नोबेल पुरस्कार विजेता और नेता बाल सुरक्षा के लिए करेंगे एक हजार अरब डॉलर की मदद
संयुक्त बयान जारी करने वाले 88 लोगों में दलाई लामा, सत्यार्थी, डेसमंड टुटू, जॉर्डन के प्रिंस अली अल हुसैन और अमेरिका की मशहूर मानवाधिकार कार्यकर्ता केरी कैनेडी भी शामिल हैं।
नयी दिल्ली, दुनिया के 88 नोबेल विजेताओं और प्रमुख नेताओं ने कोरोना महामारी और लॉकडाउन के कारण मुश्किलों का सामना कर रहे बच्चों की सुरक्षा के लिए विभिन्न देशों की सरकारों से एक हजार अरब डॉलर की मदद का आह्वान किया है।
‘‘लॉरियेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन’’ नामक संस्था की पहल पर इन नोबेल पुरस्कार विजेताओं और वैश्वक नेताओं ने सोमवार को संयुक्त बयान जारी कर यह मांग की।
उन्होंने विश्व की सरकारों से आग्रह किया कि वे लॉकडाउन के दौरान और उसके बाद प्रभावित होने वाले बच्चों की सुरक्षा को प्राथमिकता दें और इस सिलसिले में अपनी एकजुटता दिखाएं।
गौरतलब है कि ‘लॉरियेट्स एंड लीडर्स फॉर चिल्ड्रेन’’ की स्थापना 2014 में नोबेल शांति पुरस्कार से सम्मानित बाल अधिकार कार्यकर्ता कैलाश सत्यार्थी ने की थी। ।
सत्यार्थी ने कहा कि ‘लॉरियेट्स एंड लीडर्स’ के सभी सदस्य दुनियाभर की सरकारों को याद दिलाना चाहते हैं कि इस गंभीर संकट की घड़ी में समाज में सबसे कमजोर और हाशिए के बच्चों को वे नहीं भूलें। हमें अब एक पूरी पीढ़ी को बचाने और उसकी सुरक्षा का उद्यम करना चाहिए।
नोबेल पुरस्कार विजेताओं और वैश्विक नेताओं ने अपने संयुक्त बयान में कहा, ‘‘कोविड-19 ने हमारी दुनिया में पहले से मौजूद असमानताओं को और उजागर कर दिया है। कोरोना वायरस दुनिया की आबादी के बहुमत पर अपना प्रभाव जारी रखेगा और उसके बाद इसका सबसे विनाशकारी प्रभाव समाज में सबसे कमजोर और वंचित लोगों पर पड़ेगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ अगर अधिक हाशिए पर रहने वाले बच्चों और उनके परिवारों को दुनिया की सरकारों से मिलने वाली राशि में से 20 प्रतिशत मिलता है, तो यह मानवता के हक में होगा और इसके परिणाम परिवर्तनकारी होंगे।‘‘
उनके मुताबिक एक हजार अरब डॉलर की जिस मदद की अपील विश्व की सरकारों से की जा रही है, उससे संयुक्त राष्ट्र संघ की सभी परमार्थ संस्थाएं अपना काम पूरा करने में सक्षम होंगी और कम आय वाले देशों में भी लोगों की मदद होगी।
यह संयुक्त बयान जारी करने वाले 88 लोगों में दलाई लामा, सत्यार्थी, डेसमंड टुटू, जॉर्डन के प्रिंस अली अल हुसैन और अमेरिका की मशहूर मानवाधिकार कार्यकर्ता केरी कैनेडी भी शामिल हैं।