भारत दुनिया में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता है, जो कुल उत्पादन का 80 प्रतिशत तेल आयात करता है। सऊदी अरब रसोई गैस का भारत का दूसरा सबसे बड़ा सप्लायर है तो देर-सवेर हमारी रसोई में आग लगेगी ही। अब त्योहार सामने आ गया है तो सऊदी अरब कह सकता है, उसका हम क्या करें, हम तो दिवाली-दशहरा मना नहीं रहे!सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान चेतावनी दे रहे हैं, ईरान को रोकने के लिए विश्व समुदाय एकजुट न हुआ तो तेल की कीमतें आसमान पर पहुंचने वाली हैं।
त्योहारी सीजन में आर्थिक सुस्ती के बीच सोना नित नई ऊंचाई छू रहा है और चांदी की चमक भी बढ़ रही है, जबकि इस समय देश-दुनिया की अर्थव्यवस्थाओं में नरमी और गिरावट का दौर चल रहा है। शेयर बाजार टूट रहे हैं और प्रॉपर्टी बाजार भी ठंडा है, ऐसे में सोना ही निवेशकों को सबसे स्वादिष्ट लॉलीपॉप लग रहा है। उन्हे दिवाली तक सोने की कीमतों के नया रिकॉर्ड बनाने का बेसब्री से इंतजार है। वैसे भी इस कैलेंडर वर्ष में सोना निवेशकों को 20 प्रतिशत से भी ज्यादा कमाई करा चुका है। दिल्ली बुलियन एंड ज्वेलर्स वेलफेयर एसोसिएशन के अध्यक्ष विमल गोयल समाचार एजेंसियों को बता रहे हैं कि दुनिया भर में मंदी की आशंका से सोने की कीमतों में उछाल आया है। अमेरिका और चीन के बीच ट्रेड वॉर बढ़ने से सोने में सुरक्षित निवेश की राह आसान हुई है। साथ ही, हमारे देश में इस समय त्योहारी सीजन के कारण भी सोने-चांदी की डिमांड बढ़ी है। हांलाकि अप्रैल-जून तिमाही में सोना-चांदी के आयात में 5.3 फीसदी की गिरावट दर्ज हो चुकी है।
अब बाजार का रुख चाहे जो भी हो, मंदी चाहे जितना मंद-मंद मुस्काए, सूचना माध्यम ललकार रहे हैं कि लोन सस्ता हुआ है, घर खरीद लो। इस नवरात्र पर भी कोलकाता के वीआईपी रोड पर श्रीभूमि स्पोर्टिंग क्लब दस करोड़ के सोने-चांदी से दुर्गा पंडाल सजा रहा है। ढाई सौ मजदूरों ने एक दुर्गा प्रतिमा तो 50 किलो सोने से बीस करोड़ रुपए में तैयार किया है। उधर हावड़ा पुल के इर्द-गिर्द भीखारियों की कतार लंबी होती जा रही है। इस बदहवासी पर मंदी मंद-मंद मुस्काए नहीं तो और क्या करे! दरअसल, यही है, तेल-सोना, दिवाली-दशहरा का मंदी कनेक्शन! महंगाई की भगदड़ में त्योहार हो या शादी-ब्याह, जिसके मन में जो आ रहा है, करने में मगन है। सही-गलत न कोई समझने को तैयार है, न कोई किसी को समझाने वाला है।
(अंतिम कड़ी)